विधानसभा में बजट चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि केंद्र की तरह उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियां भी ग़रीब और किसान हितैषी नहीं बल्कि उद्योगपतियों के हितों की रक्षक हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने इसे किसान और जन विरोधी क़रार दिया. विपक्ष ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर जनहित की कई योजनाओं के बजट में कटौती करने का आरोप लगाया.
नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने चर्चा के दौरान मदवार बजट प्रावधानों का ज़िक्र करते हुए कहा कि सरकार ने जनहित के विभिन्न मदों से जुड़े बजट में कटौती की है. उसकी कथनी और करनी में बड़ा फ़र्क है. वह केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार ने विकास के जो काम किए थे, उन्हें मौजूदा सरकार ने जांच के नाम पर रोक दिया है. अखिलेश सरकार ने इस प्रदेश में स्कूल, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, मेट्रो, एक्सप्रेस-वे योजनाएं शुरू की. उनमें से कुछ का उद्घाटन हुआ था और कुछ का नहीं हुआ था, जिन योजनाओं का उद्घाटन नहीं हुआ, उन पर भाजपा सरकार ने अपने नाम की पट्टी लगा ली.
चौधरी ने कहा कि सरकार ने अखिलेश सरकार के कार्यकाल में हुई रोज़गार भर्तियों को द्वेषपूर्वक तरीके से रद्द कर दिया. राज्य सरकार ने कौशल विकास मिशन जैसी महत्वाकांक्षी योजना पर बजट में महज़ 100 करोड़ रुपये दिये हैं, जो बेहद कम हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार अपने शुरुआती एक साल में कोई काम नहीं कर पाई है. भाजपा सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में दो करोड़ किसानों का एक लाख रुपये तक का क़र्ज़ माफ़ करने का फैसला किया था. इसके लिए 36 हज़ार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, मगर सरकार वह भी ख़र्च नहीं कर पाई.
चौधरी ने शेर पढ़ा, ‘उनकी बातों में गज़ब के छलावे हैं, बंद सांसें हैं और ज़िंदगी के दावे हैं.’ साथ ही कहा कि क़र्ज़ के बोझ तले दबे प्रदेश के किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार आंख बंद किए है. इस सरकार ने किसान की कमर तोड़कर रख दी है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चार साल के कार्यकाल में दुनिया के 90 प्रतिशत देशों की यात्रा कर आए, लेकिन कोई देश हिंदुस्तान में निवेश करने के लिए नहीं आया. केंद्र की तरह उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियां भी ग़रीब और किसान हितैषी नहीं बल्कि उद्योगपतियों और बड़े कारोबारियों के हितों की रक्षक हैं.
बसपा विधायक दल के नेता लालजी वर्मा ने बजट पर चर्चा के दौरान आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने बहुत से वादे किए थे लेकिन वह आज उनसे मुकर गई है. सरकार बने एक साल बीत गया लेकिन कहीं भी किसानों को ब्याज मुक्त फसली क़र्ज़ देने का कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया.
उन्होंने क़ानून-व्यवस्था के नाम पर राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि जहां क़ानून-व्यवस्था अच्छी नहीं होगी, वहां कोई उद्योग नहीं लगाएगा. सरकार ने इस दिशा में काम नहीं किया बल्कि वह कार्रवाई के नाम पर पक्षपात कर रही है.
वर्मा ने आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्रदेश के नौजवानों का भावनात्मक शोषण और राजनीतिक भ्रष्टाचार किया है. वित्त मंत्री का यह बजट प्रदेश को गर्त में ले जाने वाला जनविरोधी बजट है.
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय प्रताप सिंह ‘लल्लू’ ने कहा कि सरकार ने किसानों और नौजवानों के साथ क़र्ज़ माफ़ी और रोज़गार के नाम पर छल किया है. राज्य सरकार ने बड़े तामझाम के साथ ‘इन्वेस्टर्स समिट’ का आयोजन किया, मगर इतिहास गवाह है कि जिन भाजपा शासित राज्यों में ऐसी समिट हुई वहां उद्योगपतियों को केवल ज़मीन दे दी गई मगर योजनाएं ज़मीन पर नहीं उतरीं.
2018-19 के लिए 4 लाख 28 हज़ार 384 करोड़ 52 लाख रुपये का बजट
बीते 16 फरवरी को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वर्ष 2018-19 के लिए 4 लाख 28 हज़ार 384 करोड़ 52 लाख रुपये का बजट विधानसभा में पेश किया था.
इसमें 14 हज़ार करोड़ रुपये की नई योजनाओं की घोषणा की थी. इसके अलावा स्टार्ट अप योजना के लिए 250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा था कि बजट में गांव, ग़रीब एवं किसानों का भरपूर ख़्याल रखा गया है.
सदन में उन्होंने बताया था कि यह बजट पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11.4 प्रतिशत अधिक है.
इसके अलावा बजट में सड़कों के लिए 11,343 करोड़ रुपये, पुलों के लिए 1,817 करोड़ रुपये, फोर लेन सड़कों के लिए 1,600 करोड़ रुपये, बिजली के लिए 29,883 करोड़ रुपये, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए 1000 करोड़ रुपये रखे गए हैं.
अग्रवाल ने कहा था कि बुंदेलखंड में खेत तालाब योजना के तहत पांच हज़ार तालाबों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है. सोलर फोटो वोल्टाइक इरीगेशन पंपों की स्थापना के लिए 131 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है.
इसके अलावा सिंचाई सरयू नहर परियोजना के लिए एक हज़ार 614 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए दो हज़ार 873 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के लिए एक हज़ार 500 करोड़ रुपये दिए गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)