भाजपा शासित चुनावी राज्यों के लिए रेल बजट में ज़ोरदार बढ़ोतरी

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इन राज्यों के आवंटन में क्रमश: 906 प्रतिशत, 1,173 प्रतिशत और 567 प्रतिशत का इज़ाफ़ा किया गया है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इन राज्यों के आवंटन में क्रमश: 906 प्रतिशत, 1,173 प्रतिशत और 567 प्रतिशत का इज़ाफ़ा किया गया है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: चुनाव में जाने वाले भाजपा शासित राज्यों को 2018-19 के रेल बजट में आवंटन में ज़ोरदार बढ़ोतरी हुई है. रेलवे द्वारा बीते मंगलवार को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 2009-14 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के औसत आवंटन की तुलना में इन राज्यों के लिए आवंटन में उल्लेखनीय इज़ाफ़ा किया गया है.

हालांकि, ग़ैर भाजपा शासित राज्यों मसलन पश्चिम बंगाल, केरल और दिल्ली के आवंटन में कहीं कम वृद्धि हुई है. रेलवे की ओर से बताए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इन राज्यों के आवंटन में क्रमश: 906 प्रतिशत, 1,173 प्रतिशत और 567 प्रतिशत का इज़ाफ़ा किया गया है.

पिछले साल भाजपा ने उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव जीता था. उसके आवंटन में 695 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है. उत्तराखंड को रेल बजट में 1,490 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

भाजपा शासित एक अन्य राज्य उत्तर प्रदेश के लिए आवंटन 567 प्रतिशत बढ़ा है. अन्य भाजपा शासित राज्यों मसलन महाराष्ट्र और गुजरात के लिए भी आवंटन 400 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है.

मध्य प्रदेश के लिए आवंटन बढ़कर 6,359 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. यह 2009-14 के दौरान संप्रग के कार्यकाल में औसत आवंटन से 906 प्रतिशत अधिक है.

वहीं ग़ैर भाजपा शासित राज्यों में पश्चिम बंगाल के लिए आवंटन मात्र 24 प्रतिशत बढ़ा है. केरल के लिए इसमें 148 प्रतिशत तथा दिल्ली के लिए 180 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है.

रेलवे की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, रेल बजट में पश्चिम बंगाल के आवंटन में सिर्फ़ 24 प्रतिशत, केरल के आवंटन में 148 प्रतिशत और दिल्ली के आवंटन में 180 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. पिछले साल की तुलना में पश्चिम बंगाल, केरल और दिल्ली के आवंटन में क्रमश: 14 प्रतिशत, 23 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की कमी की गई है.