हमें सरहद पर बुला लें तो आज भी लड़ने के लिए तैयार हैं: लोंगेवाला लड़ाई के नायक मेजर चांदपुरी

फिल्मकार जेपी दत्ता की फिल्म बॉर्डर लाेंगेवाला की लड़ाई पर ही बनी थी, जिसमें सनी देआेल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार अदा किया था.

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मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी (फोटो साभार: विकीपीडिया)

फिल्मकार जेपी दत्ता की फिल्म बॉर्डर लाेंगेवाला की लड़ाई पर ही बनी थी, जिसमें सनी देआेल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार अदा किया था.

मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी (फोटो साभार: विकीपीडिया)
मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी (फोटो साभार: विकीपीडिया)

जैसलमेर: रेगिस्तान की सर्द रात में पाकिस्तानी फौज के सैकड़ों जवानों के राजस्थान में घुसने के दुस्वप्नों को महज 120 हिंदुस्तानी जवानों के पराक्रम ने चकनाचूर कर दिया था.

23वीं पंजाब रेजीमेंट के उन जवानों का नेतृत्व करने वाले मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी 1971 की जीत का श्रेय उन जवानों को देते हुए आज भी खुद को सरहद पर लड़ने के लिए तैयार बताते हैं और कहते हैं कि आखिरी सांस तक देश के लिए उपलब्ध हूं.

जैसलमेर से करीब 120 किलोमीटर दूर लोंगेवाला पोस्ट पर जाकर 46 साल पहले की चार-पांच दिसंबर की उस दरमियानी रात के मंजर को महसूस किया जा सकता है. वहां खडे़ पाकिस्तान के टैंक आपको भारतीय सपूतों की वीरता की कहानी बताते हैं.

कुछ साल पहले इस पोस्ट को आम लोगों के लिए खोला गया था. वहां जाकर उस रेत के गर्त में दबी भारतीय रणबांकुरों के साहस की कहानी को सामने से महसूस कर सकते हैं.

मेजर चांदपुरी पांच दिसंबर की सुबह यानी कल लोंगेवाला की उस पोस्ट पर आयोजित समारोहों में भाग लेंगे, जो 1971 में भारतीय सेना के पराक्रम का साक्षी बना था. हालांकि सेहत ठीक नहीं है, उम्र का भी तकाजा है लेकिन अधिकारियों के आग्रह पर 77 साल के चांदपुरी लोंगेवाला पहुंच रहे हैं.

मेजर चांदपुरी चंडीगढ़ में रहते हैं. उन्होंने फोन पर समाचार एजेंसी भाषा से लंबी बातचीत में बताया कि उन्हें जब भी सेना के अधिकारी किसी भी कार्यक्रम के लिए बुलाते हैं तो वह अवश्य जाते हैं चाहे सेहत साथ न भी दे रही हो.

बड़े इत्मिनान से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी न नहीं कहा. जब तक जिंदा हूं, देश के लिए हूं. सेना जब चाहे, मैं उपलब्ध हूं. आखिरी सांस तक लोंगेवाला जाता रहूंगा.’

मेजर चांदपुरी ने तो यह भी कहा, ‘हमें तो सरहद पर बुला लें तो आज भी लड़ने के लिए तैयार बैठे हैं. सारी उम्र यही काम किया तो डरना कैसा.

खबरों के मुताबिक कल आयोजित समारोह में पोस्ट पर मौजूद जवान लोंगेवाला की लड़ाई के लोमहर्षक दृश्यों को रिक्रिएट वीरता के उस इतिहास की झालक पेश कर सकते हैं.

1971 की लड़ाई में भारतीय सेना के कारनामे को बयां करते हुए उन्होंने बताया कि 35 टी टैंकों के साथ आये पाकिस्तान के सैकड़ों जवानों को रोककर रखने और लोंगेवाला से आगे नहीं बढ़ने देने में मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर लडे़ जवानों की सर्वाधिक प्रशंसनीय भूमिका रही.

मौत सामने देखकर भी पांव पीछे नहीं खींचने वाले इन जवानों की बहादुरी की वजह से ही अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में भी लड़ाई लड़ी गयी और दुश्मन को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने कहा कि एक सैनिक के तौर पर मैं उन जवानों को ही इस जीत का श्रेय देना चाहूंगा.

Longewala war
फोटो साभार: reportmysignal.blogspot.in

विनम्रता के साथ मेजर साहब बोले, ‘मुझे महावीर चक्र और अन्य बहादुरी पुरस्कार मिले लेकिन इसका श्रेय आज भी मैं अपने साहसी और बहादुर जवानों को देता हूं.’

उन्होंने बताया, ‘हमारे पास टैंक नहीं थे, हम चारों तरफ से घिरे थे. उस पर भी रेत के गुबार चुनौती पैदा करने वाले थे. सर्द रात भयावह लंबी लग रही थी. हम दिन चढ़ने की प्रार्थना कर रहे थे ताकि वायु सेना के विमान आ सकें. अंतत: वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने आकर दुश्मन के कई टैंकों को तबाह कर दिया और लोंगेवाला के रास्ते राजस्थान के अंदर तक आने और यहां बडे़ हिस्से पर कब्जा करने की पड़ोसी देश की साजिश नाकाम हो गयी.’

मेजर चांदपुरी ने कहा, ‘भारतीय वायुसेना को मेरा सलाम. उनकी अपनी समस्याएं और सीमाएं थीं लेकिन उनके आते ही पाकिस्तान के टैंक तबाह हो गये.’

उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में यह भी कहा कि दुश्मन इतनी बड़ी फौज के साथ आया लेकिन वह 23वीं पंजाब बटालियन के जवानों के साथ फंस गया.

मेजर चांदपुरी को जब पाकिस्तानी फौज के लोंगेवाला की तरफ बढ़ने का पता चला था तो उनके पास दो ही विकल्प थे. या तो वे अपने पोस्ट पर तैयार रहें या उसे छोड़कर पीछे चले जाएं. उन्होंने और उनके जवानों ने अपने मोर्चे से पीछे न हटने और वही डटे रहने का फैसला किया.

उन्होंने बताया कि उन्हें और सारे जवानों को लोंगेवाला पोस्ट पर स्थित देवी के एक छोटे से मंदिर पर पूरा भराेसा रहा है, जहां वे राेज प्रसाद चढ़ाते थे और रात काे देसी घी का दीया जलाते थे.

मेजर चांदपुरी ने बताया कि मैं इस बार भी वहां जाकर पहले मंदिर पर मत्था टेकूंगा फिर आगे के कार्यक्रमाें में हिस्सा लूंगा.

ज्ञात हो कि फिल्मकार जेपी दत्ता की 1997 में आई हिट फिल्म बॉर्डर लाेंगेवाला की लड़ाई पर ही बनी थी, जिसमें सनी देआेल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार अदा किया था.