फैब इंडिया पर ट्रेडमार्क के अवैध उपयोग का आरोप, खादी गामोद्योग ने मांगा 525 करोड़ का हर्जाना

खादी और ग्रामोद्योग उद्योग का फैब इंडिया पर आरोप है कि उसने उसके ट्रेडमार्क ‘चरखा’ का अवैध रूप से इस्तेमाल किया. आयोग को फैब इंडिया द्वारा अपने परिधान खादी ब्रांड से बेचे जाने पर भी आपत्ति है.

(फोटो साभार: विकिपीडिया)

खादी और ग्रामोद्योग उद्योग का फैब इंडिया पर आरोप है कि उसने उसके ट्रेडमार्क ‘चरखा’ का अवैध रूप से इस्तेमाल किया. आयोग को फैब इंडिया द्वारा अपने परिधान खादी ब्रांड से बेचे जाने पर भी आपत्ति है. फैब इंडिया ने आरोपों को निराधार बताया.

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(फोटो साभार: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: खादी व ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने फैब इंडिया को नोटिस जारी कर 525 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है. आयोग का फैब इंडिया पर आरोप है कि उसने उसके ट्रेडमार्क ‘चरखा’ का अवैध रूप से इस्तेमाल किया. इसके साथ ही आयोग को फैब इंडिया द्वारा अपने परिधान खादी ब्रांड से बेचे जाने पर भी आपत्ति है.

फैब इंडिया परिधान बेचने वाली प्रमुख शृंखला है.

आयोग द्वारा भेजे गए कानूनी नोटिस के अनुसार, अगर कंपनी उसके ट्रेडमार्क जैसे नाम का प्रदर्शन बंद नहीं करती है तो फैब इंडिया ओवरसीज़ प्राइवेट लिमिटेड के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.

फैब इंडिया के प्रवक्ता ने आयोग के दावे को ‘आधारहीन’ क़रार दिया और कहा अगर कोई कार्रवाई की जाती है तो कंपनी पूरी ताक़त से अपना बचाव करेगी.

आयोग ने अपने नोटिस में कंपनी से कहा है कि वह अपने कपड़ों व अन्य उत्पादों को बेचने के लिए चरखा या खादी मार्क का इस्तेमाल नहीं करें.

आयोग ने कंपनी से इस मामले में बिना शर्त माफ़ी मांगने को कहा है. इसके अनुसार कंपनी यह लिखकर दे कि वह खादी या इससे जुड़े ऐसे कोई उत्पाद नहीं बेचेंगे जिन पर खादी ट्रेडमार्क हो.

सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन आने वाले स्वायत्त निकाय खादी ग्रामोद्योग ने यह नोटिस 29 जनवरी को जारी किया और कंपनी को जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया.

वहीं फैब इंडिया के प्रवक्ता ने कहा है, ‘हमें आयोग के वकीलों के मार्फत भेजा गया नोटिस मिला है. हमें इसकी विषयवस्तु पर हैरानी है. हम पिछले दो साल में अनेक बैठकों व संवाद के ज़रिये आयोग को स्पष्ट कर चुके हैं कि फैब इंडिया ने केवीआईसी क़ानून या उसके बाद बने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.’

प्रवक्ता ने कहा, ‘नोटिस में किए गए दावे आधारहीन हैं.’

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