बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव अभी राजनीति में थोड़े कम तजुर्बेकार हैं, अगर मैं उनकी जगह पर होती तो अपने उम्मीदवार के बजाए उनके उम्मीदवार को जिताने की कोशिश करती.
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को मिली हार को लेकर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर शनिवार को जमकर निशाना साधते हुये कहा कि सपा-बसपा का मेल अटूट है, भाजपा का मकसद सिर्फ सपा-बसपा की दोस्ती को तोड़ना है, कांग्रेस पार्टी के साथ हमारे संबंध तब से हैं जब केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार थी.
मायावती ने भाजपा एंड कंपनी पर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल के खिलाफ साजिश कर फूट डालने की कोशिश में अतिरिक्त उम्मीदवार, जो कि एक धन्ना सेठ है, को मैदान में उतारा था. उन्होंने कहा कि भाजपा ने ये सब इसलिए किया जिससे सपा और बसपा के बीच एक बार फिर से दूरी हो जाए.
मायावती ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इसके पीछे हमारा मकसद धन्नासेठों की खरीद-फरोख्त वाली राजनीति को खत्म करना था. उन्होंने कहा, ‘हम चाहते थे कि इस तरह ताकत का दुरुपयोग न किया जा सके इसलिए हम दोनों ने एक-एक उम्मीदवार उतारा था. इसके बावजूद सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने की आदत से बाज न आने वाली भाजपा ने एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतार दिया.’
मायावती ने कहा कि भाजपा ने एक धन्ना सेठ को अतिरिक्त उम्मीदवार के रूप में उतारकर चुनाव को निर्विरोध नहीं रहने दिया और मतदान आधारित बनाया ताकि सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग से और पैसे के बल अपने उम्मीदवार को जिताया जा सकें.
उन्होंने भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, ‘राज्यसभा के परिणाम के बाद भाजपा नेताओं ने शुक्रवार रात खूब लड्डू खाए होंगे लेकिन आज उनकी नींद मेरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उड़ जाएगी.’
मायावती ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर हुए उपचुनाव से पहले बसपा और सपा साथ आए और इसका पूरे देश में सकारात्मक संदेश गया. उपचुनावों में दोनों के साथ आने का असर दिखा और बसपा ने सपा के उम्मीदवारों का समर्थन किया जिसके फलस्वरूप भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. भाजपा की कोशिश रही कि किसी भी तरह हम दोनों दलों में फूट डलवाई जाए और अगले साल लोकसभा चुनाव में दोनों दल साथ न नजर आएं. भाजपा की यह साजिश शुक्रवार को पूरे दिन राज्यसभा वोटिंग के दौरान देखने को मिली.’’
मायावती ने एक पत्रकार वार्ता में कहा, ‘मैं साफ कर देना चाहती हूं कि सपा-बसपा का मेल अटूट है. भाजपा का मकसद सिर्फ सपा-बसपा के तालमेल को तोड़ना है, कांग्रेस पार्टी के साथ हमारे पुराने संबंध हैं, तब से जब केंद्र में संप्रग की सरकार थी. उन्होंने कहा, ‘बसपा उम्मीदवार को हराकर भाजपा सपा के साथ हमारे तालमेल पर कोई असर नहीं डाल पाएगी और 2019 के आम चुनाव में उसे इसका परिणाम भुगतना होगा.’
मायावती ने कहा, ‘भाजपा के लोग सपा-बसपा दोस्ती में स्टेट गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाते है. यहां मैं साफ कर दूं कि दो जून 1995 में जब राजधानी में स्टेट गेस्ट हाउस कांड हुआ था, सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव उस समय राजनीति में नहीं थे इसलिए अखिलेश को उस कांड के लिये जिम्मेदार ठहराना गलत है. भाजपा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए सपा के खिलाफ स्टेट गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाती है.’
उन्होंने कहा, ‘वर्तमान भाजपा सरकार इस बात को जनता के सामने क्यों नहीं लाती है कि जिस पुलिस अधिकारी की मौजूदगी और संरक्षण में सरकार द्वारा स्टेट गेस्ट हाउस कांड करवाया गया था, अब उसी पुलिस अधिकारी को भाजपा की योगी सरकार ने प्रदेश का पुलिस प्रमुख अर्थात डीजीपी बनाया हुआ है. यह सब हमारे लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. मेरी हत्या कराने के मकसद से स्टेट गेस्ट हाउस कांड के जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को प्रदेश में पुलिस विभाग का सबसे बड़ा ओहदा देकर भाजपा सरकार मेरी हत्या करवाने की फिराक में तो नहीं है ताकि फिर बसपा मूवमेंट ही दम तोड़ दे. यह सोचने वाली बात है .’
बसपा प्रमुख ने बताया कि शुक्रवार को राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले अपने विधायक अनिल सिंह को उन्होंने पार्टी से निलंबित कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘सपा प्रमुख अखिलेश यादव अभी राजनीति में थोड़े कम तजुर्बेकार हैं, अगर मैं उनकी जगह पर होती तो अपने उम्मीदवार के बजाए उनके उम्मीदवार को जिताने की कोशिश करती.’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अखिलेश को ‘कुंडा के गुंडा’ कहे जाने वाले राजा भैया (उन्होंने साफ किया कि यह उपाधि राजा भैया को हमने नहीं दी थी) पर भरोसा नहीं करना चाहिए है. उन्होंने कहा, ‘अगर वो उस पर भरोसा नहीं करते और रणनीति पर काम करते तो आज परिणाम दूसरे होते.’
ईवीएम से मतदान पर पूछे गए सवाल पर मायावती ने कहा, ‘भाजपा को अपनी ताकत और जीत पर इतना भरोसा है तो वह ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव क्यों नहीं करवाती.’