दिल्ली चुनाव: 2020 का दंगा झेल चुके मुस्लिमों के लिए ‘आप’ भाजपा के मुक़ाबले बस विकल्प मात्र

दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों में एक अहम प्रश्न यह है कि क्या मुसलमान आम आदमी पार्टी को सिर्फ़ इसलिए वोट कर रहे हैं कि वे उसे भाजपा के मुकाबले एकमात्र विकल्प के तौर पर देखते हैं? या फिर अरविंद केजरीवाल के काम से संतुष्ट हैं? या क्या उत्तर पूर्वी दिल्ली के मतदाता के लिए 2020 दंगा अब भी चुनावी मुद्दा है?

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उत्तर-पूर्वी दिल्ली की मतदाता और गंदगी से अटी इलाके की एक गली. (फोटो: द वायर/BJP/AAP/Facebook)

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में दो प्रमुख दलों, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप), के संघर्ष के बीच एआईएमआईएम ने दिल्ली दंगों के दो आरोपियों को टिकट दिया है. असदउद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम-बाहुल्य ओखला से शिफा- उर-रहमान और मुस्तफाबाद से ताहिर हुसैन को उतार दिया है.

क्या ओवैसी की पार्टी ये दोनों सीट निकालने में कामयाब होगी या महज आम आदमी पार्टी का वोट काट कर भाजपा को बढ़त प्रदान करेगी? 

इसी तरह दिल्ली के अन्य क्षेत्रों में एक अहम प्रश्न यह है कि क्या मुसलमान आम आदमी पार्टी को सिर्फ़ इसलिए वोट कर रहे हैं क्योंकि वे उसे भाजपा के मुकाबले एकमात्र विकल्प के तौर पर देखते हैं? या फिर अरविंद केजरीवाल के काम से संतुष्ट हैं?

तीसरा प्रश्न, क्या उत्तर पूर्वी दिल्ली के मतदाता के लिए 2020 के दंगे अभी भी चुनावी मुद्दा बने हुए हैं ?

आम आदमी पार्टी की प्रचार गाड़ी (फोटो: मालविका चौधरी/द वायर हिंदी)

इन प्रश्नों को हम उत्तर पूर्वी दिल्ली की विधानसभा सीट मुस्तफाबाद के आईने से देख सकते हैं. 

साल 2020 का दंगा झेल चुके घनी आबादी वाले मुस्तफाबाद से भाजपा ने करावल नगर के मौजूदा विधायक मोहन सिंह बिष्ट को यहां मैदान में उतारा है, वहीं आप ने अपने स्थानीय विधायक हाजी यूनुस विधायक को हटाकर आदिल अहमद खान को टिकट दिया है. कांग्रेस ने क्षेत्र के पूर्व विधायक हसन मेहदी के बेटे अली मेहदी को खड़ा किया है. एआईएमआईएम के ताहिर हुसैन ने इस पूरे मुक़ाबले को नया कोण दे दिया है. 

मुस्तफाबाद की त्रासदी 

आज़ादी के इतने सालों बाद भी देश की राजधानी दिल्ली स्थित यह क्षेत्र अभी भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. इस क्षेत्र के अधिकांश इलाक़ों में नालियां खुली हैं और सड़कों पर बह रही हैं. सड़कें टूटी हैं और उनके चारों ओर कूड़े का अंबार लगा रहता है. 

एक महिला कहती हैं, ‘कचरा खुले में फैला है.. नालियां खुली हैं. बदबू हर तरफ़ फैली रहती है. मच्छर पनपते हैं. क्या सरकार का काम नहीं है इसे साफ़ कराना?’ 

मुस्तफाबाद की महिला वोटर. (फोटो: मालविका चौधरी/द वायर हिंदी)

इलाके में पानी का गहरा संकट है. रहवासी बताते हैं कि सप्लाई वाले पानी में कीड़े होते हैं. बदबू आती है. बहुत से घरों में पानी का कनेक्शन अभी तक नहीं पहुंचा है. टैंकर से पानी आता है जिसका लोग इस्तेमाल करते हैं. कभी-कभी एक हफ़्ते बाद टैंकर आता है. 

आम आदमी पार्टी महज़ भाजपा का विकल्प?

मुस्तफाबाद और दिल्ली के अन्य हिस्सों के मुसलमान आप को महज भाजपा के विकल्प के तौर पर चुन रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि अगर भाजपा दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है, तब उनके लिए राहें मुश्किल हो जाएगी. 

शिव विहार फेज 10 के निवासी समसुद्दीन कहते हैं, ‘अगर भाजपा दिल्ली में इस बार जीत जाती है तो आगे फिर कभी नहीं हारेगी. यह मुसलमानों के लिए घातक होगा. हो सकता है जैसे ट्रंप अमेरिका से सब को बाहर कर रहा है भाजपा भी मुसलमानों को दिल्ली से बाहर कर दे.’ 

यह भी तय है दिल्ली के मुसलमान कांग्रेस से बहुत आगे बढ़ चुके हैं. उनके मुताबिक कांग्रेस का यहां खाता भी नहीं खुलेगा. 

जाफराबाद के सुहैल कहते हैं, ‘हम खानदानी कांग्रेस वोटर हैं, इंदिरा गांधी के जमाने से मेरा परिवार कांग्रेस को वोट देते आ रहा है. हमें अभी भी कांग्रेस से कोई बैर नहीं है, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस की सरकार तो बन नहीं सकती, खत्म हो चुकी है कांग्रेस अब दिल्ली में. उन्हें वोट करना अपना मत बर्बाद करना है.’

कई लोग आम आदमी पार्टी के काम से संतुष्ट हैं. गोकुलपुरी टायर मार्केट में एक व्यवसायी रक़ीब ने कहा कि काम सिर्फ़ ‘हमारी झाड़ू’ ही करती है. पुरानी दिल्ली के मतदाता शकील मालिक ने कहा, ‘हम उसको वोट देंगे जो अच्छा काम करेगा. झाड़ू अच्छा काम कर रहा है तो हम उसे ही वोट देंगे.’ 

गोकुलपुरी टायर मार्केट (फोटो: श्रुति शर्मा/द वायर हिंदी)

‘ओवैसी की पार्टी बस वोट काटेगी आम आदमी पार्टी का’

एआईएमआईएम के बारे में मुस्तफाबाद के लोगों का मत है कि वह सिर्फ़ आम आदमी पार्टी का खेल बिगाड़ेगी और उनका वोट काटकर भाजपा को फायदा पहुंचाएगी. 

शिव विहार फेज 6 के मोहम्मद अशफाक कहते हैं, ‘या तो भाजपा की सरकार बनेगी या फिर आम आदमी पार्टी की. ओवैसी की पार्टी बस दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है. दो सीट पर लड़ कर ये क्या कर लेंगे? बस वोट काटेंगे आम आदमी पार्टी का.’ 

शिव विहार फेज 7 के निवासी चांद खान कहते हैं, ‘बस मुसलमानों का वोट काटने आ गई है ओवैसी की पार्टी. ऐसे मौके पर मुसलमानों को एकजुट रहकर केजरीवाल को जिताना चाहिए.’ 

2020 के दंगे और केजरीवाल से नाराजगी 

कई लोग यह भी मानते हैं कि आम आदमी पार्टी को वोट देना उनकी मजबूरी है, क्योंकि कोई विकल्प नहीं है उनके पास. भाजपा को सिर्फ़ आम आदमी पार्टी हरा सकती है इसलिए वे एकजुट हो कर आप को वोट करना चाहते हैं. 

मुसलमानों के इलाके में  मूलभूत संरचनाओं को दुरुस्त न करने की वजह लोग केजरीवाल से बेहद नाखुश हैं. वे दिल्ली दंगों के दौरान केजरीवाल सरकार की निष्क्रियता को लेकर नाराज भी हैं. 

शिव विहार में खुले में पड़ा कूड़े का ढेर, खुली नालियां (फोटो: द वायर हिंदी)

समसुद्दीन कहते हैं, ‘दंगों में हज़ार फोन कॉलें की गई थी सरकार के लोगों को.. लेकिन किसी ने एक भी कॉल नहीं उठाई. दंगों को लेकर पब्लिक के दिल में बहुत नाराजगी है.’ 

मोहम्मद जावेद कहते हैं, ‘केजरीवाल ने क्या किया हमारे लिए दंगों में ? कोई सहायता नहीं की. लोग मर रहे थे.. संपत्तियां जल रही थीं, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की. न सरकार ने, न पुलिस ने.’ 

मोहम्मद जावेद, बाएं से दूसरे (फोटो: श्रुति शर्मा/द वायर हिंदी)

गोकुलपुरी टायर मार्केट के व्यापारियों का कहना है कि दंगों के दौरान दुकानें जल जाने के बाद केजरीवाल ने उन्हें 5 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा था, लेकिन यह राशि कई पीड़ितों को नहीं मिली. जिन्हें मिली भी उन्हें पूरा पैसा नहीं मिला, किसी को 70 हज़ार तो किसी को 1 लाख. 

दंगों के बारे में पूछे जाने पर शिव विहार की कई औरतें एक साथ कहती हैं, ‘पैरों में बिना चप्पल पहने भागे थे. जो भी घर में था सब दंगाइयों ने जला दिया था. पहनने के लिए कपड़े भी नहीं बचे थे. कभी नहीं भूल सकते वो दिन.’ 

42 वर्षीय रायबा कहती हैं, ‘जिस दिन दंगे हुए, उस दिन रात के नौ बजे मैं अपने परिवार के साथ घर में सारा सामान छोड़कर अपने रिश्तेदार के घर चली गई. अगले दिन दंगाइयों ने सारा घर जला दिया.. कुछ भी नहीं बचा घर में. सब जलकर राख हो गया.’

अपने घर के सामने रायबा।  (फोटो: श्रुति शर्मा/द वायर हिंदी)

लोगों के मन में दंगों का डर बैठा हुआ है. उन दिनों के वे मंजर अभी भी आंखों में तैरते हैं, लेकिन उनका कहना है कि इसका इस चुनाव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

टायर मार्केट का एक व्यापारी कहता है, ‘उन्होंने हमारी दुकान जलाई. हमें बीस साल पीछे धकेल दिया.. लेकिन आज 5 साल बाद हम मजबूती से खड़े हैं, अपनी संपत्ति वापस बना ली. आज दंगे हमारे लिए चुनावी मसला नहीं है. दिलों में खाई जरूर पैदा हुई है, जो शायद भर नहीं सकती, लेकिन वोट देने से पहले हम यह नहीं सोचेंगे.’ 

दिल्ली दंगों के पीड़ित मोहम्मद वकील (फोटो: श्रुति शर्मा/द वायर हिंदी)

दंगों के दौरान अपनी दोनों आंखें खो देने वाले मोहम्मद वकील कहते हैं, ‘भाजपा वाले कभी हमारे पास आए ही नहीं. सब पार्टी वाले आते हैं, लेकिन भाजपा कभी वोट मांगने नहीं आई.’