हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं की पुस्तकें हम पेंगुइन स्वदेश के इम्प्रिंट के तहत प्रकाशित करते हैं. हमारा उद्देश्य हमेशा से हर विधा में उत्कृष्ट साहित्य प्रकाशित करना रहा है, ख़ासकर विश्व साहित्य. फिर डेरियस फरू की सेल्फ़-हेल्प की किताबें हों या सलमान रुश्दी की ‘चाकू (नाइफ़)’ जो उनके ऊपर हुए जानलेवा हमले पर है, इस साल हमने इन सभी किताबों के बढ़िया अनुवाद प्रकाशित किए.
इस वर्ष की हमारी बंपर शुरुआत विश्व पुस्तक मेले से हुई जहां हमने लगभग 800 से भी अधिक पुस्तकें पाठकों के लिए प्रस्तुत कीं.
प्रियंका चोपड़ा जोनस की ‘अभी बाक़ी है सफ़र’, से लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जीवनी, ‘मैडम प्रेसिडेंट’; रामचंद्र गुहा द्वारा लिखित ‘गांधी’ का दूसरा भाग, से लेकर ‘सूफ़ी वैज्ञानिक’, वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस की जीवन गाथा, गीता पिरामल द्वारा लिखी, ‘राहुल बजाज’ जैसी शख्सियतों हमने जीवनियां प्रकाशित कीं.
इस साल भारतीय इतिहास और धर्म से जुड़ी नई सीरीज़ में हमने गौरांग दास की पुस्तक शिव, श्रीमद् भगवदगीता का गिफ़्ट एडिशन, कृपामय दास की ‘सनातन धर्म’ प्रकाशित कीं.
कई किताबें जिन्हें पाठकों ने विशेष रूप से पढ़ा और पसंद किया, उनमें हैं देवदत्त पट्टनायक की ‘लंकेश’ जिसमें विश्वभर के इतिहास में रावण के ब्यौरे का बेहद रोचक वर्णन है. हाल ही में प्रकाशित, ‘जवाहर लाल हाज़िर हों’ (पंकज चतुर्वेदी) और ‘ठाकुरबाड़ी’ (अनिमेष मुखर्जी) चर्चा में हैं. प्रख्यात वैज्ञानिक गौहर रज़ा की किताब ‘मिथकों से विज्ञान तक’ अब तक चार रिप्रिंट में आ चुकी है .
यह साल पुरस्कारों और सम्मानों का भी रहा: ‘चरु, चीवर और चरिया’ जिसका सुजाता शिवेन ने उड़िया से हिंदी में अनुवाद को राष्ट्रपति द्वारा ‘साहित्य जागृति भाषा सम्मान’ मिला, जाने-माने भाषाविद्, सुरेश पंत को अपनी किताब ‘शब्दों के साथ-साथ’ के लिए वैली ऑफ़ वर्ड्स की ओर से पुरस्कार मिला, थ्रिलर लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक को देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल में लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया. मशहूर क्रिकेट कॉमेंटेटर, सुशील दोषी की पुस्तक ‘आंखों देखा हाल’ को साहित्य अकादमी ने नारद सम्मान से नवाज़ा.
नई किताबों के साथ-साथ हमारी कई पुरानी किताबों ने भी धूम मचाई. शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की ‘कई चांद थे सरे-आसमां’ बेस्टसेलर और बहुचर्चित रही. क्राइम फिक्शन के बादशाह, सुरेंद्र मोहन पाठक की किताबें, ‘आठ दिन’, ‘गैंग ऑफ़ फ़ोर’ और ‘क़हर’ साल-दर- साल धूम मचाए रहती हैं और इस साल भी तीसरे-चौथे रिप्रिंट में रहीं. मराठी लेखक, अभिजीत कोलपकर की किताब, ‘कहां लगाएँ पैसा’ और दिवंगत लेखक और माइक्रोबायोलॉजिस्ट, दीपक आचार्य की ‘जंगल लेबोरेटरी’ लगातार रिप्रिंट में रहीं.
आध्यात्मिक गुरु, सदगुरु जग्गी वासुदेव की किताबें और लाइफ़स्टाइल गुरु, गौर गोपाल दास की किताबें, ‘जीवन के अद्भुत रहस्य’ और ‘मन बनाएं ऊर्जावान’ बेस्टसेलर रहे.
(वैशाली माथुर ‘पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया’ में भारतीय भाषाओं की प्रकाशक हैं.)