नई दिल्ली: 2 मई को गुजरात के सुरेंद्रनगर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने एक बार फिर से मुस्लिम-विरोधी बयान दिया है, जो उनके चुनावी अभियान का मुख्य आधार बन गया है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर एक नया आरोप जड़ते हुए कहा कि अगर यह सत्ता में आती है तो वह ऐसा विशेष कोटा बनाएगी जिसके अंतर्गत सरकारी ठेके मुसलमानों को दिए जाएंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कांग्रेस का घोषणा पत्र हर बिंदु पर तुष्टिकरण, तुष्टिकरण और तुष्टीकरण से भरा है. आज मैं आपको उनके घोषणापत्र के बारे में कुछ बताऊंगा जो आपको चौंका देगा. उन्होंने अपने मेनिफेस्टो में लिखित कहा है. मेरे पत्रकार बंधु भी चौंक जाएंगे ये सुनकर. उन्होंने लिखित में कहा है.. कि अब जो सरकारी टेंडर होंगे.. उस टेंडर में भी, माइनोरिटी के लिए – मुसलमानों के लिए.. एक कोटा फिक्स्ड कर दिया जाएगा. तो क्या अब सरकारी ठेकों में भी.. धर्म के आधार पर आरक्षण लाया जाएगा क्या?’
मोदी ने आगे कहा सरकारी टेंडर देने की देश आज़ाद हुआ है तब से एक तय प्रक्रिया होती है. जो सही बोली लगाता है, जो अच्छी क्वालिटी का ट्रैक रिकॉर्ड रखता है, उसे ठेका मिलता है. जाति और धर्म के आधार पर ठेका नहीं मिलता है. उन्होंने आरोप लगाया कि फिर भी कांग्रेस अपने ‘वोट बैंक’ के लिए धर्म के आधार पर ठेका देने की बात कर रही है.
लेकिन मोदी के दावे का आधार क्या है? क्या 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में वास्तव में सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए कोटा शुरू करने का प्रस्ताव है?
नहीं.
कांग्रेस के घोषणापत्र में दो स्थानों पर ऐसे सार्वजनिक ठेकों का उल्लेख हुआ है.
पहला पृष्ठ 6, पैरा 8:
एससी और एसटी समुदायों के ठेकेदारों को अधिक सार्वजनिक कार्य अनुबंध देने के लिए सार्वजनिक खरीद नीति का दायरा बढ़ाया जाएगा.
पृष्ठ 8, पैरा 6:
हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक रोजगार, सार्वजनिक कार्य अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले.
यह स्पष्ट है कि कांग्रेस का कहना है कि वह ‘एससी और एसटी समुदायों के ठेकेदारों को अधिक सार्वजनिक कार्यों के ठेके देगी. वहीं अल्पसंख्यकों के मामले में पार्टी का कहना है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि ‘अल्पसंख्यकों को… सार्वजनिक कार्य अनुबंधों में… बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले.’
घोषणापत्र में कहीं भी अल्पसंख्यकों या मुसलमानों के लिए निश्चित कोटा की बात नहीं की गई है. कांग्रेस सिर्फ़ यह कहती है कि यह अल्पसंख्यकों के लिए बिना किसी ‘भेदभाव’ के ‘उचित हिस्सेदारी’ सुनिश्चित करेगी. एक अन्य पैराग्राफ में यह सुनिश्चित करने का वादा किया गया है कि बैंक बिना किसी भेदभाव के अल्पसंख्यकों को संस्थागत ऋण प्रदान करेंगे. इस समस्या का सामना अक्सर भारत में मुसलमानों को करना पड़ता है. लेकिन शायद मोदी अपने भविष्य के भाषणों में यह दावा कर सकते हैं कि, ‘कांग्रेस ‘बैंक ऋण के लिए कोटा’ का भी वादा कर रही है.’
अल्पसंख्यकों को बिना किसी भेदभाव के ‘अवसरों का उचित हिस्सा’ देने का वादा करने का अर्थ उनके लिए कोटा तय करना नहीं है. गौर करें, सच्चर समिति की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया था कि मुसलमानों को रोजगार, शिक्षा, आवास और वित्तपोषण में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. यह तथ्य प्रोफेसर अमिताभ कुंडू द्वारा अक्टूबर 2014 में मोदी सरकार को सौंपी गई अनुवर्ती रिपोर्ट में भी उल्लिखित है.
कुंडू पैनल ने विशेष रूप से कहा था कि कोटा ‘किसी समाज में व्यापक, प्रणालीगत भेदभाव को संबोधित करने के लिए कई उपकरणों में से एक है’ और सरकार को विविधता को बढ़ावा देने और भेदभाव को रोकने पर ध्यान देने के लिए ‘आरक्षण से परे’ आगे बढ़ना चाहिए ताकि सामाजिक न्याय हासिल हो सके. मोदी सरकार अब तक इसकी सिफ़ारिशों पर अमल करने में विफल रही है.
मुस्लिम उद्यमियों को अवसर की समानता की आवश्यकता है, और कांग्रेस का घोषणापत्र यही प्रदान करता हुआ प्रतीत होता है. ऐसा कैसे हुआ कि मोदी कांग्रेस के घोषणापत्र में इसे देखने से चूक गए.
उन्हें कांग्रेस का घोषणापत्र परेशान कर रहा है. लेकिन वह चतुर राजनेता हैं, उन्हें पता था कि अगर वे कांग्रेस पार्टी द्वारा किए जा रहे ‘सरकारी टेंडर’ वाले वादों पर हमला करेंगे तो एससी और एसटी मतदाताओं को दूर कर देने का जोखिम उठाएंगे. इसलिए उन्होंने जानबूझकर मुसलमानों के लिए ‘कोटा’ के मसले पर भ्रम फैलाना शुरू कर दिया.
जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है, हिंदू वोटों की तलाश में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए मोदी द्वारा दिए गये झूठे भाषणों की संख्या बढ़ रही है. चुनाव आयोग के पास शिकायतों का अंबार लगा हुआ है लेकिन उस पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)