दिल्ली के संसद मार्ग पर मंगलवार को हुई युवा हुंकार रैली में वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि वे संविधान और मनुस्मृति में से किसे चुनेंगे.
भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ की रिहाई के लिए दिल्ली के संसद मार्ग पर युवा हुंकार रैली आयोजन किया गया. रैली में दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी के साथ जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद सहित कई छात्र नेता शामिल हुए. आयोजकों के अनुसार देश के 42 सामाजिक संगठनों ने मंगलवार की रैली को समर्थन दिया.
दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा, ‘मोदी जी गुजरात आते हैं, तो पुलिस मुझे गिरफ्तार कर लेती है, लेकिन अब मैं दिल्ली आया हूं तो भी मोदी जी गिरफ्तार करवाना चाहते हैं.’
गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक ने आगे कहा, ‘मैं सिलाई मशीन पर जीता हूं. गुजरात में जो 22 साल तक तोड़ने की राजनीति हुई, उसे मैं जोड़ने आया हूं. ये लोग लव जिहाद की बात करते हैं. हम प्यार, इश्क और मोहब्बत की बात करते हैं. हम 14 अप्रैल भी मनाएंगे और 14 फरवरी (वैलेंटाइन्स डे) भी मनाएंगे.’
गुजरात चुनाव पर मेवाणी ने कहा कि गुजरात के तीन युवा (हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश) ने मिलकर भाजपा के 150 सीट के घमंड को तोड़ दिया और इसी वजह से उनपर हमला हो रहा है.
इस रैली के लिए अनुमति मिलने की बात पर युवा विधायक ने कहा, ‘चंद्रशेखर की रिहाई, लोकतंत्र और संविधान को लागू करना और दो करोड़ युवाओं को रोजगार की बात करने की इजाज़त अगर एक विधायक को नहीं है, तो आम जनता को कैसे होगी? हमारे संविधान पर खतरा है और उसको बचाने के लिए सड़कों की लड़ाई के साथ हम विधानसभा में भी आवाज़ उठाएंगे.’
मालूम हो कि 30 साल के चंद्रशेखर आजाद को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में पिछले साल हुए ठाकुर-दलित संघर्ष को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है.
मेवाणी ने अपने भाषण में युवाओं से प्रधानमंत्री से सवाल करने की बात कहते हुए पूछा कि दो करोड़ युवाओं को रोजगार, 15 लाख कहां गए, किसानों को उचित दाम, दलितों को इंसाफ क्यों नहीं मिल रहा है.
मेवाणी ने कहा, ‘सरकार के पिछले चार साल में रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार जैसे मुद्दे को भटकाने के लिए घर वापसी, नोटबंदी, गाय जैसे मुद्दों को सरकार इस्तेमाल कर रही है. अंबानी और अडाणी की जमीन दे रही है, जबकि इस पर पहला हक भूमिहीनों का है.
मेवाणी ने एक हाथ में संविधान और मनुस्मृति लेकर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया कि संविधान और मनुस्मृति में से वो किसे चुनेंगे.
मंच पर कन्हैया कुमार, शहला राशिद और उमर खालिद समेत जेएनयू के कई पूर्व और वर्तमान छात्र नेता मौजूद थे. साथ ही असम के किसान नेता अखिल गोगोई और उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण भी मौजूद थे.
इनके साथ दिल्ली विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों के छात्र भी रैली में शामिल हुए. सभा को संबोधित करने वाले लोगों ने शिक्षा का अधिकार, रोजगार, आजीविका तथा लैंगिक न्याय जैसे मुद्दों पर जोर दिया.
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा, ‘हम किसी भी जाति या धर्म के खिलाफ नहीं है. हमारी सिर्फ यही मांग है कि देश में लोकतंत्र और संविधान को लागू किया जाना चाहिए.’
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को वाशिंग मशीन बताते हुए कन्हैया ने कहा कि यह दल अपने नेताओं के आपराधिक आरोपों को धो देता है. भाजपा और आरएसएस नेता हिंसा और घृणा फैलाने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने युवाओं से इनके जाल में नहीं फंसने की अपील की.
उन्होंने कहा, ‘लोकसभा में भाजपा के कई सांसद हैं जिनके खिलाफ मामले चल रहे हैं. भाजपा कोई दल नहीं है बल्कि वह वाशिंग मशीन है जो अपने नेताओं के खिलाफ लगे आपराधिक आरोपों को साफ करने का काम करती है.
उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा, चाहे कितने ही कठिनाइयों से आप गुजर रहे हों या कितने ही क्रोधित आप हों, इनके जाल में मत फंसें.’
उन्होंने आगे कहा, ‘भाजपा और आरएसएस को राम राज नहीं चाहिए. यह सिर्फ देश में दो समुदाय की बीच जहर घोलने का काम कर रही है. आप लोग यह समझ लीजिए कि राम और अल्लाह की लड़ाई में जीत नाथूराम गोडसे को होगी. यह लोग कहते हैं कि कण-कण में भगवान है, तो मंदिर किस लिए. यह लोग कहते हैं हर मानव में भगवान है, तो क्या अफ़राजुल के अंदर भगवान नहीं था? भगवान ने इंसान बनाया और वही इंसान धर्म को कैसे बचा सकता है?’
कन्हैया कुमार ने प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए कहा कि लोकतंत्र ने देश में बोलने की और विरोध करने की आजादी दी है और जब प्रधानमंत्री के पीठ पर रिलायंस का हाथ होगा, तो लोकतंत्र नहीं कॉरपोरेट मजबूत होगा.
कुमार ने मुकेश अंबानी के बेटे पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘अनंत अंबानी ने अभी भाषण दिया कि रिलायंस मेरी जान है और जब उसपर न्यूज़ वेबसाइट ने स्टोरी की तो उसे बाद में हटाना पड़ा. मोदी जी का मजाक उड़ाते हैं तो ऐसा नहीं होता, लेकिन अनंत अंबानी का नहीं उड़ा सकते. यह है कॉरपोरेट की ताकत जो प्रधानमंत्री से भी मजबूत है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी राजनीति अलग है और हम शोषित जाति से हैं, जिसमें दलित, पिछड़ा, आदिवासी, किसान और मजदूर शामिल है. आपके टैक्स के पैसे से पढ़े हैं, तो आपके मुद्दे उठाएंगे.’
कुमार ने मीडिया की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में मीडिया की विश्वसनीयता गिर गई है और यह लोकतंत्र के लिए खतरा है, इसलिए मीडिया की विश्वसनीयता बनी रहनी चाहिए.
इस कार्यक्रम में भीम आर्मी के संस्थापक विनय रतन भी शामिल हुए थे. उन्होंने ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘भीम आर्मी राजनीति करने नहीं आई है. हम व्यवस्था बदलने आए हैं. हम जनता के आंदोलन को इतना बड़ा करना चाहते हैं कि जब जनता बोले तो शासक को डर लगना चाहिए कि जनता गुस्से में हैं और अगर वो काम नहीं करेगा, तो जनता कुर्सी से उतार देगी.’
विनय ने भीम आर्मी के विस्तार पर कहा, ‘हम भीम आर्मी को पूरे भारत में स्थापित करेंगे और चंद्रशेखर की रिहाई के लिए सड़क पर उतरेंगे. अगर भीम आर्मी के लोग सड़क पर उतरकर अपना अधिकार मांगने लगे, तो आरएसएस की हालत खराब हो जाएगी.’
जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद ने अपने भाषण की शुरुआत जनता तक पहुंचने की बात से की. उन्होंने कहा, ‘हम युवाओं को अगर अपनी बात जनता तक पहुंचाना है, तो हमारे पास सोशल मीडिया की ताकत है, जिससे हम पूरी दुनिया में लोगों से जुड़ सकते हैं.’
मीडिया में रैली की इजाज़त न होने की खबर पर शहला ने कहा, ‘जब युवा रैली करते हैं, तो उनको इजाज़त नहीं दी जाती और पुलिस गिरफ्तार करने पहुंच जाती है और छात्रों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा लगाती है. अफ़राजुल की हत्या करने वाले शंभू को अदालत में पेश किया जाता है, तो बजरंग दल के लोग अदालत का घेराव करते हैं और अदालत पर चढ़कर भगवा झंडा लगाते हैं, तो पुलिस उनपर कोई राष्ट्रद्रोह का मुकदमा छोड़ो सामान्य मुकदमा भी दर्ज नहीं करती.’
उन्होंने चंद्रशेखर की रिहाई के लिए हम देशव्यापी आंदोलन करने की बात कही.
जेएनयू के छात्रनेता दिलीप यादव ने चंद्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ की रिहाई को लेकर कहा कि उन्होंने पिछली बार एक आंदोलन के वक्त उत्तर प्रदेश विधानसभा का घेराव किया था और अगर सरकार चंद्रशेखर को रिहा नहीं करती, तो दिल्ली के संसद को भी घेरेंगे.
इलाहाबाद छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी की युवा नेता ऋचा सिंह ने युवा और छात्रों के आंदोलन को दबाने का आरोप मोदी सरकार पर लगाया.
ऋचा ने कहा, ‘इंदिरा गांधी ने जब आपातकाल लगाया था तब देश के युवा ने ही उनकी सत्ता को खत्म किया था. केंद्र में मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश में योगी सरकार अगर युवाओं के आंदोलन को खत्म करने की सोच रही है, तो वे समझ लें कि युवा फिर एकजुट हो रहा है और उनकी सत्ता को आने वाले चुनाव में खत्म कर देगा.’
उन्होंने चंद्रशेखर आजाद की रिहाई पर उन्होंने कहा, ‘देश में दलित, पिछड़ों और महिलाओं पर ज़ुल्म हो रहा है और हम सहारनपुर की लड़ाई नागपुर में घुसकर लड़ेंगे.’
असम के किसान नेता अखिल गोगोई ने मोदी सरकार के हिंदुत्व एजेंडे पर जमकर हमला किया और कहा, ‘मोदी सरकार में किसान, युवा, दलित और पिछड़े परेशान है और उन पर अत्याचार हो रहा है, लेकिन मोदी सरकार सिर्फ हिंदू राष्ट्र के लिए काम कर रही है. असम बहुत सुंदर राज्य है, लेकिन वहां भी बांग्लादेश के हिंदुओं को लाकर अपना एजेंडा साध रही है और अपना वोट बैंक बना रही है.’
बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज मंजिल ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को मजा चखाएंगे और सभी युवा मिलकर उनको सत्ता से उतार देंगे.
मंजिल ने संघ पर हमला करते हुए कहा, ‘आरएसएस के लोग आजादी की जंग में अंग्रेजों की दलाली करते थे और देश में नफरत फैलाने का काम तब से ही कर रहे हैं. यह लोग राम रहीम के सेवक हैं और हम इनसे रोजगार, किसान और सामाजिक न्याय जैसे मामलों के लिए उम्मीद नहीं कर सकते हैं. मैं बिहार में युवाओं को एकजुट करूंगा और सभी युवा पुरे देश में एक जुट होकर इस अहंकारी को सत्ता से बाहर करेंगे.’
युवा हुंकार रैली में आए लोगों से बातचीत
युवा हुंकार रैली में जुटी भीड़ से संतुष्ट: मेवाणी
रैली होने के बाद मीडिया में इस रैली में जनता की कमी के बारे में खबरें आती रहीं. इस बारे में जब रैली के आयोजक नदीम से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मीडिया ने कल एक खबर चलाई थी कि मंगलवार की रैली रद्द कर दी गयी है और आज के बहुत सारे अखबार में भी छपा है. मीडिया ने पैसे खाकर हमारी कोशिश नाकाम करने की कोशिश की. हमारे बहुत सारे लोगों को दिल्ली के बॉर्डर पर पुलिस ने रोक लिया है और इस पूरे इलाके को सील कर दिया. सरकार और उसकी खरीदी हुई मीडिया ने दुष्प्रचार कर रैली फ़्लॉप करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी देश के बहुत सारे राज्य से युवा पहुंचे हैं.’
वहीं जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि रैली के विरोध में अभियान चलाने के बाद भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में युवा हुंकार रैली में पहुंचे लोगों की भीड़ से वह संतुष्ट हैं. रैली में शामिल होने के बाद उन्होंने एक टेलीविजन चैनल पर कहा, ‘किसी भी चुने हुए प्रतिनिधि या देश के नागरिक को इस तरह के शांति मार्च निकालने की अनुमति क्यों नहीं मिलनी चाहिए.’
मेवाणी ने रैली में आए लोगों की संख्या पर संतुष्टि जताते हुए कहा, ‘पुलिस और एक अभियान द्वारा इस कार्यक्रम के रद्द होने को लेकर ट्वीट करने के बाद भी इस रैली में करीब 2,000 लोग आए थे.
जब उनसे पूछा गया कि उनको दलित नेता या युवा नेता में से क्या कहलाना पसंद है तो उन्होंने कहा कि वह अन्य युवा नेताओं के साथ जाति और धर्म से पर उठेंगे और देश में युवाओं द्वारा झोली जा रही समस्याओं को उठाएंगे.
मेवाणी ने कहा, ‘शीघ्र ही हम प्रगतिशील लोगों और आंबेडकर की विचारधारा को मानने वालों के साथ हाथ मिलाकर अपना विस्तार करेंगे. दलित परिवार से एक युवा नेता की मौजूदगी भी आवश्यक है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)