संसाधनों का अभाव मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में बाधक: इसरो के पूर्व प्रमुख

इसरो के अध्यक्ष पद से इस महीने रिटायर हुए एएस किरण कुमार ने कहा कि प्रस्ताव पर एक दशक पहले विचार किया गया था, लेकिन इस पर बहुत प्र​गति नहीं हो सकी.

/
इसरो के पूर्व प्रमुख एएस किरण कुमार. (फोटो: पीटीआई)

इसरो के अध्यक्ष पद से इस महीने रिटायर हुए एएस किरण कुमार ने कहा कि प्रस्ताव पर एक दशक पहले विचार किया गया था, लेकिन इस पर बहुत प्रगति नहीं हो सकी.

PTI6_5_2017_000256A
PTI6_5_2017_000256A

हैदराबाद: संसाधनों के अभाव ने इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को लंबे समय से अटका रखा है क्योंकि यह शीर्ष प्राथमिकता सूची में नहीं है.

इस संबंध में एक प्रस्ताव पर एक दशक पहले विचार किया गया था, लेकिन इस पर बहुत अधिक प्रगति अब तक नहीं हो सकी है.

इस महीने की शुरुआत में इसरो के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए एएस किरण कुमार ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी की प्राथमिकता अब भी अपने अवलोकन, संचार और नौसंचालन क्षमताओं को मज़बूत बनाने की है.

उन्होंने कहा, ‘इस समय आप कह सकते हैं कि यह (मानव अंतरिक्ष उड़ान) प्राथमिकता में काफी ऊपर नहीं है.’

इसरो द्वारा एक दशक से अधिक समय पहले बुलाई गई एक बैठक में वैज्ञानिकों ने इस तरह के मिशन में उसके द्वारा किए गए अध्ययन की सराहना की थी और उन्होंने सर्वसम्मति से सुझाव दिया था कि इस कार्य को शुरू करने का यह उचित समय है.

कई अंतरिक्ष विज्ञानियों का कहना है कि इस तरह का मिशन अच्छी प्रतिभाओं को आकर्षित करने में मदद करेगा और गौरव बढ़ाने के अतिरिक्त भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बिल्कुल अलग स्तर पर ले जाएगा.

जो जबर्दस्त सकारात्मक प्रभाव यह पैदा करेगा उससे किरण कुमार ने सहमति जताई लेकिन साफ कर दिया कि पर्याप्त संसाधनों का अभाव इसमें प्रमुख बाधा है.

उन्होंने कहा, ‘आपको इसके लिए संसाधन की आवश्यकता है.’

एक दशक पहले परियोजना की अनुमानित लागत आठ हज़ार से 10 हज़ार करोड़ रुपये होने की ख़बरों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘यह उससे कहीं ज़्यादा है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या यह लागत अब 20 हज़ार करोड़ रुपये तक चली गई होगी तो उन्होंने कहा कि एक दशक पहले भी यह उसी रेंज में था, लेकिन उन्होंने यह बात जोड़ दी कि वह अनुमान लगाना नहीं चाहते हैं और वास्तविक ख़र्च पर काम करना होगा.

उन्होंने कहा, ‘इस समय प्राथमिकता के मामले में अगर आप देखते हैं तो हमें अब भी इस बात को सुनिश्चित करना है कि अवलोकन, संचार और नौसंचालन की हमारी बुनियादी क्षमताएं उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की हमें आवश्यकता है और यह उच्च प्राथमिकता में रहेगा.’