गांधी की हत्या से संबंधित रिकॉर्ड तक सहज पहुंच सुनिश्चित हो: सूचना आयुक्त

एक आरटीआई आवेदन पर सूचना आयुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार की वेबसाइट पर महात्मा गांधी से जुड़े दस्तावेज़ आसानी से मिलने मुश्किल हैं.

महात्मा गांधी. (फोटो: रॉयटर्स)

एक आरटीआई आवेदन पर सूचना आयुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार की वेबसाइट पर महात्मा गांधी से जुड़े दस्तावेज़ आसानी से मिलने मुश्किल हैं.

महात्मा गांधी. (फोटो: रॉयटर्स)
महात्मा गांधी. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) को निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट के होमपेज पर विशेष आइकन या विंडो बनाए ताकि लोग महात्मा गांधी की हत्या से संबंधित रिकॉर्ड आसानी से देख सकें.

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार को महात्मा गांधी की हत्या के रिकॉर्ड तक आसानी से पहुंच के साथ-साथ उनके जीवन और राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में सूचना को लेकर एक तंत्र विकसित करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘अभिलेखागार के रिकॉर्ड में कोई व्यक्ति नेताजी सुभाष चंद्र बोस के दस्तावेज का शीर्षक पा सकता है. नेताजी पर दस्तावेजों के लिए अलग से एक पेज है, जिसे एक क्लिक करके देखा जा सकता है. महात्मा गांधी से संबंधित दस्तावेज इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं.’

आयोग ने राष्ट्रीय अभिलेखागार को जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, गुलजारी लाल नंदा और इंदिरा गांधी समेत अन्य जाने-माने नेताओं से संबंधित रिकॉर्ड भी आसानी से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.

उन्होंने रिकॉर्ड की विभिन्न श्रेणियों की सूची, कैटलॉग आदि को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के तहत स्वेच्छा से खुलासे के तहत प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया.

आचार्युलू ने कहा, ‘आयोग सबसे पहले प्राथमिकता के आधार पर यथाशीघ्र राष्ट्रपिता से संबंधित दस्तावेजों और तर्कसंगत अवधि के भीतर अन्य लोगों से संबंधित दस्तावेजों तक सहज पहुंच के लिए फिजिकल और ऑनलाइन तंत्र स्थापित करने की सिफारिश करता है.’

आचार्युलू ने यह निर्देश नितिन सागर के आरटीआई आवेदन पर दिया. उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी, अदालती कार्यवाही, फैसले आदि से संबंधित दस्तावेजों को हासिल करने के लिए प्रक्रिया को जानने के लिए एनएआई का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने कहा था कि वह न तो छात्र हैं और न ही शोधार्थी हैं.

राष्ट्रीय अभिलेखागार ने कहा कि शोधार्थियों, गैर शोधार्थियों या साधारण लोगों को आमंत्रित किया जाता है और प्रति पेज दो रुपये के हिसाब से जमा करने पर उन्हें दस्तावेजों की छाया प्रतियां प्रदान की जाती हैं.