संसद का शीतकालीन सत्र के शुरू होने से पहले बृहस्पतिवार को महिला संगठनों ने महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग को लेकर रैली निकाली.
नई दिल्ली: कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने संबंधी विधेयक को पारित करने की ज़ोरदार पैरवी करते हुए बीते बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी इस सिलसिले में केंद्र के लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ेगी और इस मामले में विपक्ष की पूरी भूमिका निभाएगी.
राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की एक कार्यशाला में भाग लेते हुए राहुल ने देश की इस सबसे पुरानी पार्टी में बदलाव लाने के लिए महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका को रेखांकित किया.
उन्होंने इस कार्यशाला के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे उनकी पार्टी ने ‘गब्बर सिंह टैक्स’ (जीएसटी) में 28 प्रतिशत दर की सूची से कई वस्तुओं को दबाव डालकर बाहर निकलवाया वैसे ही वह महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी.
राहुल ने कहा, ‘सरकार को साफ संदेश देंगे कि आपको महिला आरक्षण तो लागू करना ही पड़ेगा. कांग्रेस पार्टी आपको विकल्प नहीं देगी.’ कांग्रेस इस विधेयक को पारित करवाने पर शुरू से ही बल दे रही है.
निवर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कुछ माह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में महिला आरक्षण विधेयक को पारित करवाने का अनुरोध किया था. उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में आश्वासन दिया था कि यदि सरकार महिला आरक्षण विधेयक संसद में पारित करवाने के लिए लाती है तो कांग्रेस पार्टी पूरा सहयोग देगी.
राहुल ने आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा, ‘आप कभी गांधी जी की कोई भी फोटो देखिए, उसमें आपको गांधी जी के पास तीन-चार महिलाएं ज़रूर दिखाई देंगी. जैसा मैंने कहा कि आरएसएस का जो संगठन है, उसमें महिला घुस भी नहीं सकती है. वो उनकी विचारधारा है. हमें कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को देश में फैलाना है और ये काम करने के लिए महिलाओं की ज़रूरत है.’
महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की मांग को लेकर रैली निकली
संसद के शीतकालीन सत्र के आरंभ होने से दो दिन पहले बृहस्पतिवार को कई महिला संगठनों ने महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग को लेकर रैली निकाली.
राष्ट्रीय राजधानी में एकजुटता मार्च निकालने वाले संगठनों ने सरकार को याद दिलाया कि वे संसद में जल्द विधेयक पारित कराने के अपने वादे को पूरा करे.
महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि लोकसभा में राजग सरकार के पास इतना बहुमत है कि वह इस विधेयक को लेकर घोषणापत्र में किए अपने-अपने वादे को पूरा कर सके.
सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी ने कहा, ‘सरकार के साढ़े तीन साल पूरा होने बावजूद विधेयक की उपेक्षा किए जाने को लेकर भारत की महिलाएं दुखी हैं. वर्तमान सरकार को लोगों का विश्वास फिर से जीतने के लिए कदम उठाने की ज़रूरत है.’
नेशनल अलायंस फॉर वूमेन रिज़र्वेशन बिल के बैनर तले 50 से अधिक संगठनों और आरडब्ल्यूए के लोग रैली में मौजूद थे. महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में नौ मार्च, 2010 को पारित किया गया था.