संसदीय समिति ने रेलवे से पूछा, लक्ज़री ट्रेनें ख़ाली क्यों चल रही हैं

संसद की स्थायी समिति ने कहा, लक्जरी ट्रेनें 70 प्रतिशत ख़ाली सीटों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं. यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से न लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की.

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महाराजा एक्सप्रेस. (फोटो साभार: www.maharajas-express-india.com)

संसद की स्थायी समिति ने कहा, लक्ज़री ट्रेनें 70 प्रतिशत ख़ाली सीटों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं. यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से न लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की.

महाराजा एक्सप्रेस. (फोटो साभार: www.maharajas-express-india.com)
महाराजा एक्सप्रेस. (फोटो साभार: www.maharajas-express-india.com)

नई दिल्ली: संसद की एक स्थायी समिति ने रेलवे से पूछा है कि वह लक्जरी ट्रेनों का परिचालन सिर्फ 30 प्रतिशत बुकिंग के साथ क्यों कर रही है. रेल पर संसद की स्थायी समिति ने 4 जनवरी को संसद में पर्यटन संवर्द्धन और तीर्थाटन सर्किट पर अपनी रिपोर्ट पेश की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय को स्थिति-सुधार के उपाय करने चाहिए. समिति के अनुसार महाराजा एक्सप्रेस, गोल्डन चैरियट, रायल राजस्थान आन व्हील्स, डेक्कन ओडिसी और पैलेस आन व्हील्स ट्रेनों में 2012 से 2017 के दौरान खाली सीटों की संख्या क्रमश: 62.7 प्रतिशत, 57.76 प्रतिशत, 45.46 प्रतिशत और 45.81 प्रतिशत रही है.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंध्योपाध्याय की अगुवाई वाली समिति ने कहा कि सबसे चौंकाने वाला मामला महाराजा एक्सप्रेस का है. यह ट्रेन पूरी तरह भारतीय रेल द्वारा चलाई जाती है. 2012-13, 2103-14, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में इस ट्रेन में यात्रियों की औसत संख्या क्षमता के क्रमश:29.86 प्रतिशत, 32.33 प्रतिशत, 41.8 प्रतिशत, 41.58 प्रतिशत और 36.03 प्रतिशत रही.

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जबकि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने व्यापार और यात्रा पर अंशधारकों के साथ पहला परिचर्चा सत्र आयोजित किया है. रेलवे की इस पहल का मकसद रेलवे के माध्यम से पर्यटन को प्रोत्साहन देना है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने लक्जरी ट्रेनों में यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से नहीं लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की है. समिति ने कहा है कि मंत्रालय को इसकी उचित तरीके से समीक्षा के बाद बताना चाहिए कि ऐसी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं.