अफीम उत्पादन के लिए चर्चित मध्य प्रदेश के मालवांचल इलाके में किसानों को अफीम की फसल पहले चोर, लुटेरों और तस्करों से बचानी पड़ती थी, लेकिन अब यहां के किसान तोतों से परेशान हैं.
मालवांचल में इस समय अफीम को डोडों से निकालने का काम जोर-शोर से चल रहा है. यहां के तोते अफीम के नशे के आदी होकर अफीम के डोडों को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे किसान को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है.
किसान रातभर जागकर जहां चोर और लुटेरों से फसल बचाने में लगा है तो वहीं अब दिन में भी तोतों के कहर के चलते परेशानियों का सामना करने को मजबूर है.
किसानों ने तोतों से अपनी फसल बचाने के लिए हज़ारों रुपये खर्च कर पूरे के पूरे खेत जालियों से कवर कर रखे हैं. इसके बावजूद तोते इस नशे के इतने आदी हैं कि वे जहां तहां से रास्ता निकालकर अफीम को चट करने में लग जाते हैं.
किसान खेतों में आवाज़ें लगाने के साथ पत्थर मारकर इन्हें भागते भी हैं लेकिन इन तोतों पर अफीम का नशा इस क़दर हावी है कि ये लाख जतन के बावजूद खेतों से नहीं भागते हैं और आसपास ही मंडराते रहते हैं.
नीमच ज़िले के भोलियावास गांव के किसान रामगोपाल धाकड़ का कहना है, ‘पहले तो वह अफीम को प्रकृति की मार, चोर-लुटेरों या नीलगाय से बचाने की जद्दोजहद में लगे रहते थे, लेकिन अब कुछ साल से तोतों ने भी अफीम को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है. इससे लगता है कि अब ये तोते भी अफीम के नशे के शौकीन हो गए हैं क्योंकि ये झुंड के झुंड में आकर अफीम के डोडों को कुतरते हैं और अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो फसल को भारी नुकसान भी पहुंचा देते हैं.’
किसान मोहन नागदा बताते हैं, ‘पहले तो हमारी रात ही काली होती थी लेकिन अब तोतों ने दिन भी काले कर दिए हैं. दिन में भी एक मिनट के लिए हम अफीम की फसल को नहीं छोड़ सकते हैं, कोई न कोई खेत पर होता है. तोतों को उड़ाने और भगाने के लिए एक आदमी को खेत पर ज़रूर होता है नहीं तो ये हमारी अफीम को चट कर देते हैं.