नेता भगवान नहीं जिसे कानून के उल्लंघन का अधिकार मिल जाता है: बॉम्बे हाईकोर्ट

हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि नगर निगम और पुलिस नियमों का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू करने से डर क्यों रही है? आपको निर्भीक होना चाहिए और किसी से नहीं डरना चाहिए.

बॉम्बे हाई कोर्ट (फोटो : पीटीआई)

हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि नगर निगम और पुलिस नियमों का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू करने से डर क्यों रही है? आपको निर्भीक होना चाहिए और किसी से नहीं डरना चाहिए.

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मुंबई:  बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मैंग्रोव पर अतिक्रमण करने वाले दो स्थानीय पार्षदों के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस को मामला दर्ज करने का निर्देश देते हुए कहा कि नेता भगवान नहीं हैं और कानून से कोई ऊपर नहीं है.

न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने मीरा रोड थाने को स्थानीय पार्षद भाजपा के परशुराम म्हात्रे और शिवसेना की अनीता पाटिल के खिलाफ एक हफ्ते के भीतर पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत नियमों का उल्लंघन करने के लिए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया.

पीठ ने कहा, ‘राजनीतिक नेता कानून से ऊपर नहीं हैं. वे भगवान नहीं हैं या कोई ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिसे कानून के उल्लंघन का अधिकार मिल जाता है. नगर निगम और स्थानीय पुलिस नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने से डर क्यों रही है? आपको निर्भीक होना चाहिए और किसी से नहीं डरना चाहिए.’

सामाजिक कार्यकर्ता भरत मोकल ने अपने वकील डीएस महेस्कर के जरिए जनहित याचिका दायर की थी. पीठ ने इसी पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. याचिका के मुताबिक म्हात्रे और पाटिल, दोनों ने अपने रिहाइशी बंगले और कार्यालय के निर्माण के लिए मैंग्रोव को कटवा दिया और अतिक्रमण किया.

याचिका में कहा गया है कि मार्च 2016 में स्थानीय तहसीलदार ने संबंधित जगह की एक निरीक्षण रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमें म्हात्रे और पाटिल के साथ चार अन्य लोगों को भी मैंग्रोव को नष्ट करने और अतिक्रमण का दोषी माना था.

जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उसी साल उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

याचिकाकर्ता ने बताया, ‘उन्हें राजनीतिक समर्थन प्राप्त है. इसलिए पुलिस को अभी भी उनके खिलाफ कार्रवाई करनी है. ’

दूसरी तरफ, पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उसे आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के संबंधित प्रावधानों का अध्ययन करने के लिए और समय की जरूरत है.

इस पर पीठ ने कहा कि कानून साफ कहता है कि आरोपी सजा के हकदार हैं. पीठ ने कहा, ‘कानून की धारा 17 और 18 के तहत कानून के प्रावधानों के उल्लंघन पर भी भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान है.’

पीठ ने आगे कहा कि राज्य के अधिकारियों को इतना निर्भीक होना चाहिए कि नेताओं द्वारा उनकी शक्तियों को दबाने या उन्हें उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोकने की किसी भी कोशिश को कोर्ट के संज्ञान में ला सकें.

मैंग्रोव शब्द का उपयोग पौधों के उस समूह के लिए किया जाता है जो खारे पानी और अधिक नमी वाले स्थानों पर उगते हैं. नदी मुहानों, खारे समुद्री पानी की झीलों, कटाव वाले स्थानों तथा दलदल भूमि में ये पौधे उगते हैं.