जालंधर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा पंजाब में 2024 के संसदीय चुनावों के लिए छह उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही उत्तेजित किसानों ने भी भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने गांवों में भाजपा नेताओं के प्रवेश को रोकने वाले पोस्टर लगाना शुरू कर दिए हैं. पंजाब में 1 जून को मतदान होना है.
अधिकांश बैनर विभिन्न किसान संघों द्वारा खुद से लगाए जा रहे हैं, वहीं शंभू और खनौरी सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने भी एक अलग पोस्टर जारी किया है जिसमें किसानों के खिलाफ भाजपा की ‘बर्बरता’ की आलोचना की गई है.
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केकेएम ने अपना पोस्टर युवा किसान शुभकरण सिंह को समर्पित किया है, जिनकी खनौरी सीमा पर कथित तौर पर सुरक्षा बलों ने तब गोली मारकर हत्या कर दी थी जब किसान 21 फरवरी को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
भाजपा विरोधी संदेश
अधिकांश गांवों में, किसान ‘किसान दा दिल्ली जाना बंद है, भाजपा दा पिंड विच औना बंद है’ जैसे नारे वाले पोस्टर लगा रहे हैं’, जिन्हें भाकियू (एकता दकौंदा), भुचो खुर्द, भठिंडा द्वारा जारी किया गया.
भाकियू एकता, सिधुपुर का शुभकरण को समर्पित एक और बैनर कई गांवों में लगाया गया, जिस पर लिखा था: ‘मेरा की कसूर सी (मेरी क्या गलती थी)…’
सिर्फ पोस्टर ही नहीं, पंजाब के गांवों से मोदी सरकार पर सवाल उठाने वाले लोगों के वीडियो भी फेसबुक और इंस्टाग्राम पर वायरल हो गए हैं.
इस बात पर जोर देते हुए कि इस साल के किसान आंदोलन के खिलाफ हरियाणा सरकार की सख्त नीति के मद्देनजर किसानों में असंतोष और गुस्सा बढ़ रहा है, भाकियू क्रांतिकारी महासचिव बलदेव सिंह जीरा ने कहा, ‘जिस तरह से शुभकरण सिंह की हत्या की गई, किसानों पर आंसू गैस के गोले और पैलेट्स का इस्तेमाल किया गया,जिसने किसानों को गंभीर रूप से घायल कर दिया, इससे लोग न केवल गुस्से में हैं बल्कि उन्होंने भाजपा का पूरी तरह से बहिष्कार करने का फैसला किया है. लोग पार्टी के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और हर जगह ऐसे पोस्टर लगा रहे हैं.’
बलदेव ने कहा कि एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम ने भाजपा नेताओं और विभिन्न दलों के अन्य राजनेताओं से सवाल पूछने का आह्वान किया है.
उन्होंने कहा, ‘हमारा आह्वान भाजपा से सवाल पूछने तक ही सीमित था. हालांकि, भाजपा से नाराज लोगों ने उसके नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले बैनर लगाने शुरू कर दिए हैं. हमने किसानों से न केवल भाजपा नेताओं बल्कि अन्य दलों के नेताओं से भी सवाल करने को कहा है, ताकि लोगों को एमएसपी और अन्य कृषि मुद्दों पर उनका रुख पता चल सके. इसका पंजाब में भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ेगा.’
उन्होंने कहा कि भाजपा के खिलाफ विरोध का नेतृत्व सिर्फ एसकेएम (गैरराजनीतिक) और केएमएम द्वारा नहीं किया जा रहा है, बल्कि एसकेएम द्वारा भी किया जा रहा है, जिसने दिल्ली में पिछले किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था.
उन्होंने कहा, ‘2020 के पिछले किसान आंदोलन की तरह ही इस बार भी भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.’
संगरूर जिले के नामोल गांव में भी ग्रामीणों ने पिछले हफ्ते एक पोस्टर लगाकर भाजपा नेताओं से उनके गांव में आने से परहेज करने को कहा था. पोस्टर भाकियू आजाद द्वारा जारी किया गया था.
शंभू बॉर्डर से द वायर से बात करते हुए भाकियू एकता आजाद के अध्यक्ष हैप्पी सिंह नामोल ने कहा कि जिस तरह भाजपा ने किसानों को दिल्ली नहीं पहुंचने दिया, उसी तरह वे भाजपा को अपने गांव में नहीं घुसने देंगे. वह पूछते हैं, ‘जो लोग हमारे खिलाफ गलत इरादे रखते हैं, हम उन्हें अपने गांवों तक कैसे पहुंचने दे सकते हैं?’
मनसा जिले के कोटली कलां गांव में किसानों के साथ ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से अपने गांव के प्रवेश द्वार पर एक बैनर लगाया है, जिसमें लिखा है कि ‘भाजपा-आरएसएस की नो एंट्री.’
ऐसा ही एक पोस्टर बठिंडा के मंडी कलां में भी एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम जारी किया गया है, जिसमें यह तक कहा गया है कि अगर कोई भाजपा नेता को गांव में लाता है या कोई पार्टी भाजपा से गठबंधन करती है तो उन्हें भी कड़े विरोध का सामना करना होगा.
द वायर से बात करते हुए भाकियू (शहीद भगत सिंह) के प्रवक्ता तेजवीर सिंह अंबाला ने कहा कि ज्यादातर किसान संघों ने अपने स्तर पर इसी थीम पर पोस्टर बनाए हैं. पंजाब और हरियाणा के गांवों में विभिन्न किसान संघों और स्थानीय लोगों द्वारा भाजपा के खिलाफ पोस्टर लगाए जा रहे हैं.
भाकियू (एकता-आजाद) के राज्य सचिव मंजीत सिंह नियाल, जिनके संगठन ने पटियाला जिले के नियाल गांव में पोस्टर लगाए, ने कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा के पूर्ण बहिष्कार की घोषणा की है.
उन्होंने कहा, ‘किसानों का भाजपा के लिए स्पष्ट संदेश है कि वे नहीं चाहते कि भाजपा नेता उनके गांवों में प्रवेश करें. हम 13 फरवरी से शंभू सीमा पर डेरा डाले हुए हैं लेकिन हमारी मांगों को सुनने के बजाय भाजपा ने एक युवा किसान को मार डाला, अन्य को घायल कर दिया और हाईवे को ब्लॉक कर दिया, जिससे देश के भीतर एक सीमा बन गई है.’
गौरतलब है कि पंजाब में यह पहली बार है कि भाजपा अपने दम पर संसदीय चुनाव लड़ेगी. इससे पहले, भाजपा ने 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा था, क्योंकि 2020 में कृषि कानूनों के विरोध के बाद शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने अपने रास्ते अलग कर लिए थे.
भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया
ग्रामीणों के बीच भाजपा विरोधी भावना पर प्रतिक्रिया देते हुए पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हरजीत सिंह ग्रेवाल ने द वायर से कहा कि ग्रामीण नहीं बल्कि किसान संघ मतदाताओं को गुमराह कर रहे हैं.
उन्होंने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा, ‘हमारी पार्टी के खिलाफ इस पोस्टर वॉर के लिए किसान संघों के अलावा आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस भी जिम्मेदार हैं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि किसान भाजपा के साथ हैं. जहां तक शंभू और खनौरी सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शन का सवाल है, तो यह उनका अधिकार है और वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन हिंसक तरीके से नहीं. हम उनके विरोध का स्वागत करते हैं.’
एसकेएम ‘जन महापंचायत’ करके भाजपा से पूछेगा सवाल
एसकेएम ने आम चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ देश भर में ‘जन महापंचायत’ की घोषणा की है. एक प्रेस विज्ञप्ति में एसकेएम ने भी कहा कि वह देश भर के गांवों में भाजपा पर सवाल उठाने वाले पोस्टर और बैनर लगाएगा.
समूह ने कहा, ‘जन महापंचायत लोगों से कृषि संकट, एमएसपी, ऋण माफी, बेरोजगारी, श्रम संहिता और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण जैसे आजीविका के मुद्दों पर चर्चा करने की अपील करेगी. इसमें लोगों से मोदी सरकार के तानाशाही तरीकों को खत्म करने और भारत के संविधान में निहित लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, संघीय सिद्धांतों की रक्षा करने की भी अपील की जाएगी.’
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