कुंभ आयोजन को अखाड़ों ने बनाया सांप्रदायिक

पहले भी हर साल साधु संत और अखाड़े मेले में आते थे. पर समाज उन्हें परे कर देता था, इसीलिए यह लोकपर्व बना हुआ था. लेकिन हरिद्वार कुंभ के बाद अब प्रयागराज कुंभ में भी सांप्रदायिकता का वर्चस्व हो गया है.

महाकुंभ में शामिल अखाड़े (फोटो: एक्स/@MahaKumbh_2025)

इलाहाबाद के जनकवि कैलाश गौतम की कविता- ‘अमौसा का मेला’ में कुंभ मेले के तमाम बिंबों और छवियों में लोक-समाज प्रतिबिबिंत होता है, बावजूद इसके कि पहले भी हर साल साधु संत और अखाड़े मेले में आते थे. पर लोक उन्हें परे कर देता था, इसीलिए यह लोकपर्व बना हुआ था. लेकिन हरिद्वार कुंभ के बाद अब प्रयागराज कुंभ आयोजन में भी सांप्रदायिकता का वर्चस्व हो गया है.

सांप्रदायिक विभाजन और नफ़रत की शुरुआत अखाड़ा परिषद ने कुंभ में मुसलमानों को बैन करके किया. इतना ही नहीं अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने मेले में पत्रकार वार्ता में सनातन बोर्ड के गठन की मांग उठाते हुए कहा – सनातन बोर्ड के माध्यम से वे उन सभी मठों और मंदिरों का पुनः अधिग्रहण करेंगे जो मुसलमानों के क़ब्ज़े में हैं.

इसके बाद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेशवरानंद सरस्वती ने ‘मेरे कुंभ में तेरा (मुसलमान) क्या काम है’ से शुरु करके लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ़ अपनी धर्म संसद में निंदा प्रस्ताव पास किया. साथ ही उन्हें एक महीने के अंदर माफ़ी मांगने या हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने का ऐलान किया. गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 14 दिसंबर 2024 को लोकसभा में हाथरस रेप मामले को उठाते हुए कहा था- “जो बलात्कार करते हैं वो बाहर रहें और जिसका रेप हुआ है उसके परिवार को बंद कर दिया जाए. ये आपकी किताब में लिखा हुआ है. मनुस्मृति में लिखा हुआ है. लेकिन संविधान में नहीं लिखा हुआ है.

पहले कुंभ में किसी तरह के सांप्रदायिक बयान अगर दिए भी जाते थे तो हेडलाइन नहीं बनते थे. इस बार कुंभ मेले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ नज़र आए यति नरसिंहानंद तमाम समाचारों की सुर्खियों में रहे. यति नरसिंहानंद जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं. 5.3 लाख सदस्यों के दावे करने वाले जूना अखाड़ा में यति नरसिंहानंद की पकड़ मज़बूत हो रही है. उन्होंने अखाड़े के अंदर दो-दिवसीय (25-26 जनवरी) ‘धर्म-संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन किया और नफ़रती बयानबाज़ी की.

जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि ने बयान दिया कि – ‘सनातन धर्म पर लगातार हो रहे आक्रमणों और आघातों से जूना अखाड़ा आहत और विचलित है और सनातन धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष को भी तैयार हो रहा है. अखाड़े के वरिष्ठ संत अब युवा संन्यासियों को धर्म की रक्षा के काम में लगाने की तैयारी में जुट गए हैं’.

उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की कि बांग्लादेश और पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई करके वहां हिंदुओं के लिए अलग राष्ट्र बनाएं. उन्होंने कुंभ में यह भी दावा किया कि मुस्लिम आबादी से हिंदुओं को ख़तरा है इसलिए हर हिंदू परिवार 4-5 बच्चे पैदा करें.

गौरतलब है कि जूना अखाड़े से अलग यति नरसिंहानंद ख़ुद अपनी ‘धर्म सेना’ भी चलाते हैं, जिसके तहत वे ग़ाज़ियाबाद में शस्त्र ट्रेनिंग दे रहे हैं.

जूना अखाड़ा में आपराधिक क़िस्म के लोगों का जमावड़ा भी दिखाई देता है. कुंभ शुरु होने से पहले सितंबर 2024 में कुख्यात गैंगस्टर और छोटा राजन गिरोह के ओहदेदार बदमाश रहे प्रकाश पांडेय को जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर बना दिया गया. कुंभ के दौरान जूनागढ़ अखाड़ा परिषद से निकाले जाने के बाद बीजेपी के पूर्व सांसद महेश गिरि ने अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि पर अखाड़े में वेश्याएँ और शराब लाने का आरोप लगाया था.

इसके अलावा मेला क्षेत्र में 27 जनवरी को लगे एक शांति सेवा शिविर में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर द्वारा बुलाए गए धर्म संसद में सनातन बोर्ड की स्थापना, वक्फ़ बोर्ड को खत्म करने, दो धर्मों के सदस्यों के बीच शादियों पर प्रतिबन्ध लगाने जैसे प्रस्ताव पारित किये. इस आयोजन में भाजपा सांसद हेमा मालिनी भी शामिल हुई थी.

धर्म संसद में जगद्गुरु विद्या भास्कर ने ‘संभल, मथुरा, विश्वनाथ, तीनों लेंगे एक साथ’ नारा देते हुए प्रधानमंत्री मोदी से प्लेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट को खत्म करने की मांग की. अयोध्या के संत वल्लभदास महाराज ने नारा दिया- रामलला हम आएंगे, मंदिर हर जगह बनाएंगे. देवकीनंदन ठाकुर ने कहा-बहुत सह लिया अब न सहेंगे, अपना हक़ हम लेकर रहेंगे. पाकिस्तान छोड़कर हिंदू आए, उनकी जगह कहाँ गई. पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू बोर्ड नहीं है तो हिंदुस्तान में वक्फ बोर्ड क्या कर रहा है?

ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 जनवरी को कुंभ में अपने बयान में सनातन धर्म को बरगद का पेड़ और इस्लाम को झाड़ी बताया था.

(सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार हैं.)