नई दिल्ली: पाकिस्तान के सूचना मंत्रालय ने सोमवार (15 जुलाई) को कहा कि सरकार जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाएगी.
सूचना मंत्री अता तरार ने डीडब्ल्यू को बताया, ‘सरकार ने पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में एक केस आगे बढ़ाने का फैसला किया है, इस मामले में जरूरत पड़ने पर हम कैबिनेट और सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेंगे.’
तरार ने खान के खिलाफ देश की गुप्त सूचनाओं को लीक करने और दंगे भड़काने के आरोपों का हवाला देते हुए इस्लामाबाद में संवाददाताओं से कहा, ‘इस बात के विश्वसनीय प्रमाण हैं कि पीटीआई पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.’
इमरान खान के सलाहकार जुल्फिकार बुखारी ने डीडब्ल्यू को बताया कि ऐसा करके सरकार अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रही है. उन्होंने कहा, ‘हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने पीटीआई को नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा दिया है.’
इमरान ख़ान जेल में क्यों हैं?
साल 2018 से 2022 तक पकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे इमरान खान लगभग एक साल से जेल में बंद हैं.
सरकार द्वारा इमरान की पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा एक अदालत द्वारा उनकी तीसरी शादी से संबंधित मामले में उनकी रिहाई का आदेश देने के कुछ दिनों बाद की गई है. हालांकि, इमरान दंगे भड़काने के आरोप में जेल में ही रहेंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री पर 100 से अधिक मामलों में कई आरोप दर्ज हैं. कई मामलों में उनकी सजा और आरोपों को अदालतों ने या तो निलंबित कर दिया है या पलट दिया है.
खान का दावा है कि ये मामले राजनीति से प्रेरित हैं और सत्ता में उनकी वापसी को रोकने के लिए उनके ऊपर लगाए गए हैं.
शीर्ष अदालत ने पीटीआई के पक्ष में सुनाया फैसला
पीटीआई को इस साल की शुरुआत में चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था, जिससे उसके सदस्यों को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा था. चुनाव परिणाम के बाद ऐसे 93 उम्मीदवार जीत कर संसद पहुंचे, और पीटीआई संसद में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी.
पार्टी ने दावा किया था कि उन्हें संसद में अधिकांश सीटें जीतने से रोकने के लिए चुनाव के दिन बड़े पैमाने पर मतदान में धांधली हुई थी. पिछले हफ्ते, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पीटीआई को संसद में कम से कम 20 सीटों से अनुचित तरीके से वंचित किया गया था.
इमरान खान को पाकिस्तान के प्रभावशाली सैन्य जनरलों के साथ अनबन के बाद संसद में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता से बेदखल कर दिया गया था.
पाकिस्तान के लिए इसका क्या मतलब है?
पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने का सरकार का कदम देश को राजनीतिक अस्थिरता और अनिश्चितता में धकेल देगा.
इस्लामाबाद में डीडब्ल्यू के संवाददाता हारून जांजुआ ने कहा कि आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रयास को पलट दिए जाने की उम्मीद है.
राजनीतिक विश्लेषक जाहिद हुसैन ने डीडब्ल्यू को बताया कि यह कदम सरकार के पतन का कारण बनेगा.
संविधान विशेषज्ञ ओसामा मलिक ने डीडब्ल्यू को बताया कि पिछली पीटीआई सरकार ने इस्लामी चरमपंथी पार्टी टीएलपी को आतंकवादी संगठन घोषित करके आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत उस पर प्रतिबंध लगाकर एक दुर्भाग्यपूर्ण मिसाल कायम की थी. उन्होंने कहा, ‘पीटीआई के खिलाफ इसी मिसाल का इस्तेमाल किया जा सकता है.’
मलिक ने कहा कि किसी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाने की उचित कानूनी प्रक्रिया यह होगी कि कैबिनेट इसे देश हित के खिलाफ काम करने वाला घोषित करे और 15 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट को एक संदर्भ भेजे, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट उस राजनीतिक दल की किस्मत का फैसला करेगा.
यह लेख मूल रूप से डीडब्ल्यू पर प्रकाशित हुआ था.