आप से अलग हो चुके मयंक गांधी की किताब ‘आप एंड डाउन’ का विमोचन करते हुए यादव ने कहा कि देश के मौजूदा राजनीतिक हालात से घोर निराशा में डूबे करोड़ों लोगों को आप के गठन ने वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद जगाई थी.
नई दिल्ली: आप के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव और मयंक गांधी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद आप नेतृत्व में पैदा हुई दरार को छुपाने को अपनी भूल माना है.
यादव ने आज आम आदमी पार्टी (आप) के अब तक के उतार चढ़ाव पर आधारित एक पुस्तक के विमोचन के मौक़े पर यह बात कही. आप से अलग हो चुके मयंक गांधी द्वारा लिखित पुस्तक ‘आप एंड डाउन’ का विमोचन करते हुए यादव ने कहा कि देश के मौजूदा राजनीतिक हालात से घोर निराशा में डूबे करोड़ों लोगों को आप के गठन ने विकल्प की राजनीति की उम्मीद जगाई थी.
उन्होंने माना कि इस उम्मीद को जगाने की उपलब्धि का श्रेय अरविंद केजरीवाल को मिलना चाहिए. यादव ने इस उम्मीद को देश के जनमानस के दिल दिमाग का ‘वायरस’ बताते हुए कहा कि लोगों की उम्मीदों का टूटना दुर्भाग्यपूर्ण रहा.
मयंक गांधी ने यादव की इस बात से इत्तेफाक जताते हुए कहा कि इस पुस्तक में उन्होंने आप की स्थापना से लेकर अब तक के उतार- चढ़ाव की वास्तविक तस्वीर पेश करने की कोशिश की है. इसमें पार्टी में आई ख़ामियों के अलावा अभी भी लोगों में इस पार्टी के प्रति बरक़रार ‘बदलाव की उम्मीद’ का जिक्र किया है.
मयंक गांधी ने कहा कि मूल्यों से समझौता किए बिना जब चुनाव लड़ा तब आप ने 28 सीटें जीती थीं और 2015 में जब मूल्यों के साथ थोड़ा बहुत समझौता किया तब पार्टी ने 67 सीटें जीतीं. यादव ने मयंक के इस आंकलन को सही बताते हुए कहा कि जीत- हार के गणित का यह मूल्यांकन आप के उतार चढ़ाव का आइना है.