राज्यसभा से अयोग्य घोषित होने से जुड़ी शरद यादव की याचिका पर सुनवाई करेगा हाईकोर्ट

शरद यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि उपसभापति वेंकैया नायडू ने उनका और अली अनवर अंसारी का पक्ष सुने बिना ही सदस्यता रद्द कर दी है.

/
शरद यादव (फोटो: पीटीआई)

शरद यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि सभापति वेंकैया नायडू ने उनका और अली अनवर अंसारी का पक्ष सुने बिना ही सदस्यता रद्द कर दी है.

शरद यादव (फोटो: पीटीआई)
शरद यादव (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की याचिका पर बुधवार को सुनवाई के लिए राजी हो गया जिसमें उन्होंने राज्यसभा से अपने अयोग्य किए जाने के खिलाफ याचिका दायर कर आदेश को तुरंत निरस्त करने की मांग की है.

मामला तत्काल सुनवाई के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ के समक्ष इस आधार पर लाया गया कि संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार से प्रारंभ होना है और यदि वह आदेश निरस्त नहीं किया जाता है तो वह सत्र में शामिल नहीं हो सकेंगे.

यादव की ओर से पेश अधिवक्ता निजाम पाशा ने कहा कि वह मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करवाना चाहते हैं ताकि अंतरिम आदेश पारित किया जा सके.

सदन में जदयू के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह के अधिवक्ता ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का विरोध किया.

बहरहाल, अदालत ने मामले को बुधवार को ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया.

यादव ने अपनी याचिका में कहा कि राज्यसभा के सभापति ने उनके तथा उनके पार्टी सहयोगी एवं सांसद अली अनवर के खिलाफ चार दिसंबर को आदेश देने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया.

उन्होंने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू के फैसले पर अंतरिम आदेश देने की मांग की.

इसी वर्ष जुलाई माह में जब जदयू के अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में राजद और कांग्रेस वाला महागठबंधन छोड़ने और भाजपा के साथ जुड़ने का फैसला लिया था तब यादव ने भी विपक्ष के साथ हाथ मिला लिया था.

यादव और अनवर को अयोग्य घोषित करते हुए सभापति ने जदयू की इस बात को माना था कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के निर्देशों को अनसुना करके और विपक्षी दलों के आयोजनों में शामिल हो कर अपनी सदस्यता स्वेच्छा से त्यागी है.

जदयू ने इस आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी कि दोनों नेता पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पटना में विपक्षी दलों की रैली में शामिल हुए हैं.

यादव सदन में पिछले वर्ष चुने गए थे और उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होना था. अनवर का कार्यकाल अगले वर्ष के प्रारंभ में समाप्त होना था.

सिंह ने राज्यसभा के सभापति से यादव को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया था. जिसके बाद दल-बदल विरोधी कानून के तहत नायडू ने उन्हें राज्यसभा सदस्य के तौर पर अयोग्य करार दिया था.