आरोपियों से मिलने के बारे में कर्नल पुरोहित ने अपने नए बयान में कहा कि वे जिससे भी मिले, सेना के ख़ुफिया अधिकारी के बतौर मिले.
हैदराबाद: साल 2007 में मक्का मस्जिद बम विस्फोट मामले में गवाह लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित गुरुवार को यहां अदालत में अपने बयान से पलट गये.
वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी पुरोहित को यहां 18 मई, 2007 को मक्का मस्जिद में विस्फोट से संबंधित मामले में सीबीआई ने गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया है. इस विस्फोट में नौ लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे.
बाद में इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया था. अभियोजन पक्ष के एक अधिकारी ने बताया कि यहां की एक सत्र अदालत ने 14 फरवरी को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पुरोहित को तलब किया था.
अपने नये बयान में पुरोहित ने कहा कि वह सेना में एक खुफिया अधिकारी के रूप में काम करते थे और वह जिस किसी (आरोपी) से भी वह मिले, अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के दौरान मिले.
उन्होंने इस बात को खारिज किया कि मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी. उन्होंने अदालत में दावा किया कि नासिक जेल में बंद होने के दौरान सीबीआई ने कभी भी उनका बयान रिकॉर्ड नहीं किया.
सीबीआई की दलील का खंडन करते हुए पुरोहित ने कहा कि वह एक आरोपी भरत भाई को नहीं जानते. वह एक अन्य आरोपी स्वामी असीमानंद को जानते हैं लेकिन कभी भी दोनों ने एक सह आरोपी सुनील जोशी की मौत के बारे में बात नहीं की.
उच्चतम न्यायालय ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में पुरोहित को अगस्त 2017 में जमानत दे दी थी. तब तक पुरोहित नौ साल जेल में बिता चुके थे.
हैदराबाद की अदालत ने अब तक मक्का मस्जिद मामले में 222 गवाहों से पूछताछ की है. मामले की अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी.
मामले के आठ आरोपियों में से दो, स्वामी असीमानंद और भरत भाई जमानत पर हैं जबकि तीन अन्य जेल में हैं. दो आरोपी फरार हैं जबकि एक अन्य आरोपी सुनील जोशी की मौत हो गई है.