जालंधर: भारतीय निर्वासित लोगों के साथ अमेरिकी अधिकारियों के अमानवीय व्यवहार पर विपक्ष के हंगामे और सरकार की सफाई के बावजूद एक महीने के भीतर ही निर्वासित लोगों की दूसरी खेप लाने वाले अमेरिकी सैन्य विमान में एक बार फिर इन लोगों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर सवाल उठ रहे हैं.
निर्वासित लोगों का कहना है कि अधिकारियों ने शनिवार (15 फरवरी) की रात अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने से मात्र 20 मिनट पहले ही उनकी हथकड़ी और जंजीरे खोलीं.
मालूम हो कि दूसरी उड़ान में कुल 116 भारतीयों को निर्वासित किया गया, जिनमें से 67 पंजाब से थे. इसके अलावा हरियाणा से 33, गुजरात से आठ, उत्तर प्रदेश से तीन, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से दो-दो और हिमाचल प्रदेश और कश्मीर से एक-एक शामिल थे.
कई निर्वासित लोगों और उनके परिवार के सदस्यों ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया.
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि शनिवार रात को उतरी उड़ान के दौरान महिलाओं और बच्चों को बांधा नहीं गया था.
मालूम हो कि इससे पहले 104 निर्वासित लोगों को लेकर अमेरिका का पहला सैन्य विमान 5 फरवरी को अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा था.
इसी कड़ी में रविवार (16 फरवरी) रात करीब 10 बजे निर्वासित लोगों को लेकर तीसरा अमेरिकी सैन्य विमान भी भारत पहुंचा. इसके घोषणा पत्र में कहा गया कि जहाज पर सवार 112 निर्वासितों में से 44 हरियाणा से, 33 गुजरात से, 31 पंजाब से, दो उत्तर प्रदेश से और एक-एक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से थे.
शनिवार को उतरने वाली उड़ान में सवार होशियारपुर जिले के कुराला कलां गांव के दलजीत सिंह (40) ने कहा, ‘सैन डिएगो, कैलिफोर्निया से अमृतसर के बीच 66 घंटे की लंबी यात्रा के दौरान हमें हथकड़ी लगाई गई और बेड़ियों में रखा गया था.’
दलजीत के परिवार और टांडा से आम आदमी पार्टी के विधायक जसवीर सिंह राजा गिल ने संवाददाताओं को बताया कि एक स्थानीय ट्रैवल एजेंट ने उन्हें अपनी 1 करोड़ रुपये की चार एकड़ कृषि भूमि बेचने के लिए मजबूर किया, जिसे बाद में एजेंट ने अपने नाम पर पंजीकृत कर लिया.
उन्होंने बताया कि डंकी मार्ग से अमेरिका जाने के लिए दलजीत ने करीब 45 लाख रुपये खर्च किए थे.
दलजीत ने युवाओं से अवैध रूप से विदेश जाने से बचने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘कठिन पनामा जंगल को पार करते समय हमने मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया. यहां तक कि मेक्सिको के तिजुआना शिविर में भी… अमेरिकी सीमा अधिकारी एयर कंडीशनर चालू कर देते थे, जिससे हमारे लिए ठंड से निपटना और भी मुश्किल हो जाता था. हम फ्लेक्स टेंट में सोते थे और हमें अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था.’
द वायर से बात करते हुए विधायक गिल ने कहा, ‘इस अवधि के दौरान, अमेरिकी सैन्य विमान ईंधन भरने के लिए चार बार रुका, लेकिन निर्वासित लोगों को किसी भी पड़ाव पर उतरने नहीं दिया. फ्लाइट में उन्हें चावल, चिप्स और पीने के लिए पानी ही परोसा गया.’
विधायक ने कहा कि 116 निर्वासित लोगों में से दस होशियारपुर जिले से थे, जिनमें से चार – हरमनप्रीत, हरप्रीत, दविंदर सिंह और मनप्रीत सिंह – उनके निर्वाचन क्षेत्र से थे.
विधायक ने आगे कहा, ‘कुछ युवा बात करने की स्थिति में भी नहीं हैं. वे सदमें में हैं. हमने निर्वासित लोगों से पांच दिनों के भीतर स्थानीय पुलिस के पास अपने बयान दर्ज कराने को कहा है ताकि ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ सख्त पुलिस कार्रवाई शुरू की जा सके. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ट्रैवल एजेंट निर्वासित लोगों के पैसे लौटा दें वरना हम उनकी संपत्ति कुर्क करेंगे.’
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शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति सिखों की पगड़ी उतरवाने की निंदा की
निर्वासित लोगों में से सिख युवाओं को अमेरिकी सैन्य विमान में चढ़ने से पहले उनकी पगड़ी उतारने के लिए मजबूर किया गया, जिस पर सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
एसजीपीसी, जिसने हवाई अड्डे पर निर्वासित लोगों और उनके परिवारों के लिए लंगर की व्यवस्था की थी, ने इस ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सिख धार्मिक भावनाओं के प्रति असंवेदनशील होने के लिए अमेरिकी अधिकारियों की निंदा की.
बाद में एसजीपीसी के अधिकारी हवाई अड्डे पर युवाओं के सिर ढंकने के लिए पगड़ी भी लेकर आए.
एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह ने कहा, ‘हम विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ इस मुद्दे को उठाने का आग्रह करते हैं.’
फतेहगढ़ साहिब जिले के तेलानियां गांव के रहने वाले निर्वासित गुरमीत सिंह ने बताया कि उनके बार-बार अनुरोध करे के बावजूद अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने उनकी हथकड़ी और बेड़ियां ढीली नहीं कीं.
उन्होंने कहा, ‘पानी पीने के लिए हाथ उठाना भी मुश्किल था. हथकड़ी और बेड़ियां भारी थीं, जिससे हर किसी के लिए उन्हें सहन करना मुश्किल हो रहा था, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.’
अपनी आपबीती सुनाते हुए गुरुमीत रो पड़े और कहा कि पंजाब में एक निजी कंपनी में काम करते समय गुजारा करना मुश्किल था और इसलिए उन्होंने विदेश जाने का फैसला किया था.
उन्होंने कहा, ‘मैंने सोचा था कि विदेश जाने के बाद मैं अपने परिवार की वित्तीय स्थिति में सुधार कर पाऊंगा, लेकिन मुझे कभी नहीं पता था कि जिंदगी मेरे साथ इतना बुरा व्यवहार करेगी.’
उन्होंने कहा कि डंकी मार्ग से अमेरिका जाने के लिए उन्होंने 40 लाख रुपये खर्च किए थे, अपना पुराना घर गिरवी रखा और खर्च पूरा करने के लिए कुछ पैसे उधार लिए थे.
गुरमीत ने बताया, ‘मैं 27 जनवरी, 2025 को अमेरिका में दाखिल हुआ और सैन डिएगो में गिरफ्तार कर लिया गया.’
उन्होंने बताया कि वहां से उन्हें मैक्सिको की सीमा पर प्रवासियों के शिविर में ले जाया गया.
गुरमीत ने आगे कहा कि जिन लोगों ने उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रैवल एजेंट के मध्यस्थ के रूप में काम किया, उन्होंने डंकी यात्रा के लिए पूरी राशि का भुगतान न करने पर उन्हें पीटा.
उन्होंने विस्तार से बताया, ‘मैंने यात्रा की शुरुआत में 13 लाख रुपये का भुगतान किया था और अमेरिका पहुंचने के बाद बाकी राशि का भुगतान करने का वादा किया था. हालांकि, हमारे एजेंट ने आगे वालों को कुछ भी भुगतान नहीं किया, जिससे मेरी यात्रा कठिन हो गई.’
अमृतसर के भुल्लर गांव के एक अन्य युवक गुरजिंदर सिंह (27) ने अमेरिका पहुंचने के लिए 54 लाख रुपये खर्च किए. उनके रिश्तेदारों ने इसकी जानकारी दी.
गुरविंदर सिंह के चचेरे भाई ने कहा, ‘गुरजिंदर नौ महीने तक डंकी मार्ग पर रहे, जिनमें से आठ महीने उन्होंने घने पनामा जंगल में बिताए. उसे भी बुरी तरह पीटा गया. गुरजिंदर… बेहतर भविष्य के लिए अमेरिका जाना चाहता था लेकिन उसे कभी नहीं पता था कि उसे निर्वासित कर दिया जाएगा. वह घर पर नहीं हैं और उनके परिवार ने सार्वजनिक और मीडिया के हस्तक्षेप से बचने के लिए उन्हें एक रिश्तेदार के घर भेज दिया है.’
अन्य निर्वासित लोगों में पटियाला के दो चचेरे भाई संदीप सिंह और प्रदीप सिंह, जो राजपुरा के रहने वाले हैं, को पंजाब पुलिस ने अमृतसर में उतरते ही गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि वे एक हत्या के मामले में वांछित थे.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दोनों को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था और डंकी मार्ग से अमेरिका पहुंचने के लिए उन्होंने 1.20 करोड़ रुपये खर्च किए थे.
26 जून, 2023 को उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया था.
इससे पहले, पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल, जो निर्वासित लोगों को लेने के लिए हवाई अड्डे पर मौजूद थे, ने एक वीडियो जारी कर कहा कि हरियाणा के अधिकारी उस राज्य से निर्वासित लोगों को उनके घरों तक ले जाने के लिए फिर से पुलिस वैन लेकर आए.
गौरतलब है कि 5 फरवरी को इन निर्वासित लोगों की पहली खेप आने के बाद भी भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था, क्योंकि शासन-प्रशासन द्वारा इन लोगों को जेल कैदियों की वैन में ले जाया गया था.
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