इंटरनेट बंद करने के मामले में लगातार छठे साल शीर्ष पर भारत: रिपोर्ट

एक्सेस नाउ और कीप इट ऑन की रिपोर्ट बताती है कि साल 2023 में भारत ने 116 बार इंटरनेट शटडाउन किया. इस अवधि में किसी एक क़स्बे या शहर में इंटरनेट बंद करने के बजाय पूरे राज्य (जैसे- मणिपुर और पंजाब) का इंटरनेट बंद करने का चलन बढ़ा है.

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कश्मीर घाटी में अपना मोबाइल फोन इस्तेमाल करता एक व्यक्ति. (फोटो साभार: Pracsshannt K/Flickr, CC BY 2.0)

नई दिल्ली: इंटरनेट बंद (शटडाउन) करने के मामले में भारत लगातार छठे वर्ष शीर्ष स्थान पर रहा है. एक्सेस नाउ और #KeepItOn के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में भारत ने 116 बार इंटरनेट शटडाउन किया है. किसी एक कस्बे या शहर में इंटरनेट बंद करने के बजाय पूरे राज्य (जैसे- मणिपुर और पंजाब) का इंटरनेट बंद करने का चलन बढ़ा है.

इंटरनेट शटडाउन के मामले पूरी दुनिया में बढ़े हैं. साल 2023 में 39 देशों में 283 बार इंटरनेट शटडाउन की घटनाएं सामने आईं.

साल 2016 से इंटरनेट शटडाउन के आंकड़ों को जुटाया जा रहा है, तब से पहली बार इतनी घटनाएं दर्ज हुई हैं. 2022 से इंटरनेट शटडाउन के मामलों में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2019 की तुलना में 28 प्रतिशत की उछाल देखी गई है.

क्षेत्र की तनावपूर्ण स्थिति इंटरनेट शटडाउन के प्रमुख कारक के रूप में उभरी है. शटडाउन के खिलाफ लोगों आवाज भी उठनी शुरू हुई है. बावजूद इसके मानवाधिकारों को दबाने के लिए यह सरकारों का पसंदीदा हथियार बनता जा रहा है.

रिपोर्ट में लिखा है, ‘दसियों हजार लोगों की जान ले ली गई है – फिलिस्तीन से म्यांमार तक, सूडान से यूक्रेन तक – हमलावरों ने जवाबदेही से बचाने के लिए इंटरनेट शटडाउन का उपयोग किया है. हम उन्हें सफल नहीं होने दे सकते.’

भारत में किन वजहों से इंटरनेट शटडाउन

भारत में इंटरनेट शटडाउन का न केवल भौगोलिक रूप से विस्तारित हुआ, बल्कि लंबी अवधि तक भी बना रहा है. पांच दिनों या उससे अधिक समय तक चलने वाले शटडाउन का अनुपात 2022 में 15% था, जो 2023 में बढ़कर 41% से अधिक हो गया. इस वृद्धि की शुरुआत मई में हुई थी, जब भारत सरकार ने 14 मैसेजिंग ऐप को ब्लॉक कर दिया.

इसके अलावा जनवरी से अक्टूबर 2023 के बीच 7,502 यूआरएल को ब्लॉक करने का ऑर्डर जारी किया गया.

भारत के नए दूरसंचार कानून की वजह से केंद्र सरकार को शटडाउन लगाने के लिए ज्यादा शक्तियां मिल गई हैं, यह उसी का परिणाम है. हालांकि, जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन की घटी है. 2022 में जम्मू-कश्मीर में 49 बार इंटरनेट शटडाउन किया गया था. 2023 में यह संख्या 17 थी.

इंटरनेट शटडाउन के गंभीर आर्थिक नुकसान

मणिपुर में 212 दिनों तक राज्यव्यापी इंटरनेट शटडाउन था, जिससे करीब 3.2 मिलियन लोग प्रभावित हुए. पंजाब में लगातार चार दिनों तक लगभग 27 मिलियन लोगों को इंटरनेट ब्लैकआउट झेलना पड़ा.

पिछले वर्षों की तुलना में पांच दिनों या उससे अधिक समय तक चलने वालों में इंटरनेट शटडाउन में वृद्धि हुई है. लंबे समय तक इंटरनेट बंद रहने के गंभीर आर्थिक नुकसान भी हुए हैं. इसने लोगों को बेरोजगारी में धकेला और देश के निवेश के माहौल को प्रभावित किया है.

कीप इट ऑन की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एक दिन का बंद भारत में 379 लोगों को बेरोजगारी की ओर धकेल सकता है.’ रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यक्तिगत आजीविका से लेकर राष्ट्रीय जीडीपी तक सभी स्तरों पर इंटरनेट शटडाउन का गहरा आर्थिक प्रभाव पड़ा है.