हरियाणा पुलिस संगठन की चुनाव आयोग से शिकायत- बिना मुहर का पोस्टल बैलेट, फॉर्म 12 जमा करवाए

हरियाणा पुलिस संगठन के अध्यक्ष दिलावर सिंह का दावा है कि 25 मई को लोकसभा चुनाव के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा डाक मतपत्र से किया गया मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं था क्योंकि उनके फॉर्म, आधार कार्ड और वोटर आईडी एसपी कार्यालय में जमा करवा लिए गए थे.

(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार freepik)

नई दिल्ली: हरियाणा पुलिस संगठन (एचपीएस) का दावा है कि उनके हज़ारों वोटों की चोरी हुई है, उन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान से वंचित किया गया. हरियाणा में 25 मई को लोकसभा चुनाव के छठे चरण में मतदान हुआ था.

वर्तमान और पूर्व पुलिसकर्मियों के संगठन एचपीएस के करीब 50,000 सदस्य हैं. संगठन ने राज्य चुनाव आयोग से शिकायत कर उनके वोट ‘चुराए जाने’ के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.

क्या है आरोप

मतदान के दिन ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी आमतौर पर डाक मतपत्र (पोस्टल बैलेट पेपर) के जरिये मतदान करते हैं. द वायर से बातचीत में एचपीएस के अध्यक्ष दिलावर सिंह ने डाक मतपत्रों में वरिष्ठ पुलिस और प्रशासन द्वारा हेरफेर किए जाने की आशंका जताई.

सिंह ने कहा, ‘मानक अभ्यास यह होना चाहिए कि फॉर्म नंबर 12 में हम अपनी पूरी जानकारी भरें और चुनाव में खड़े उम्मीदवारों या चुनाव एजेंटों की मौजूदगी में व्यक्तिगत रूप से अपना वोट डालें.’

ज्ञात हो कि फॉर्म 12 चुनावी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों के लिए डाक मतपत्र के माध्यम से वोट डालने का एक औपचारिक आवेदन है.

एचपीएस अध्यक्ष दिलावर सिंह का आरोप है कि पुलिसकर्मियों को स्वयं वोट डालने की अनुमति देने के बजाय, उन्हें अपने-अपने जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय या जिला पुलिस मुख्यालय में बुलाया गया और फॉर्म नंबर 12 में पूरी जानकारी भरने को कहा गया. इसके बाद फॉर्म को बिना मुहर लगे मतपत्रों के साथ जमा करने का निर्देश दिया गया.

नोडल अधिकारी एवं पुलिस मुख्यालय (नारनौल) द्वारा भेजा गया पत्र. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

राज्य चुनाव आयोग को भेजी शिकायत

एचपीएस ने राज्य चुनाव आयुक्त को एक शिकायत भेजी है, जिसमें आरोप है कि पुलिसकर्मियों के वोटों को लूटा जा रहा है. शिकायत में ये भी आरोप है कि 2019 के आम चुनावों में भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रशासन के बीच मिलीभगत थी.

उनकी शिकायत में कहा गया है, ‘हरियाणा के डीजीपी ने ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों को अपने फॉर्म और विवरण उस पुलिस कल्याण विभाग में जमा कराने का आदेश दिया, जो चुनाव प्रकोष्ठ के रूप में भी काम करता है.’

45 साल पुराना है हरियाणा पुलिस संगठन

एचपीएस का गठन वर्ष 1979 में हुआ था. दावा है कि राज्य पुलिस से सेवानिवृत्त और कार्यरत कॉन्स्टेबल, हेड कॉन्स्टेबल, सहायक उप-निरीक्षक, उप-निरीक्षक और निरीक्षकों में से 50,000 संगठन के सदस्य हैं. सिंह ने कहा कि 2019 में भी पुलिसकर्मियों का डाक मतपत्रों से वोट करने का अनुभव अच्छा नहीं रहा था, यही वजह रही कि इस बार कई पुलिसकर्मियों ने मतदान करने से इनकार कर दिया.

सिंह ने कहा, ‘हमें अपने फॉर्म, आधार कार्ड और वोटर आईडी एसपी के कार्यालय में जमा करवाने पड़े. यह स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान नहीं है. इस बार अकेले रोहतक जिले में 2,125 पुलिसकर्मियों में से केवल 148 ने ही मतदान किया है. बाकी ने मतदान न करने का फैसला किया है. जब एसपी कार्यालय उनके कागजात लेकर खुद ही सब संभाल रहा है, तो वे मतदान क्यों करेंगे?’

इससे पहले मई 2024 में एचपीएस ने चुनाव अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की अपील की थी कि ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों को फॉर्म नंबर 12 की प्रतियां व्यक्तिगत रूप से सौंपी जाएं और उन्हें चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों या उनके एजेंटों की उपस्थिति में वोट डालने की अनुमति दी जाए, क्योंकि उनकी अनुपस्थिति में कई पुलिसकर्मी मतदान नहीं कर पाते हैं.

अपनी शिकायत और प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने महेंद्रगढ़ एसपी द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक नोटिस की प्रति भी संलग्न की, जिसमें पुलिसकर्मियों को सामूहिक रूप से फॉर्म नंबर 12, अपना विवरण और मतदाता पहचान-पत्र की प्रतियां एसपी कार्यालय में चुनाव प्रकोष्ठ में जमा कराने का निर्देश दिया गया था.

संबंधित अधिकारियों ने क्या कहा

संपर्क करने पर एसपी अर्श वर्मा ने दावा किया कि पत्र नोडल अधिकारी द्वारा जारी किया गया था और उन्हें इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है.

राज्य चुनाव आयोग के नोडल मीडिया अधिकारी मनीष लोहान ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी शिकायत के बारे में जानकारी नहीं है, मामले की ‘पूरी जानकारी’ मिलने के बाद वे इस पर गौर करेंगे.

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