भाजपा सस्ती राजनीति करती है: मायावती

मायावती ने आरोप लगाया कि निकाय चुनाव के बाद सस्ती राजनीति की शुरुआत स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने केवल भाजपा के विजयी मेयरों को प्रधानमंत्री निवास बुलाकर की.

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मायावती (फोटो: पीटीआई)

मायावती ने आरोप लगाया कि निकाय चुनाव के बाद सस्ती राजनीति की शुरुआत स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने केवल भाजपा के विजयी मेयरों को प्रधानमंत्री निवास बुलाकर की.

मायावती (फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: सत्तारूढ़ भाजपा पर सस्ती राजनीति करने का आरोप लगाते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत सहित मातृभूमि का पूरा-पूरा आदर-सम्मान करती है तथा देशहित को पहली प्राथमिकता देती है.

मेरठ नगर निगम चुनाव के बाद बसपा की मेयर सुनीता वर्मा एवं अन्य के शपथ-ग्रहण समारोह को राजनीति का अखाड़ा बनाने की कोशिश करने पर भाजपा की तीखी आलोचना करते हुए मायावती ने कहा कि शपथ-ग्रहण समारोह के कार्यक्रम को सरकारी अधिकारियों को कानून के हिसाब से संचालित करने के लिए छोड़ देना चाहिए था, ताकि सब कुछ सुचारु रुप से हो सके.

मगर भाजपा के सदस्यों ने इसके बजाय इसे अपने हिसाब से संचालित करने के क्रम में बसपा के विरुद्ध नारेबाजी शुरु कर दी और इसी दौरान वंदेमातरम भी गाना शुरु कर दिया. ऐसे लोग समझा ही नहीं पाए कि इस अफरातफरी में देशगान भी गाया जा रहा है.

मायावती ने आगे कहा कि ऐसे समय में अगर नवनिर्वाचित मेयर सुनीता वर्मा स्वयं खड़ी नहीं हो पाई तो कम-से-कम अधिकारियों को इसका संज्ञान लेकर उनको बताना चाहिए था कि वंदेमातरम गाया जा रहा है.

मायावती ने कहा, ‘लोकतांत्रिक परंपराओं के निर्वहन में बसपा कभी किसी से पीछे नहीं रही है और इसी कारण संसद व विधानसभा के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत की परंपरा का पूरी तरह से अनुपालन सुनिश्चित किया है. मेयर और पार्षदों के शपथ-ग्रहण समारोह का भाजपा द्वारा अव्यवस्था फैलाकर इसको बसपा के खिलाफ राजनीति के अखाड़े के रुप में इस्तेमाल करके पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की. यह सर्वथा गलत व अशोभनीय है जिसकी बसपा कड़े शब्दों में निंदा करती है.’

उन्होंने यह भी कहा कि यह सर्वविदित ही है कि बसपा संविधान कानून एवं लोकतांत्रिक परंपराओं के साथ-साथ देशहित को सर्वोपरि रखती है. यह बाबा साहेब आंबेडकर की सीख है जबकि भाजपा धर्म, देशभक्ति, राष्ट्रवाद, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत आदि के नाम पर सस्ती राजनीति करके इन मुद्दों को विवाद का विषय बनाती रही है. हालांकि देशहित की मांग है कि इन मामलों को पूरा-पूरा सम्मान देते हुए इन पर किसी भी प्रकार का कोई विवाद पैदा नहीं किया जाए.

मायावती ने कहा कि शहरी निकाय के चुनाव में सत्ताधारी पार्टी होने व सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने के बावजूद भाजपा के 45 प्रतिशत अर्थात लगभग आधे प्रत्याशी अपनी ज़मानत तक नहीं बचा पाए हैं, जिसका क्रोध एवं खीझ उन्हें बसपा पर निकालने के बजाय उन्हें अपने अंदर झांककर देखना चाहिए कि जनता उनसे इतनी ज़्यादा आक्रोशित क्यों हैं?

उन्होंने आरोप लगाया कि शहरी निकाय चुनाव के बाद इस प्रकार की सस्ती राजनीति की शुरुआत स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की जब उन्होंने केवल भाजपा के विजयी मेयरों को प्रधानमंत्री निवास में दावत पर बुलाया.

भाजपा मेयरों के लिए अगर यह कार्यक्रम भाजपा के मुख्यालय में आयोजित किया जाता तो ठीक था. मगर प्रधानमंत्री निवास को भी राजभवन की तरह भाजपा एवं आरएसएस की गतिविधि के लिए इस्तेमाल किया जाने लगेगा तो फिर भाजपा द्वारा इस तरह के मामले सामने आएंगे.

मेरठ में शपथ ग्रहण के दौरान वंदेमातरम को लेकर हुआ था हंगामा

मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ में नगर निगम में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान वंदेमातरम गाने को लेकर हंगामा हो गया था. इससे पहले वंदेमातरम विवाद के बीच मेरठ में होने जा रहे मेयर और पार्षदों के शपथ ग्रहण समारोह के शुरू होने से पहले ही बसपा और भाजपा पार्षद आमने-सामने आ गए.

समारोह स्थल टाउन हॉल के बाहर भाजपाइयों ने बसपा के पोस्टर फाड़ दिए. महिला पार्षदों ने भी जमकर नारेबाजी की. टाउन हॉल के बाहर यातायात रोका गया. बड़ी मुश्किल से मौके पर मौजूद पुलिस हालातों को काबू में कर सकी. कार्यक्रम स्थल के अंदर घुसने के लिए भाजपाइयों की अधिकारियों से भी नोकझोंक हुई.

शपथ ग्रहण कार्यक्रम के शुरु होते ही भाजपा के पार्षद खुद खड़े होकर वंदेमातरम गाने लगे. इस दौरान बसपा की मेयर सुनीता वर्मा कुर्सी से खड़ी नहीं हुई. जैसे ही वंदेमातरम भाजपा के पार्षदों ने खत्म किया. उसके बाद भाजपा के पार्षद और उसके नेता मोदी और योगी के समर्थन में नारे लगाने लगे.

मौके पर मौजूद अफसरों ने हंगामा कर रहे पार्षदों को किसी तरह समझा-बुझा कर शांत किया जिसके बाद ही महापौर और पार्षदों शपथ-ग्रहण कराई जा सकी. इस हंगामे पर बसपा महापौर सुनीता वर्मा ने कहा कि संविधान में वंदेमातरम का उल्लेख नहीं है. सदन में वहीं होगा, जो संविधान में लिखा होगा.

नवनिर्वाचित महापौर सुनीता वर्मा ने मीडिया से कहा, ‘संविधान के मुताबिक नगर निगम सदन में काम कराए जाएंगे.’ इससे पहले पूर्व मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने सदन में ध्वनिमत से वंदेमातरम का प्रस्ताव अपने कार्यकाल में पारित कर दिया था.

मेरठ नगर निगम बोर्ड में पार्षदों की संख्या 90 है. इनमें भाजपा के 36, बसपा के 28, सपा के 4,कांग्रेस के 2, रालोद और एमआईएम के एक-एक पार्षद जीत कर आए हैं.