प्रयागराज: यूपी सरकार ने महाकुंभ शुरू होने के बाद 14 जनवरी को मकर संक्राति यानी दूसरे शाही स्नान पर साढ़े तीन करोड़ लोगों के नहाने का दावा किया था. इसी दावे को लेकर मध्य प्रदेश के मंडवा जिले के बिछिया निवासी के सामाजिक कार्यकर्ता विवेक पवार ने 16 जनवरी को अपनी एक फेसबुक पोस्ट पर लिखा- ‘प्रयागराज में 4 करोड़ लोगों ने जो हगा मूता होगा से कहां प्रवाहित किया होगा.’
उनकी इस पोस्ट पर उनके ख़िलाफ़ बिछिया तहसील की एसडीएम रामप्यारी धुर्वें ने एक एफआईआर दर्ज़ करवाई, जिसमें उनके ऊपर कुंभ आयोजन के दौरान शांति भंग करने का आरोप लगाया गया. इसके आधार पर विवेक पवार को 11 फरवरी को जेल हो गई जहां वे 17 फरवरी तक रहे.
हालांकि, गंगा में सीवर या गंदगी के गिरने की बात हक़ीक़त है.
कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 8 में कलश द्वार के ठीक सामने सलोरी साइड से एक बहुत बड़े सीवर से हरहराकर गंदा मलयुक्त पानी गिर रहा है और गंगा में जाकर मिल रहा है. ठीक इसी के बग़ल में हज़ारों भैसों का तबेला स्थित है, उनका मलमूत्र भी इसी सीवर के साथ बहकर गंगा में जा रहा है.
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यहीं गंगा नहाने जाता एक जोड़ा रुकता है और इस रिपोर्टर को वीडियो बनाता देखकर कहता है कि देश-विदेश से लोगों को सीवर के इसी गंदे पानी में नहाने के लिए बुलाया जा रहा है. सरकार को गंगा का पानी साफ़ करने की दिशा में ठोस क़दम उठाना चाहिए.
यह सिर्फ़ सलोरी की बात नहीं है. अरैल, झूंसी, छतनाग, सलोरी आदि जगहों से सीवरों से होकर शहर का मलयुक्त पानी गंगा और जमुना में गिर रहा है.
शहर के एक सामाजिक कार्यकर्ता सवाल उठाते हैं कि दिल्ली की सारी मीडिया, सारे यूट्यूबर्स डेढ़-दो महीने से गंगा किनारे डेरा डाले हुए हैं. आख़िर उनको गंगा में गिरता सीवर का पानी क्यों नहीं दिखा? इस मुद्दे को उठाने से मीडिया क्यों बचती रही?
बीते दिनों राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में गंगा के पानी में फीकल कोलीफॉर्म की बढ़ी मात्रा की पुष्टि होने के बाद यहां पहुंचे कई लोग ख़ुद को ठगा हुआ और अपमानित महसूस कर रहे हैं.
कानपुर से गंगा किनारे कल्पवास करने आईं शांति देवी क्षुब्ध हैं. उनके पति और बेटा शिक्षक हैं. वो कहती हैं कि सरकार को इतना बड़ा धोखा नहीं देना चाहिए था. उन्होंने करोड़ों लोगों की आस्था से खिलवाड़ किया है.
इलाहाबाद के सोरांव क्षेत्र की उमा देवी का कहना है कि ये हिंदू समुदाय के साथ धोखा है. ‘अगर हमें यह पहले बता दिया गया होता तो अपने बच्चों को मल वाले पानी में कतई नहीं नहलातीं. लेकिन सरकार ने ये बातें छुपाकर लोगों को मलयुक्त पानी में डुबकी लगाने के लिए बाध्य किया है. सरकार चाहती तो लोगों के गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के लिए कोई पुख़्ता इंतेज़ाम कर सकती थी पर सरकार ने क्यों नहीं किया पता नहीं.’
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के फोटो के साथ बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे- ‘जन्म-जन्मांतर के पुण्य खिले, आओ हम महाकुंभ चले’– इस टैगलाइन के साथ लोगों को कुंभ नहाने के लिए बुलाया गया. ख़ुद मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार के एक्स एकाउंट से लगातार अपडेट दिया जा रहा है कि अब तक 52.96 करोड़ लोगों ने पवित्र डुबकी लगाई है.
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लेकिन सीपीसीबी की रिपोर्ट से ज़ाहिर होता है कि गंगा-यमुना सीवर बन चुकी हैं. उनमें फेकल कोलीफॉर्म यानी इंसानों के मल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की तादाद औसत से ज़्यादा पाई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पानी नहाने लायक नहीं है. वहीं विधानसभा में मुख्यमंत्री ने इस रिपोर्ट को ‘महाकुंभ को बदनाम करने वाला प्रचार’ बताया. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संगम का जल न केवल स्नान बल्कि आचमन के लिए भी उपयुक्त है.
मेला क्षेत्र में गोरखपुर से आए एक श्रद्धालु भी सीपीसीबी की रिपोर्ट को विपक्षी साजिश करार देते हैं. जब उनसे पूछा गया कि राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केंद्र सरकार के अधीन काम करता है, और उसमें भला विपक्ष की क्या साजिश हो सकती है, वह कहते हैं कि कुंभ मेला पर हिंदुओं की आस्था को हटाने और बदनाम करने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं.
गंगा के प्रदूषण की रिपोर्ट नई नहीं
गंगा के पानी में प्रदूषक की मात्रा को लेकर यह कोई पहली रिपोर्ट नहीं है. दो साल पहले 27 जुलाई 2022 को ‘नमामि गंगे’ परियोजना को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और यूपी प्रदूषण बोर्ड को फटकार लगाया था. तब कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी में कहा था कि गंगा की सफ़ाई से जुड़ी रिपोर्ट आंख में धूल झोंकने वाली है. ट्रीटमेंट प्लांट किसी काम का नहीं है.
इलाहाबाद शहर के निवासी और अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव डॉक्टर आशीष मित्तल कहते हैं कि इस प्रदूषण से सबसे आम बीमारी डायरिया है और अमीबायसिस या बैक्टीरिया इन्फेक्शन इसका कारण होता है. कुंभ में नहाने आए कई लोग इससे प्रभावित हुए हैं और पानी का प्रदूषण उसका कारण है.
वे कहते हैं कि कोई बताने भी नहीं आ रहा कि कितने लोग बीमार पड़े और न ही सरकार इसका आकलन करने जा रही है.
(सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार हैं.)