एसएससी परीक्षा में पेपर लीक होने के आरोप को लेकर बीते 27 फरवरी से छात्र नई दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स पर परीक्षा की सीबीआई जांच की मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.
एसएससी परीक्षा लीक मामले को लेकर दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स पर प्रदर्शन अब भी जारी है. 5 मार्च को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया के माध्यम से सीबीआई जांच का आदेश दिया है. लेकिन इसके बावजूद छात्र आंदोलन पर अड़े हुए हैं.
उनका आरोप है कि सरकार और मीडिया गुमराह करके आंदोलन तोड़ने की कोशिश कर रही है. छात्रों ने अपना सिर मुंडवाकर एसएससी का प्रतीकात्मक श्राद्ध भी किया.
We have accepted demands of protesting candidates and have given orders for CBI inquiry, protest should now stop: Union Home Minister Rajnath Singh on alleged #SSCExamScam pic.twitter.com/MU1RcO1KUy
— ANI (@ANI) March 5, 2018
आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से लड़के और लड़कियां पहुंच रहे हैं. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश के ढेरों छात्र इस प्रदर्शन में मौजूद हैं.
अयोध्या से आए अभिषेक ने द वायर से बात करते हुए कहा, ‘देखिए पहली बात तो सरकार जो सीबीआई जांच का आदेश देने की बात कर रही है, वो गुमराह करने वाली बात है. इस आदेश में यह साफ नहीं है कि किस बात की सीबीआई जांच होगी या ये कितने समय में पूरी होगी. मुझे ऐसा लगता है कि सरकार सिर्फ 21 तारीख वाले परीक्षा की जांच करवाने की योजना बना रही है, जो रद्द होकर 9 मार्च को कर दिया गया है.
अगर सरकार सच में जांच करना चाहती है और दोषियों को पकड़ना चाहती है तो पहले उसे 9 मार्च की परीक्षा पर रोक लगानी होगी. सरकार को हमनें कई दफा बताया है कि हमारी मांग है कि पूरी एसएससी परीक्षा की जांच होनी चाहिए. जांच भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए, वरना सीबीआई ठीक से काम नहीं करेगी.’
वहीं, दिल्ली की फिरदौस कहती हैं, ‘यह बहुत चौंकाने वाली बात है कि सरकार इस मामले को हल्के में ले रही है. ये लाखों युवाओं के भविष्य की बात है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी सरकार एक साल में परीक्षा नहीं करवा पाती और ये 2018 है और अभी 2017 की परीक्षा पूरी नहीं हुई है. हमारी मांग है कि पूरी परीक्षा प्रणाली में बदलाव होना चाहिए और सेंटरों पर चल रही धांधली रुकनी चाहिए.’
कोचिंग क्लास वाले बच्चों को समर्थन दे रहे हैं और इस आंदोलन को चलाने में उनके हाथ होने के आरोप पर छात्रों का कहना है कि 100-200 लोग होते तो समझा जा सकता था लेकिन हजारों की तादाद में अगर लोग आए हैं, तो यकीनन कुछ तो गड़बड़ है.
नाम न बताने की शर्त पर एक छात्र ने बताया कि सरकार कोचिंग वालों को सीलिंग की धमकी दे रही है, इसलिए बहुत सारे टीचर अब आंदोलन में शामिल नहीं हो रहे हैं.
हरियाणा से आए महेश शर्मा बताते हैं, ‘परीक्षा में धांधली हुई है और इस तरह से हुई है कि जब कोई बच्चा परीक्षा हॉल में जाता है तो वो कौन से प्रश्न का उत्तर लिख कर आया है ये सिर्फ उसे ही पता होता है लेकिन दो दिन के बाद वही प्रश्न सोशल मीडिया पर देखा जाता है. अगर प्रश्न सोशल मीडिया पर आ गया तो मतलब धांधली हुई है.
हॉल में मोबाइल या किसी भी तरह की चीजें ले जाने की इजाजत नहीं है, फिर भी फोटो खींची जाती है. यह भी देखा गया है कि परीक्षा देने वाले का कंप्यूटर ‘रिमोट एक्सेस’ के जरिए किसी और और कंप्यूटर से जुड़ा हुआ था और वे उस छात्र का परीक्षा का उत्तर वहां से दे रहे थे. सरकार ने ये काम निजी कंपनी को दे रखा है और वो खुलकर धांधली करती है.’
इस मसले पर एक अन्य छात्र अक्षय बताते हैं, ‘सीजीएल टियर-2 (2017) की जो परीक्षा हुई है वो 17 फरवरी से लेकर 22 फरवरी तक हुई है. मैं 17 को परीक्षा देकर निकला और मुझे पता चला कि पेपर लीक हो गया है. एनिमेट नाम के एक सेंटर पर एक लड़का परीक्षा से पहले उत्तरों के साथ पकड़ा गया. जयपुर के अल्फा लेन में एक लड़का अंग्रेजी के उत्तरों के साथ पकड़ा गया. फोटो भी बाहर आए थे. जहां पेन, घड़ी, बटुवा नहीं ले जाने दिया जाता, जूते तक खुलवा दिए जाते हैं, उस जगह पर मोबाइल कैसे गया?’
21 तारीख के पेपर को लेकर अक्षय कहते हैं, ‘हमें सोशल मीडिया पर पेपर की फोटो मिली तब हमने आरोप लगाया कि उस दिन का पेपर एक वेबसाइट पर एक घंटे पहले ही मौजूद था. हमने परीक्षा पर सवाल उठाया तो एसएससी ने 23 फरवरी को एक नोटिस जारी कर कहा कि ये आरोप फर्जी है. इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है और ये सिर्फ बदनाम करने की नीयत से किया जा रहा है.’
उन्होंने आगे बताया कि 24 फरवरी को एसएससी ने फिर एक नोटिस जारी कर इस बात को स्वीकारा कि 21 तारीख के पेपर में टेक्निकल गलती थी इसलिए 21 तारीख की परीक्षा को 9 मार्च को रखा जाएगा. सवाल यह है कि अगर 23 फरवरी को नोटिस जारी कर एसएससी ने आरोप खारिज किया था तो 24 को नया नोटिस जारी कर टेक्निकल गलती को स्वीकार कर 9 मार्च को पेपर रखना ये साबित करता है कि कुछ तो गड़बड़ हुई थी.
अक्षय ने बताया, ‘छात्र 27 फरवरी से सीजीओ कॉम्प्लेक्स पर आंदोलन करने पहुंच गए और जब एसएससी प्रशासन से सवाल किया तो उल्टा वो छात्रों से पूछ रहे हैं कि आपकी जांच हुई थी सेंटर पर, तो हमनें कहा हां हुई थी. तो प्रशासन ने हमसे पूछा कि हम ये बताएं कि कौन ये पेपर लीक कर रहा है. हमनें कहा कि हम परीक्षा देने गए थे, न कि ये पता लगाने की कौन पेपर लीक कर रहा है.’
1 मार्च को एसएससी ने छात्रों के एक प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की और 4-5 बजे तक का समय दिया कि डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) से बैठक कर इस मामले पर बात की जाएगी. उनकी बैठक हुई और यह निष्कर्ष निकला कि अगर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पेपर के प्रश्न असली पेपर के प्रश्न की तरह होते हैं तो सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएंगे. यह बात एक मार्च की नोटिस में लिखी हुई है.
अक्षय कहते हैं, ‘हमें एक मार्च की शाम पुलिस आकर लाठीचार्ज की धमकी देती है. हमें पता था कि ऐसा कुछ नहीं होगा क्योंकि हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है. 2 मार्च को होली थी तो हमने काली होली मनाई. इनको लगा कि हम बंट नहीं रहे हैं. तो सरकार ने बांटो और राज करो की रणनीति के तहत 4 मार्च को एक पत्र जारी कर कहा कि 17-22 तक सीजीएल टियर 2 के सभी परीक्षा की जांच होगी.’
इसके बाद भी छात्रों का आंदोलन बंद नहीं हुआ. छात्रों का आरोप है कि प्रशासन उन्हें गद्दे और तकिए लाने नहीं दे रहा है. कॉम्प्लेक्स से नजदीकी जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन भी प्रशासन ने बंद कर रखा था ताकि छात्र यहां पहुंच न सकें. पांच तारीख को जब संसद सत्र शुरू हुआ तब मेट्रो सेवा को शुरू किया गया. वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह मीडिया के माध्यम से सीबीआई जांच की बात करते हैं, लेकिन लिखित में कुछ नहीं देते.
अक्षय ने बताया, ‘जिस सचिन नाम के छात्र पर आरोप लगाए गए थे कि धांधली हुई, उसका 9 मार्च के पेपर के लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिया जाता है. 6 तारीख को सरकार के लोगों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, क्योंकि उन्हें लगा कि छात्र हट नहीं रहे हैं, तो उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगा दिया कि आंदोलन कर रहे छात्र आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लोग हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस तो कर लिया, लेकिन होमवर्क नहीं किया.
वो भूल गए कि जिस सचिन का एडमिट कार्ड 9 मार्च के लिए जारी हुआ है, उसे एसएससी ने सात साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. पहले कह रहे थे कि एडमिट कार्ड फर्जी है और फोटोशॉप किया गया है. तो फिर अगर वो फर्जी है तो प्रतिबंधित क्यों किया?
कमाल की बात यह है कि जब हम छात्र अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, तभी एसएससी एक नोटिस जारी कर कहता है कि सचिन चौहान की 9 मार्च की परीक्षा को लेकर जारी एडमिट कार्ड गलती से वेबसाइट पर अपलोड हो गया था और उसे वापस ले लिया गया है.’
छात्रों की पहली मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग बेंच के अधीन एसएससी द्वारा 2017 में कराई गई परीक्षा और आयोग की कार्यप्रणाली की सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. जांच पूरी होने तक एसएससी द्वारा कराई जाने वाली सभी परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए. छात्रों का कहना हा कि यह जांच भी समय से होनी चाहिए वरना बहुत से छात्रों की उम्र सीमा खत्म हो जाएगी.
छात्रों ने जांच में सहयोग करने के लिए सबूतों को भी जमा करवाने की पेशकश की है. छात्रों का यह भी कहना है कि मौखिक आश्वासन नहीं मानेंगे बल्कि लिखित में नोटिस जारी कर एसएससी को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेंगे तभी आंदोलन खत्म होगा वरना ऐसे ही चलेगा चाहे कितने भी दिन आंदोलन करना पड़े.
अक्षय ने परीक्षा रद्द करने की मांग के पीछे कारण को लेकर कहा, ‘अभी 4 मार्च को एक लड़के की परीक्षा थी और उसके नाम के 60 एडमिट कार्ड सामने आ रहे हैं, लेकिन हमें अभी उसके नाम के 10 एडमिट कार्ड मिले हैं. उस लड़के के लिए पूरा सेंटर ही बुक कर लिया गया था. संदीप नाम का एक युवक है, जिसकी परीक्षा 4 मार्च को थी और प्रेम नगर पश्चिम दिल्ली का हाउस नंबर 69 है और सेंटर का नाम है एल्ब्रुस अस्सेस्मेंट सेंटर, साकेत.
उसी लड़के का दूसरा एडमिट कार्ड है जिसमें रोल नंबर और हाउस नंबर अलग है बाकी सेंटर, तारीख और परीक्षा की शिफ्ट सब कुछ एक जैसा ही है. उसी लड़के के तीसरे एडमिट कार्ड में भी रोल नंबर और हाउस नंबर के अलावा सब कुछ एक जैसा है. यह मामले 21 तारीख का नहीं बल्कि 4 मार्च का मामला है और इससे प्रमाणित होता है कि अब भी धांधली चल रही है, इसलिए जांच होने तक सभी परीक्षाओं पर रोक लगनी चाहिए.’
हरियाणा से आए जैनेंद्र कहते हैं, ‘सरकार की नीयत खराब है ये हमें पता चल चुका है. एसएससी और सीएचएसएल की परीक्षा ‘सिफी’ नाम की कंपनी आयोजित करवाती है जो कि एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी है. सरकार अगर सच में ईमानदार है तो वो सिफी कंपनी को हटाने का काम क्यों नहीं कर रही है. जो कंपनी एक बार धांधली कर सकती है वो तो बार-बार करेगी. सिफी जैसी निजी कंपनी को पैसे से मतलब है इसलिए सरकार कोई रास्ता निकाले ताकि इस कंपनी को हटाया जा सके और एक निष्पक्ष तरीके से परीक्षा करवाई जा सके.’
झांसी से आए एक युवक ने बताया, ‘हम बड़ी मेहनत करके परीक्षा की तैयारी करते हैं और ये लोग पैसे लेकर करोड़ों युवाओं का भविष्य खतरे में डाल देते हैं. सरकार कहती है कि युवा देश का भविष्य है और एक क्लर्क की नौकरी के लिए पांच साल लग जाता है, तो ये कौन-सा युवा बता रहे हैं जो देश का भविष्य बनेगा.
एक परीक्षा तो साल भर में नहीं ले पाते और कहते हैं कि हम काम कर रहे हैं. सरकार के लोग हमारी मांगों को मानते नहीं है और कोई सुनवाई नहीं होती. ये तो वही बात है कि देश का युवा सड़क पर रो रहा है और चौकीदार सो रहा है.
हमसे वोट लिया था सरकार ने और मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि हमारी बात सुनें. उन्होंने अभी तक युवाओं के लिए कोई बयान नहीं दिया और न ही किसी भी प्रकार की कोई बात कही है. वो भी दिल्ली में रहते हैं और हम भी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं. क्या उन्हें आकर मिलना नहीं चाहिए?’