तमिलनाडु और केरल के तटों से 809 मछुआरे नौका के साथ बहकर महाराष्ट्र तट पहुंचे.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा है कि चक्रवाती तूफान ओखी के तमिलनाडु और केरल तटों से टकराने के बाद 39 लोग मारे गए और 167 मछुआरे अब भी लापता हैं जबकि 809 अन्य पानी के बहाव के साथ महाराष्ट्र तट पर पहुंच गए.
मंत्रालय में संयुक्त सचिव संजीव कुमार जिंदल ने यह भी कहा कि चक्रवात अब धीमा पड़ रहा है और गुजरात में इसका कोई असर नहीं होगा, जहां चार दिन बाद विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है.
उन्होंने यहां पत्रकारों को बताया, अभी तक तमिलनाडु में 10 और केरल में 29 लोग जान गंवा चुके हैं. लापता लोगों की ठीक-ठीक संख्या का अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन उपलब्ध सूचना के मुताबिक तमिलनाडु में 74 और केरल में 93 मछुआरे लापता हैं.
राहत एवं बचाव टीमों ने कुल 556 मछुआरों को समुद्र से बचाकर निकाला था. लापता मछुआरों की ठीक-ठीक संख्या का पता लगाने के लिए राज्य सरकारें प्रभावित गांवों के संपर्क में हैं.
तमिलनाडु और केरल के कुल 809 मछुआरे अपनी नौका के साथ बह गए और महाराष्ट्र तट तक पहुंचे जहां उन्हें भोजन एवं आश्रय प्रदान किया गया. लक्षद्वीप में 33 पर्यटक, घरेलू एवं विदेशी, सुरक्षित हैं जबकि 250 मछुआरे भी सुरक्षित पहुंचने में कामयाब रहे.
जिंदल ने कहा कि आठ नाविकों वाले दो व्यापारिक पोतों को नौसेना एवं तटरक्षक बल की टीमें सुरक्षित लक्षद्वीप लेकर आईं. यह पूछे जाने पर कि क्या चक्रवात से गुजरात में चुनाव प्रक्रिया प्रभावित होगी, जिंदल ने कहा कि ऐसी कोई संभावना नहीं है क्योंकि यह पहले ही धीमा पड़ चुका है.
इस बीच, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने मंगलवार को पूर्वी एवं पश्चिमी तटों में मछुआरों से कहा कि वे अगले तीन दिन तक समुद्र में नहीं जाएं, क्योंकि चक्रवात ओखी के कारण कई इलाकों में भारी बारिश हो सकती है.
चक्रवात अलर्ट के कारण लोगों से नहीं घबराने की अपील करते हुए एनडीएमए ने एक परामर्श में कहा कि आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु तटों के पास के मछुआरों को 6 से 8 दिसंबर के बीच समुद्र में नहीं जाना चाहिए जबकि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के मछुआरों को बुधवार तक समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी गई है.
दक्षिणी गुजरात एवं उत्तरी महाराष्ट्र तटों के पास रहने वाले मछुआरों से बुधवार सुबह तक समुद्र में नहीं जाने के लिए कहा गया है. चक्रवात ओखी पूर्व मध्य अरब सागर का रुख करेगा और 21 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उत्तर-पूर्वोत्तर की ओर बढ़ेगा. यह पूर्व-मध्य अरब सागर के ऊपर बना रहेगा.
एनडीएमए ने कहा कि महाराष्ट्र के ज्यादातर इलाकों में हल्की से सामान्य बारिश होने की उम्मीद है. उत्तरी कोंकण, पालघर, ठाणे, राजगढ़, ग्रेटर मुंबई, धुले, नंदूरबार, नासिक, जलगांव, अहमदनगर और पुणे जिलों में भारी बारिश भी हो सकती है.
मौसम केंद्र के एक अधिकारी ने बताया कि चक्रवात अब धीरे-धीरे गुजरात की तरफ बढ़ रहा है और सूरत से महज 390 किलोमीटर अरब सागर में केंद्रित है. इसके उत्तर-उत्तर पश्चिमी दिशा की तरफ बढ़ने की बहुत संभावना है.
मंगलवार को भारतीय मौसम विभाग की ओर से जारी ताजा बुलेटिन के मुताबिक, चक्रवात मंगलवार रात सूरत के पास तटरेखा तक पहुंचने की आशंका है.
बुलेटिन के मुताबिक, इसके उत्तर-उत्तरपश्चिम की तरफ बढ़ने, धीरे-धीरे कमजोर पड़ने और फिर पांच दिसंबर की रात गहरे दबाव के रूप में दक्षिण गुजरात एवं सूरत के पास महाराष्ट्र के तटों तक पहुंचने की बहुत अधिक संभावना है.
मौसम विभाग ने ज्यादातर जगहों पर मध्यम बारिश का पूर्वानुमान किया है जबकि सौराष्ट्र एवं दक्षिण गुजरात में कुछ जगहों पर भारी बारिश होगी. दक्षिण गुजरात, दमन, दीव और दादरा नगर हवेली में चक्रवात से नुकसान होने की आशंका है.
एनडीएमए ने बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व में हवा का कम दबाव का क्षेत्र बनने का पूर्वानुमान लगाया है. कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा के नेतृत्व में राष्ट्रीय संकट प्रबंधन कमेटी एनसीएमसी गहरे समुद्र में और ओखी चक्रवात से प्रभावित तटीय इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य चला रही है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एनसीएमसी ने सोमवार को महाराष्ट्र और गुजरात में तैयारियों का जायजा लिया था, इन राज्यों के चक्रवात से प्रभावित होने की आशंका है.
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह चक्रवात ओखी के कारण केरल, तमिलनाडु और लक्षद्वीप के विभिन्न हिस्सों में उत्पन्न स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं जो अब गुजरात की ओर बढ़ रहा है.
मोदी ने ट्वीट किया, सभी संबद्ध प्राधिकार एवं अधिकारियों से बात की. इसमें प्रभावित लोगों को हर संभव मदद प्रदान किया जा रहा है. उन्होंने गुजरात में भाजपा कार्यकर्ताओं से राज्य में लोगों की मदद पर ध्यान देने को कहा जहां इसके पहुंचने की संभावना है. प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, हमारे कार्यकर्ताओं को नागरिकों के कंधे से कंध मिलाकर चलने और हर संभव मदद पहुंचाने के लिए समर्पित रहना चाहिए.