इलाहाबाद: ‘ऐसा लग रहा है जैसे हम अपने ही घरों में हाउस अरेस्ट कर दिए गए हों. जो लोग काम-काज के सिलसिले में घर से बाहर निकल भी रहे हैं वो ख़ुद को पैरोल पर छूटा हुआ महसूस कर रहे हैं. मानों हम प्रयागराज में नहीं कश्मीर या मणिपुर में हों.’- ये उद्गार हैं दारागंज निवासी अनिल वर्मा के.
वो बताते हैं कि पिछले दो दिनों से दूध और अख़बार जैसी चीज़ें घर तक नहीं पहुंच पा रही हैं. दो दिन बाद तीसरे दिन सोमवार की शाम दूधवाला दूध लेकर आया. किराना दुकानों पर भी दूध नदारद हैं. पिछले एक महीने से जब-तब इस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं कि घर में चाय बनाने का दूध नहीं है. यही हाल अख़बार वालों का है. अनिल वर्मा बताते हैं कि रविवार को वो मेला क्षेत्र गए थे, लेकिन वीकेंड होने को बावजूद मेला क्षेत्र खाली है. मेले में उतनी भीड़ नहीं थी, जितना शहर की सड़कों पर लगे जाम को देखकर लगता है.
जाम के कारण 26 जनवरी के बाद से ही मालवाहक वाहनों को शहर में प्रवेश निषेध है. इसके चलते शहर की प्रमुख गल्ला मंडी मुट्ठीगंज में तमाम व्यापारियों के गोदाम से तेल, चीनी, आटा, सूजी मैदा, दाल, बेसन जैसी चीजों का स्टॉक खत्म हो गया है या तकरीबन खत्म होने के कगार पर है.
व्यापारियों का कहना है कि उनके माल लदे ट्रक शहर के बाहर खड़े हैं. इसके चलते फुटकर किरान दुकानों पर भी आपूर्ति बाधित हो रही है. मैदा की सप्लाई न होने से बेकरी उद्योग भी बाधित हो रहा है, जिससे बाज़ार में ब्रेड की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. जाम की वजह से दूध के वाहन भी सुचारू रूप से नहीं आ पा रहे हैं. आपूर्ति बाधित होने के चलते कुछ जगहों पर दुकानदारों द्वारा कालाबाज़ारी करने की भी ख़बरें हैं.
इसी तरह पेट्रोल पंपों पर भी गाड़ियों की लंबी कतार लगी हुई है. सोमवार को मेला क्षेत्र के आस-पास के पेट्रोल पंपों पर डीजल, पेट्रोल खत्म होने के चलते लोगों को शहर के अंदर के पेट्रोल पंपों तक जाना पड़ रहा है. शहर के निरंजन पांडेय बताते हैं कि उन्हें पेट्रोल भरवाने के लिए लंबे जाम से जूझते हुए सिविल लाइंस जाना पड़ा. ‘वहां आने-जाने में ही सारा दिन ख़र्च हो गया.’
मार्केटिंग का काम करने वाले गोविंदपुर के सुनील कुमार बेला कछार में पांच घंटे जाम में फंसे रहे. जाम से छूटकर घर पहुंचने के बाद से उन्हें बात-बात पर गुस्सा आ रहा है. उनकी जीवनसंगिनी अनु कहती हैं, ‘जाम की यातना ने एक सामान्य और जिंदादिल व्यक्ति के मनोविज्ञान को बदलकर रख दिया है. हमेशा हंसने-मुस्कुराने वाला व्यक्ति आज घर में हर किसी को काटने के दौड़ रहा है. बात-बेबात एक दूजे पर चिल्ला रहा है.’
आस-पास के इलाक़ों से शहर के लेबर चौक पर रोज़ाना काम की तलाश में आने वाले दिहाड़ी मज़दूरों के लिए ये मेला किसी आफ़त की तरह आया है. अपट्रान चौराहे के लेबर चौक पर खड़े राकेश बताते हैं कि मेला शुरू होने के बाद से ही काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वो बताते हैं कि 22 जनवरी को एक व्यक्ति उनको अपने साथ बाइक पर बिठाकर अपने घर काम कराने के लिए ले गया लेकिन बालसन चौराहे पर चार घंटे तक वो जाम में फंसा रहा. फिर बोला सारा दिन तो जाम में ही फंसा रह गया अब क्या काम करवाऊंगा और 20 रुपये देकर छोड़ दिया.
सलोरी निवासी संजना देवी कहती हैं, ‘एक महीने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रखी है. न वो स्कूल जा पा रहे हैं, न कोचिग. कभी जाम की वजह से तो कभी नहान पर डीएम के आदेश की वजह से स्कूल कोचिंग सब बंद चल रहे हैं. स्कूल वाले चार दिन ऑनलाइन क्लास चलाते हैं, फिर चार दिन स्कूल खोल देते हैं. कोई प्रॉपर रूटीन नहीं बन पा रहा है.’
नैनी से शहर के कटरा के आईटीआई कॉलेज पढ़ने आने वाली एक छात्रा बताती है कि मेला शुरू होने के कुछ दिन पहले से ही घर से बाहर सड़क पर आना यातनादायी अनुभव रहा है. ‘इन एक महीने में कभी भी समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाई हूं. वहीं 4 बजे स्कूल से छूटने के बाद घर पहुंचने में राते के 8 बज जाते हैं. जबकि महज एक घंटे का रास्ता है.’
उल्लेखनीय है कि जाम के चलते 15-16 फरवरी को होने वाली ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) परीक्षा के सेंटर को अब इलाहाबाद से लखनऊ स्थानांतरित कर दिया गया है.
जाम का असर सिर्फ़ इलाहाबाद तक सीमित नहीं है. बल्कि सीमा से लगे हुए जिलों कौशाम्बी, प्रतापगढ़, जौनपुर, चित्रकूट, रीवा, मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी की सड़कों पर लंबा जाम है. इनके चलते शहर में लोगों को पहले से तय शादियों की तारीख खिसकानी पड़ रही है. पहले से बुक गेस्ट हाउस, बारात घर, बैंक्वेट हॉल में आयोजन रद्द कर दिए गए हैं. इससे न सिर्फ़ बैंक्वेट हॉल वाले बल्कि केटरिंग, बैंड बाजा, लाइट और आतिशबाजी करने वालों का काम भी प्रभावित हुआ है.
शहर में महीनों से चल रहे जाम की वजह से स्थानीय कारोबारी भी परेशान हैं. मेले में प्रशासनिक कार्य पर लगे एक युवक की शादी 22 फरवरी को है, लेकिन रोज़ाना जाम से जूझते हुए घर पहुंचने में ही रात हो जाती है. वो लगातार टेंशन में है. कैसे शादी की तैयारी को अंजाम दे.
सोमवार (10 फरवरी को) राम लाल पटेल का कचहरी में तारीख लगी हुई थी. वो घर से निकले लेकिन पांच किमी से आगे नहीं बढ़ पाए. थक-हारकर वापस लौट आए. वकील साहेब को फोन करके बचा दिया कि जाम में फंसे हैं नहीं आ पाएंगे. इसी तरह कल्पना देवी को दवा लेने स्वरूपरानी अस्पताल जाना था लेकिन वो लगातार जाम के चलते हफ्तों से अस्पताल नहीं जा पा रही हैं.
गंगापार ग्रामीण इलाकों में हॉकर का काम करने वाले आकाश साहू बताते हैं कि मेला शुरू होने के बाद से अख़बारों की गाड़ियां बहुत देर से आ रही हैं, वजह सिर्फ़ एक जाम. इसके चलते वो लोगों को दोपहर बाद या शाम को अख़बार पहुंचा पा रहे हैं. वो बताते हैं कि 30 जनवरी को तो अख़बारों की गाड़ियां ही नहीं आई थी. उस दिन लोगों को पेपर नहीं मिला था.
शहर निवासी लोगों में इस अव्यवस्था को लेकर सरकार और प्रशासन के प्रति गुस्सा है. वो कहते हैं कि श्रद्धालुओं से ज़्यादा वीआईपी मूवमेंट के चलते ये जाम लग रहे हैं.
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सोमवार 10 फरवरी को राष्ट्रपति द्रोपदी मर्मू संगम नहाने मेला क्षेत्र पहुंची थीं. वो लगभग 8 घंटे मेले में रही. उनकी सुरक्षा और प्रोटोकॉल के मद्देनज़र 10-12 घंटे सामान्य लोगों को संगम की ओर नहीं जाने दिया गया. राष्ट्रपति, सूबे की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मेला क्षेत्र में होने के चलते सभी पीपा पुल बंद कर दिया गए थे. बंधवा हनुमान मंदिर और किला घाट रोड को खाली करवाने की वजह से भी संगम घाट पर भीड़ का दबाव बढ़ गया.
इसी तरह बीते शनिवार और इतवार को कई राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री संगम नहाने पहुंचे. उनकी सुरक्षा के मद्देनज़र ट्रैफिक बाधित रहा. पुलिस प्रशासन को स्नान पर्व की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष व्यावस्था लागू करनी पड़ी. मेले में लगातार हो रहे वीआईपी मूवमेंट ने कोढ़ में खाज का काम किया है.
शहर के 7 प्रवेश मार्गों पर सोमवार को 10-30 किलोमीटर लंबा जाम लगा रहा. प्रयागराज-वाराणसी 20 किमी, प्रयागराज-मिर्जापुर- 10 किमी, लखनऊ रायबरेली प्रतापगढ़ 25 किमी, प्रयागराज जौनपुर मार्ग-15 किमी, प्रयागराज-चित्रकूट 10 किमी, प्रयागराज-रीवा 25 किमी, प्रयागराज-कौशांबी 10 किमी लंबा जाम लगा रहा. एडीसीपी (यातायात) कुलदीप सिंह का कहना है कि वाहनों की अत्यधिक संख्या के कारण मेला क्षेत्र में जाम लग रहा है. हम दूर की पार्किंग भरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोगों की भीड़ कम होने के आसार नहीं दिख रहे.
जाम के चलते फरवरी की गुलाबी दोपहर की धूप भी गाड़ियों के लिए काल साबित हो रही है. रविवार को बेला कछार में मलाक हरहर रेलवे क्रॉसिंग के पास पांच घंटे से खड़ी स्कॉर्पियो में दोपहर 2:30 बजे आग लग गई. जाम के चलते फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच सकी और गाड़ी जलकर खाक हो गई. इस गाड़ी के आगे खड़ी गाड़ी भी इस आगे के चपेट में आकर खाक हो गई.
इस बीच, 14 फरवरी तक के लिए शहर का संगम घाट रेलवे स्टेशन बंद कर दिया गया है. अनुमान है कि 10-12 लाख लोग रास्तों में फंसे हुए हैं. तमाम प्रवेश द्वारों और लखनऊ कानपुर-वाराणसी हाइवे के शहर में चौराहे पर पुलिस और यातायात कर्मी माइक लगाकर लोगों से अपने घरों और शहरों जिलों में वापस लौटने की अपील कर रहे हैं. 5 फरवरी से लगातार यही हालात बने हुए हैं.
आलम यह है कि गंगा नहाने के लोगों को 35-40 किमी पैदल चलना पड़ रहा है. शहर ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए शटल बसों को सड़कों से हटा दिया है. हालांकि इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी हुआ है लेकिन सड़कों पर शटल बसें जो बहुतायत दिख रही थो वो इक्का-दुक्का ही नज़र आ रही हैं.
(सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार हैं.)