वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्रस्तावित वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक को लेकर अफ़वाह फैलाई जा रही है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित क़ानून के एक मसौदे लेकर कतिपय जमाकर्ताओं की चिंता को दूर करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि सरकार वित्तीय संस्थानों में आम लोगों की जमा राशि की पूरी तरह रक्षा करेगी.
इसके साथ ही उन्होंने प्रस्तावित वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक में बदलाव को लेकर खुला रुख़ अपनाने का संकेत दिया.
जेटली ने कहा है कि बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये डालने की सरकार की योजना का उद्देश्य बैंकों को मज़बूत बनाना है और किसी बैंक के विफल होने का कोई सवाल नहीं है. अगर ऐसी कोई स्थिति आती भी है तो सरकार ग्राहकों की जमाओं की पूरी रक्षा करेगी.
वित्त मंत्री ने कहा, इस बारे में सरकार का रुख पूरी तरह स्पष्ट है. जेटली ने यह टिप्पणी वित्तीय समाधान व जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक 2017 के एक प्रावधान को लेकर चिंताओं को दूर करने के प्रयास में दी है. इस विधेयक को इस साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था. यह इस समय संयुक्त संसदीय समिति के पास विचाराधीन है.
कुछ विशेषज्ञों ने विधेयक के मसौदे में वित्तीय संस्थानों के लिए संकट से उबने के लिए बेल-इन यानी आंतरिक संसाधनों का सहारा के प्रावधान को बचत खातों के रूप में ग्राहकों की जमाओं को संभावित नुकसान वाला क़रार दिया है. जेटली ने कहा, यह विधेयक संसद की संयुक्त समिति के समक्ष है. समिति की जो भी सिफारिशें होंगी सरकार उन पर विचार करेगी.
उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं. मंत्री ने कहा, सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है, कह चुकी है कि वह सार्वजनिक बैंकों व वित्तीय संस्थानों को मज़बूत बनाने को प्रतिबद्ध है. सार्वजनिक बैंको को मजबूत बनाने के लिए उनमें 2.11 लाख करोड़ रुपये लगाए जा रहे हैं.
एफआरडीआई विधेयक में संशोधन जैसी स्थिति में विभिन्न वित्तीय संस्थानों, बैंकों, बीमा कंपनियों, ग़ैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा स्टॉक एक्सचेंज आदि की निगरानी का ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है.
मसौदा विधेयक में रिज़ोल्यूशन कॉरपोरेशन का प्रस्ताव किया गया है जो कि प्रक्रिया पर निगरानी रखेगा तथा बैंकों को दिवालिया होने से बचाएगा. वह यह काम देनदानियों को बट्टे खाते में डालते हुए करेगा, इस मुआवज़े की व्याख्या कुछ लोगों ने बेल इन के रूप में की है.
मसौदा विधेयक में रिज़ोल्यूशन कॉरपोरेशन को ढह रहे बैंक की देनदारियों रद्द करने या देनदारी की प्रकृति में बदलाव का अधिकार होगा. इसमें जमा बीमा राशि का ज़िक्र नहीं है. फिलहाल एक लाख रुपये तक की सारी जमाएं जमा बीमा व ऋण गारंटी कॉरपोरेशन क़ानून के तहत रक्षित हैं. विधेयक में इस कानून को समाप्त करने को कहा गया है.