सुप्रीम कोर्ट ने कन्नड़ साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की पत्नी द्वारा दायर एसआईटी जांच की याचिका पर इन सभी को 6 हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा है.
नई दिल्ली: लेखक और तर्कवादी एमएम कलबुर्गी हत्याकांड की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित कराने के लिए दायर याचिका पर बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किए. यह याचिका कलबुर्गी की पत्नी ने दायर की है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड की खंडपीठ ने इस याचिका पर एनआईए और सीबीआई के साथ ही महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार से भी जवाब मांगा है. इन सभी को छह सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं.
तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की अगस्त 2015 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.
कलबुर्गी की पत्नी उमा देवी कलबुर्गी का आरोप है कि इस हत्याकांड की जांच में अभी तक कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनके पति और बौद्धिक तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या में बहुत अधिक समानता है.
नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में ओर गोविंद पानसरे की 16 फरवरी 2015 को कोल्हापुर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.
कलबुर्गी की पत्नी ने याचिका में कहा है कि दाभोलकर और पानसरे हत्याकांड की जांच की प्रगति भी संतोषजनक नहीं है और हत्यारों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है.
याचिका में कहा गया है कि 2016 में कर्नाटक के तत्कालीन गृहमंत्री ने एक बयान में दावा किया था कि घटनास्थल से बरामद कारतूसों के फॉरेंसिक विश्लेषण से पता चलता है कि तीनों हत्याओं में परस्पर संबंध है.
यह भी आरोप लगाया गया है कि पानसरे की हत्या में प्रयुक्त एक हथियार का इस्तेमाल कलबुर्गी की हत्या में भी इस्तेमाल हुआ था. इसलिए महाराष्ट्र और कर्नाटक पुलिस के अलावा सीबीआई और एनआईए के बीच सामंजस्य की आवश्यकता है.
हंपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और जाने-माने विद्वान कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को कर्नाटक के धारवाड़ के कल्याण नगर स्थित उनके आवास में ही गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कालबुर्गी 77 वर्ष के थे.