नई दिल्ली: भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा गुरुवार शाम को जारी किए गए चुनावी बॉन्ड के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि कौन से कॉरपोरेट, किस पार्टी को और कब दान दे रहे थे.
नवीनतम डेटा पर हमारे पहले विश्लेषण में हम बात कर रहे हैं चुनावी बॉन्ड के शीर्ष खरीदारों के बारे में और इस बारे में कि वे इस अपारदर्शी माध्यम से किसे दान दे रहे थे. यह डेटा 12 अप्रैल 2019 से शुरू होकर 15 जनवरी 2024 (जब आखिरी बॉन्ड बेचे गए थे) तक की अवधि से संबंधित है. इसमें योजना के पहले वर्ष का डेटा शामिल नहीं है.
इन 5 समूह/कंपनियों की बात करें तो इनमें से 3 द्वारा दिए गए चंदे का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को प्राप्त हुआ. अन्य दो समूह/कंपनियों से तृणमूल कांग्रेस को सबसे अधिक पैसा मिला.
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
हालांकि, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल)) 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 के बीच चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों के लिए दूसरा सबसे बड़ा चंदादाता है, लेकिन नए डेटा से पता चलता है कि यह 584 करोड़ रुपये के साथ भाजपा को चंदा देने वालों में सबसे ऊपर है. तेलंगाना स्थित कंपनी के चेयरमैन पामीरेड्डी पिची रेड्डी और उनके भतीजे पीवी कृष्णा रेड्डी ने इस अवधि में कुल 966 करोड़ रुपये का चंदा दिया, जिसका बड़ा हिस्सा (584 करोड़ रुपये) भाजपा को मिला.
एमईआईएल द्वारा खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी तेलंगाना का तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी यानी के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) थी, जिसे 195 करोड़ रुपये मिले. वहीं, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस को 37 करोड़ रुपये और तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल डीएमके को 85 करोड़ रुपये मिले.
एमईआईएल ने बिहार के सत्तारूढ़ दल नीतीश कुमार के जनता दल (यूनाइटेड) को भी 10 करोड़ रुपये दिए.
एमईआईएल ने विपक्षी दलों को भी चंदा दिया, लेकिन इसके द्वारा खरीदे गए कुल चुनावी बॉन्ड का मात्र एक छोटा-सा हिस्सा. आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को 28 करोड़ रुपये मिले; कांग्रेस को 18 करोड़ रुपये मिले, जबकि जनता दल (सेकुलर) को 5 करोड़ रुपये मिले. पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जन सेना पार्टी को भी एमईआईएल से 4 करोड़ रुपये मिले.
ज्ञात हो कि राजनीतिक दलों द्वारा ईसीआई को दी गई चुनावी बॉन्ड से संबंधित जानकारी से पता चलता है कि 12 अप्रैल 2023 से पहले जनता दल (सेकुलर) को मिले कुल 89.75 करोड़ रुपये के चंदे में से 50 करोड़ रुपये एमईआईएल से मिले थे, जो कुल चंदे का 56 फीसदी था, जो मई 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले मिला था.
द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि एमईआईएल ने इस अवधि के दौरान कई महत्वपूर्ण सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर भी काम शुरू किया. कंपनी ने 14,400 करोड़ रुपये की ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल परियोजना के लिए निविदा हासिल की, जो संयोगवश 11 अप्रैल 2023 को 140 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदने के एक महीने बाद इसे मिली. 140 करोड़ रुपये में से 115 करोड़ रुपये एमईआईएल द्वारा भाजपा को चंदे में दिए गए, जबकि शेष 25 करोड़ रुपये तेलुगु देशम पार्टी, जन सेना पार्टी, कांग्रेस और जनता दल (सेकुलर) के बीच बांटे गए.
टेंडर प्रक्रिया तब विवादों में भी घिरी थी. जनवरी 2023 में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के तहत दो सड़क सुरंगों के लिए महाराष्ट्र सरकारी की मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) की निविदा में केवल एमईआईएल की बोली उत्तरदायी पाई गई थी. एमईआईएल के अनुबंध हासिल करने के तुरंत बाद, इसके प्रतिस्पर्धी एल एंड टी ने मई 2023 में अदालत में फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने तकनीकी आधार पर उसकी याचिका खारिज कर दी थी.
हाल के वर्षों में, इसकी झोली में गई बड़ी परियोजनाएं ज्यादातर विवादों में रहीं. तेलंगाना के नवनिर्वाचित कांग्रेसी मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने कुछ महीने पहले विपक्ष में रहते हुए 1 लाख करोड़ रुपये की विशाल कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना में कई ठेके सौंपने में कथित अनियमितताओं के लिए सत्तारूढ़ बीआरएस के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाया था .
इसी तरह, आंध्र प्रदेश में 2014 से 2019 के बीच विपक्षी नेता के रूप में वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार पर विशाल पट्टीसीमा सिंचाई परियोजना में एमईआईएल को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था. हालांकि, सत्ता में आने के बाद जगन ने भी एमईआईएल को कई ठेके दिए, जिनमें से सबसे बड़ा पोलावरम बांध परियोजना में कुछ बड़े ठेके थे जो उन्होंने नवयुग इंजीनियरिंग के साथ अनुबंध रद्द करके दिए थे. बता दें कि नवयुग इंजीनियरिंग ने भी 55 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे.
संयोग से, एमईआईएल आयकर विभाग की भी जांच के दायरे में है. अक्टूबर 2019 में इसके कार्यालय पर छापा मारा गया था, जिसके बाद इसने बड़े पैमाने पर चुनावी बॉन्ड की खरीदी की. कंपनी ने अगस्त 2020 में जम्मू-कश्मीर में ज़ोज़ी-ला सुरंग के निर्माण के लिए 4,509 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट हासिल किया था.
एमईआईएल ने पिछले कुछ वर्षों में हैदराबाद के माय होम ग्रुप के साथ साझेदारी में मीडिया उद्योग में भी कदम रखा है. इसने प्रभावशाली ‘टीवी9 तेलुगु’ चैनल का अधिग्रहण किया और एनटीवी चैनल में 22% हिस्सेदारी खरीदी. कंपनी ने इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण व्यवसाय में जल्द ही प्रवेश करने की बड़ी योजना की घोषणा की है.
यदि हम एमईआईएल से जुड़ी कंपनियों को शामिल कर लें तो भाजपा को उनका चंदा और भी अधिक हो जाता है. हालांकि, ऐसा लगता है कि एमईआईएल से जुड़ी कंपनियों ने एमईनएल की तुलना में बहुत कम मात्रा में दान दिया है, लेकिन इस दान का बड़ा हिस्सा कांग्रेस को गया है. उदाहरण के लिए, एमईआईएल के स्वामित्व वाली वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने 220 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. जहां इसने भाजपा को 80 करोड़ रुपये दिए, वहीं कांग्रेस को 110 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.इसने टीडीपी और जन सेना को भी क्रमश: 20 करोड़ और 10 करोड़ रुपये का चंदा दिया.
एमईआईएल की एक और अन्य सहायक कंपनी एसईपीसी पावर ने 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे, जिसका बड़ा हिस्सा कांग्रेस (30 करोड़) को गया. इसने भाजपा और टीडीपी को 5-5 करोड़ रुपये का चंदा दिया.
एमईआईएल की एक अन्य सहयोगी कंपनी एवे ट्रांस प्राइवेट लिमिटेड ने बीआरएस को बॉन्ड के माध्यम से 6 करोड़ रुपये का दान दिया.
कुल मिलाकर, एमईआईएल और इसकी सहयोगी कंपनियों की चुनावी बॉन्ड खरीदी में हिस्सेदारी 1,232 करोड़ रुपये है, जिसमें से अकेले भाजपा को 669 करोड़ रुपये मिले यानी कुल दान का करीब 54.3 फीसद. बीआरएस को दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा मिला, जो एमईआईएल और उससे जुड़ी कंपनियों द्वारा दिए गए दान का 16% से कुछ अधिक है.
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
‘लॉटरी किंग’ सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड अप्रैल 2019 से जनवरी 2022 के बीच 1,368 करोड़ रुपये के साथ चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सबसे बड़ी चंदादाता थी. हालांकि, कुल राशि का केवल 100 करोड़ रुपये ही सत्तारूढ़ भाजपा को चंदे में दिया गया था.
कंपनी ने पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी को सबसे अधिक 542 करोड़ रुपये का चंदा दिया. दूसरा नंबर तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) का आता है, जिसे 503 करोड़ रुपये मिले.
जिन दो अन्य दलों को अच्छा-खासा चंदा मिला उनमें वाईएसआर कांग्रेस को 154 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 50 करोड़ रुपये शामिल हैं. एक छोटा-सा हिस्सा सिक्किम के राजनीतिक दलों को मिला, जो 8 करोड़ रुपये है.
कई अन्य चंदादाताओं की तरह ही फ्यूचर गेमिंग भी ईडी की जांच के दायरे में है. 23 जुलाई 2019 को ईडी ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में इसकी 120 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी, जहां सैंटियागो मार्टिन पर पुरस्कार राशि को बढ़ाने और बेहिसाब नकदी से संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगाया गया था. ईडी ने समूह से जुड़े 70 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी.
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी संसद में प्रस्तुत 2017 की रिपोर्ट में मार्टिन के स्वामित्व वाले फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज समेत मार्केटिंग एजेंटों द्वारा गंभीर अनियमितताओं को चिह्नित किया है. लॉटरी में भ्रष्टाचार और उल्लंघन की शिकायतों के बाद 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ऑडिट का निर्णय लिया गया था.
वेदांता
खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता लिमिटेड ने भाजपा को 250.15 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड दिए. इस प्रकार वेदांता द्वारा खरीदे गए सभी चुनावी बॉन्ड ( इस प्रकार वेदांता द्वारा खरीदे गए सभी चुनावी बॉन्डों में से आधे से अधिक (कुल 400.65 करोड़ रुपये) भाजपा के खाते में गए. इसके बाद कांग्रेस (125 करोड़ रुपये), बीजू जनता दल (40 करोड़ रुपये) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (5 करोड़ रुपये) का नंबर आता है. तृणमूल कांग्रेस को वेदांता से केवल 30 लाख रुपये मिले.
वेदांता चुनावी बॉन्ड का चौथा सबसे बड़ा खरीदार है.
वेदांता लिमिटेड पर राजस्थान के बाड़मेर सहित भारत में कई खनन, तेल और गैस परियोजनाओं में पर्यावरण उल्लंघन के लिए नियमित रूप से सवाल उठते रहे हैं. वेदांता ने जून 2018 में झारखंड में एक स्टील प्लांट का भी अधिग्रहण किया था.
यह कंपनी ईएसएल स्टील लिमिटेड पिछले साल नवंबर में स्थानीय लोगों और वेदांता के सुरक्षा गार्डों के बीच झड़प के कारण सुर्खियों में थी. स्थानीय लोगों ने क्षेत्र में स्थानीय समुदायों के लिए अधिक नौकरियों की मांग को लेकर स्टील प्लांट के गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था.
महेंद्र के. जालान और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियां
जैसा कि द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कोलकाता के उद्योगपति महेंद्र के. जालान और उनके परिवार से जुड़ी चार कंपनियों ने अप्रैल 2019 से जनवरी 2024 के बीच 616.92 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे, जो इस समूह को तीसरा सबसे बड़ा राजनीतिक चंदादाता बनाता है. चार कंपनियों के नाम केवेंटर फूडपार्क इंफ्रा लिमिटेड, मदनलाल लिमिटेड, एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड और ससमल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड हैं.
चुनाव आयोग द्वारा जारी नवीनतम डेटा से पता चलता है कि इन कंपनियों ने कई राजनीतिक दलों – भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, शिरोमणि अकाली दल, समाजवादी पार्टी, आप, बीजू जनता दल, भारत राष्ट्र समिति और झारखंड मुक्ति मोर्चा को चंदा दिया. सबसे अधिक राशि भाजपा (351.92 करोड़) को मिली, उसके बाद कांग्रेस (160.6 करोड़) का नंबर आता है. तीसरी सबसे बड़ी राशि टीएमसी (65.9) को मिली.
द वायर की रिपोर्ट में बताया गया था कि ‘करीब दो दशक पहले तक जालान एक रियल एस्टेट कारोबारी के रूप में जाने जाते थे. इसके बाद उन्होंने डेयरी, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में उल्लेखनीय विस्तार किया. 2022 तक जालान कोलकाता की हुगली (गंगा) नदी पर स्ट्रैंड रोड के सामने एक 33 मंजिला इमारत बनाने की योजना बना रहे थे और इसकी छत पर एक हेलीपैड बनाने की योजना थी. फिलहाल योजना ठंडे बस्ते में है.’
रिपोर्ट में आगे बताया था, ‘जालान ने 2013 से भाजपा और टीएमसी दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे हैं. उस समय जब मोदी सत्ता में नहीं आए थे, जालान बंगाल में मोदी की बैठक में शामिल होने वाले कुछ व्यापारियों में से एक हुआ करते थे. उसी दौरान, वह ममता बनर्जी के कार्यक्रमों में भी शामिल होते देखे जाते थे.’
रिपोर्ट मे आगे बताया गया था, ‘… जालान बॉन्ड खरीदने वाली सभी चार कंपनियों के निदेशक मंडल का हिस्सा नहीं हैं. उनमें से कुछ में राधेश्याम खेतान प्रभारी हैं. खेतान मदनलाल लिमिटेड और एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड के निदेशक मंडल का हिस्सा हैं. वह मदनलाल लिमिटेड समूह की कंपनी केवेंटर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के मुख्य परिचालन अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं. कंपनी की प्रोफ़ाइल के अनुसार, मदनलाल लिमिटेड प्रतिभूतियों की खरीदी-बिक्री और रियल एस्टेट क्षेत्र में काम करती है.’
क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड
क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड ने भाजपा को 375 करोड़ रुपये, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 10 करोड़ रुपये और शिवसेना को 25 करोड़ रुपये का चंदा दिया.
कंपनी रिलायंस की सहायक कंपनी के रूप में सूचीबद्ध नहीं है, लेकिन रिलायंस से एक मजबूत कनेक्शन दिखाई देता है. कंपनी के दो वर्तमान निदेशक विपुल प्राणलाल मेहता और तापस मित्रा हैं. ज़ौबा कॉर्प के अनुसार, तापस मित्रा रिलायंस ऑयल एंड पेट्रोलियम, रिलायंस इरोज प्रोडक्शंस, रिलायंस फोटो फिल्म्स, रिलायंस फायर ब्रिगेड्स, आरएएल इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस फर्स्ट प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस पॉलिएस्टर सहित अन्य के भी निदेशक हैं. रॉयटर्स के अनुसार, क्विक सप्लाई में 50% से अधिक हिस्सेदारी रिलायंस समूह की तीन कंपनियों के पास है.
यह 2018 के बाद से बॉन्ड खरीदने वाली व्यक्तिगत कंपनियों के बीच तीसरी सबसे बड़ी खरीदार है. मुंबई की इस कंपनी ने 410 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे.
ज़ौबा कॉर्प पर उपलब्ध कंपनी की जानकारी के अनुसार, कंपनी की स्थापना 23 साल पहले 2000 में हुई थी. ईसीआई की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, रिलायंस समूह से जुड़ी कंपनी क्विक सप्लाई चेन ने 5 जनवरी 2022 को पहली बार बॉन्ड खरीदा. पांच दिन बाद 10 जनवरी को इसने फिर बॉन्ड खरीदे. इसके बाद अगली खरीद 11 नवंबर 2022 और फिर सालभर बाद 17 नवंबर 2023 को हुई. खरीदे गए सभी बॉन्ड 1 करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग में थे.
ज़ौबा कॉर्प पर अपलोड डेटा के अनुसार, कंपनी का कहना है कि उसका कार्यालय दक्षिण मुंबई के धोबी तालाब में है.
संजीव गोयनका समूह
कोलकाता के अरबपति उद्योगपति संजीव गोयनका की विभिन्न कंपनियों ने टीएमसी को सबसे अधिक चंदा दिया, उसके बाद भाजपा और कांग्रेस का नंबर आता है.
समूह ने पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ दल टीएमसी को 422 करोड़ रुपये का चंदा दिया. भाजपा और कांग्रेस को क्रमश: 127 करोड़ रुपये और 15 करोड़ रुपये का चंदा मिला.
द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि समूह प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच के दायरे में रहा था. सीबीआई जांच शुरू होने के बाद 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे गए थे.
समूह ने मार्च-अप्रैल 2021 के दौरान सबसे अधिक बॉन्ड खरीदे थे. इसी दौरान, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए थे. केरल और असम में भी विधानसभा चुनाव लगभग उसी समय हुए थे.
चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली समूह की पांच कंपनियां थीं: हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, फिलिप्स कार्बन ब्लैक लिमिटेड, क्रिसेंट पावर लिमिटेड और आरपीएसजी वेंचर्स लिमिटेड.
संयोग से, समूह की दो कंपनियों पर कैग ने कोयला नीलामी में धांधली का भी आरोप लगाया था.
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