परमाणु बम के हमले से बचे जापानी लोगों के संगठन को मिला 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार

नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि जापान के संगठन 'निहान हिडांक्यो' को यह पुरस्कार दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने के उनके प्रयासों के लिए दिया गया है.

जेनबाकु डोम, 6 अगस्त 1945 को शहर पर परमाणु बमबारी में मारे गए लोगों के लिए हिरोशिमा में शांति स्मारक ( फोटो: neil137/pixabay.)

नई दिल्लीः साल 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार जापान के संगठन ‘निहान हिडांक्यो’ को मिला है. हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु विध्वंस से प्रभावित लोगों द्वारा स्थापित इस संगठन का उद्देश्य दुनिया को परमाणु हथियारों के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना है.

दो परमाणु विस्फोटों के दौरान जीवित बचे बुजुर्ग लोग, जिन्हें ‘हिबाकुशा’ के नाम से जाना जाता है, उन्होंने परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध के लिए अपना अभियान इसलिए जारी रखा ताकि वे युवा पीढ़ियों के बीच अपने प्रयासों को जीवित रख सके. 

नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने शुक्रवार (11 अक्टूबर) को निहान हिडांक्यो को विजेता के रूप में नामित किया था.

नोबेल कमेटी ने क्या कहा?

नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि संगठन को यह पुरस्कार दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने के उनके प्रयासों के लिए दिया गया है. साथ ही उन्हें इसलिए भी यह पुरस्कार दिया गया क्योंकि उन्होंने घटना के प्रत्यक्ष गवाहों के माध्यम से यह प्रदर्शित किया कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल दोबारा कभी नहीं किया जाना चाहिए. 

वाटने फ्राइडनेस ने संवाददाताओं से कहा, ‘इस वर्ष का पुरस्कार एक ऐसा पुरस्कार है जो परमाणु (बमों) से दूरी को बनाए रखने की आवश्यकता पर केंद्रित है. और यह हम सबकी जिम्मेदारी है, खासकर परमाणु शक्तियों की.’ 

उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में परमाणु हमले के शिकार शहरों के जीवित बचे लोगों की गवाही ने ‘दुनिया भर में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए व्यापक विरोध’ पैदा करने में ‘अद्वितीय’ योगदान दिया था.

वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि समिति उन सभी जीवित बचे लोगों को सम्मानित करना चाहती है, जिन्होंने शारीरिक पीड़ा और दर्दनाक यादों के बावजूद, शांति के लिए आशा और प्रतिबद्धता पैदा करने के लिए अपने खराब अनुभव का उपयोग करने का विकल्प चुना.’ 

अवार्ड की घोषणा करते हुए समिति ने चेतावनी दी कि ‘ऐसा प्रतीत होता है कि नए देश परमाणु हथियार हासिल करने के लिए तैयार हैं.’ 

क्या परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर रूस की बयानबाजी ने फैसले को प्रभावित किया है? इस सवाल का जवाब देते हुए वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि इस तरह की धमकियां इस्तेमाल (परमाणु बमों) न करने के मानदंड पर दबाव डालती हैं. 

उन्होंने कहा, ‘यह देखना चिंताजनक है कि कैसे उपयोग की धमकियां भी इस मानदंड को नुकसान पहुंचा रही हैं. परमाणु के इस्तेमाल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत वर्जना को कायम रखना पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण है.’

निहोन हिडानक्यो के सह-प्रमुख तोशीयुकी मिमाकी ने पुरस्कार दिए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया है. 

मिमाकी ने नम आंखों के साथ संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा हो सकता है.’ उन्होंने आगे जोड़ा, ‘यह जीत दुनिया से अपील करने के लिए एक बड़ी ताकत होगी कि परमाणु हथियारों का उन्मूलन और स्थायी शांति हासिल की जा सकती है.’

जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने निहान हिडांक्यो को यह पुरस्कार दिए जाने के फैसले का स्वागत किया है.

उल्लेखनीय है कि नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में कहा था कि यह पुरस्कार राष्ट्रों के बीच भाईचारे के लिए सबसे अच्छा काम करने के लिए, स्थायी सेनाओं को खत्म करने या कम करने और शांति की पहल और प्रचार के लिए दिया जाना चाहिए. 

यह पुरस्कार ओस्लो में प्रदान किया जाता है. छह वार्षिक नोबेल पुरस्कारों में से यह एकमात्र पुरस्कार है जो स्टॉकहोम में नहीं दिया जाता है. 

नोबेल पुरस्कारों में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (1 मिलियन डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है.

इस वर्ष पुरस्कार की घोषणा विनाशकारी संघर्षों, खास कर के मध्य पूर्व, यूक्रेन और सूडान की पृष्ठभूमि पर की गई. कुल मिलाकर, 286 उम्मीदवारों को नामांकित किया गया, जिनमें 197 व्यक्ति और 89 संगठन शामिल थे. 

चिकित्सा, भौतिकी, रसायन विज्ञान और साहित्य में अन्य नोबेल विजेताओं की घोषणा इस सप्ताह में ही की जा चुकी है. अर्थशास्त्र पुरस्कार के विजेता की घोषणा के साथ 2024 का नोबेल सत्र सोमवार को समाप्त हो गया.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)