केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, लोकपाल की नियुक्ति के लिए एक मार्च को होगी बैठक

एक जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 27 अप्रैल, 2017 के फैसले के बावजूद अभी तक लोकपाल की नियुक्ति की दिशा में कोई क़दम नहीं उठाए जाने का मुद्दा उठाया गया है.

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(फोटो: पीटीआई)

एक जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 27 अप्रैल, 2017 के फैसले के बावजूद अभी तक लोकपाल की नियुक्ति की दिशा में कोई क़दम नहीं उठाए जाने का मुद्दा उठाया गया है.

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नई दिल्ली: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि भ्रष्टाचार निरोधक संस्था के लिए लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है और इसके लिए चयन समिति की बैठक एक मार्च को होने वाली है. इस समिति में प्रधानमंत्री भी शामिल हैं.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ को अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सूचित किया कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए कदम उठाए गए हैं और इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक मार्च को प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष और विपक्ष के सबसे बड़े दल के नेता वाली चयन समिति की बैठक होगी.

पीठ ने अटार्नी जनरल के इस कथन को ध्यान में लेते हुए इस मामले की सुनवाई छह मार्च के लिए स्थगित कर दी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव को इस दिशा में उठाए कदमों के बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘अटार्नी जनरल ने सूचित किया है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 के अंतर्गत कदम उठाए जा रहे हैं और एक मार्च, 2018 को एक बैठक हो रही है. भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव होली के अवकाश के बाद न्यायालय खुलने पर पांच मार्च, 2018 तक इस संबंध में उठाए गए और प्रस्तावित कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करें.’

पीठ गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में शीर्ष अदालत के 27 अप्रैल, 2017 के फैसले के बावजूद अभी तक लोकपाल की नियुक्ति की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाने का मुद्दा उठाया गया था.

वेणुगोपाल ने पीठ को सूचित किया कि वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव, जो इस समिति के सदस्य थे, का पिछले साल निधन हो जाने के कारण इस प्रक्रिया में विलंब हुआ.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल अपने फैसले में कहा था कि लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता के मुद्दे सहित प्रस्तावित संशोधनों को संसद से पारित होने तक लोकपाल कानून पर अमल निलंबित रखना न्यायोचित नहीं है.

पीठ ने कहा था कि यह एक व्यावहारिक कानून है ओर इसके प्रावधानों को लागू करने में किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाता है.

न्यायालय ने कहा था कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में प्रस्तावित संशोधनों और संसद की स्थाई समिति की राय इस कानून को कार्यशील बनाने का प्रयास है और यह इसके अमल में किसी प्रकार से बाधक नहीं है.