साक्षात्कार: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की ख़ास बातचीत.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद राज्यसभा में असफलता की वजह से सपा-बसपा का गठबंधन ख़तरे में तो नहीं पड़ गया है?
मैं समझता हूं कि मायावती जी ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की है उसमें बहुत सारी बातें साफ़ कह दी हैं. उससे ये गठबंधन और भी मज़बूत हुआ है.
फूलपुर और गोरखपुर जनता का चुनाव था. ये जो राज्यसभा का था ये लखनऊ में रातभर बैठकर राजनीतिक और पुलिस के दबाव वाला चुनाव था. दोनों चुनाव की तुलना नहीं की जा सकती है.
लोकसभा में जनता तय करती है और राज्यसभा चुनाव में कुछ गिनती के लोग तय करते हैं. हम तो कह रहे हैं कि हमें हराया गया है, ताकि हमारे गठबंधन में दरार पड़ जाए और वो टूट जाए.
भाजपा ने हर संभव कोशिश की और वो हमें दिखाई भी दिया. मुख्यमंत्री जी इतने खुश हो गए कि नवरात्रि के व्रत के दौरान चार लड्डू खा गए. ये तो सब कुछ भूल गए इस जीत के आगे. लेकिन ये राज्यसभा की जीत कुछ ज्यादा देने वाली नहीं है, क्योंकि जनता को उन्होंने कुछ दिया ही नहीं.
दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार का पांच साल पूरा होने को है और उत्तर प्रदेश में दो साल हो गए और दो बजट भी पेश हो गए हैं, लेकिन इससे उनको कुछ मिलने वाला नहीं है.
ज़मीनी स्तर पर जनता नाराज़ है और सरकार ने जो वादे किए थे, उनमें से कुछ भी पूरा नहीं किया है. उनके पास कुछ है ही नहीं जनता को बताने के लिए कि उन्होंने कोई काम किया है.
गोरखपुर और फूलपुर की जीत के बाद क्या 2019 में भी सपा-बसपा साथ चुनाव लड़ पाएंगे?
हम तो एक्सप्रेस-वे बना रहे थे. आगरा से लखनऊ तक जो बाराबंकी, फ़ैज़ाबाद, आज़मगढ़ और गाज़ीपुर तक चला जाता. मैंने इस काम के लिए 70 प्रतिशत ज़मीन भी ली थी और टेंडर का काम भी कर दिया था.
प्रदेश सरकार चाहती तो उस काम को कर सकती थी? हमनें जो काम किया था उसे दिशा दी थी. मंडियों को बनाने की योजना बनाई थी. इनवेस्टर समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यहां दशहरी आम होता है, जो बाहर जा सकता है. हमने आम की मंडी बनाई और इन्होंने उसे भी रोक दिया.
मैंने आलू की मंडी बनाई तो उसका भी काम रोक दिया गया. मैंने अनाज और सब्ज़ी की मंडी बनाई, तो उसका भी काम रोक दिया गया. ये सभी मंडियां एक्सप्रेस-वे के साथ थीं.
जो इंफ्रास्ट्रक्चर दे रहे थे… किसानी से जुड़े क्षेत्रों के लिए जो दे रहे थे और जो प्रधानमंत्री अपने भाषण में बोल रहे थे, उस सबको योगी सरकार ने रोक दिया है.
अब ये ‘वन डिस्ट्रिक्ट – वन प्रोडक्ट’ (एक ज़िला – एक उत्पाद) और हमारे ज़िले में बहुत उत्पाद हैं, तो मतलब वहां कुछ होना ही नहीं है. ये कुछ काम नहीं कर रहे और न ही बिजली का कोटा बढ़ाया.
हम तो अपने काम के आधार पर चल रहे थे, लेकिन हमें बहुत लोगों ने कहा कि जातियों का समीकरण भी बनाकर चलना पड़ेगा.
मैं तो ख़ुद को फॉरवर्ड समझ रहा था, लेकिन भाजपा ने सिखाया कि काम से फॉरवर्ड नहीं बना जा सकता बल्कि जहां जन्म होता है वहां से तय होता है, बैकवर्ड और फॉरवर्ड. मैं जन्म किसके घर लूंगा, ये मैं तय नहीं कर सकता. ये भाजपा ने सिखाया है और जो सिखाया है हम वही कर रहे हैं. मैं इसके लिए भाजपा को धन्यवाद देता हूं.
2014 के लोकसभा और 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा हिंदुत्व के मुद्दों पर चुनाव लड़ी थी. आपको क्या लगता है भविष्य में भी भाजपा यही करेगी?
देखिए, इस देश में अगर सबसे बड़ी जातिवादी पार्टी है या जात के आधार पर राजनीति करने वाली कोई पार्टी है, तो वो भारतीय जनता पार्टी है. धर्मों के बीच में नफ़रत फैलाने वाली कोई पार्टी है तो वो भाजपा है.
देश और उत्तर प्रदेश की जनता ने देख लिया है कि कैसे भाजपा जातियों में झगड़ा करवाती है और धर्म के आधार पर नफ़रत फैलाते हैं.
आज सवाल दूसरा है. ग़रीबी का सवाल है. क़र्ज़ माफ़ी का वादा किया था, लेकिन वो किया नहीं और किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
भाजपा ने करोड़ों नौकरियां देने का वादा किया लेकिन न नौकरी मिली, न ही रोज़गार मिला. जितने वादे किया थे कोई भी वादा ज़मीन पर खरा नहीं उतरा है.
लोकतंत्र में जो ये नाराज़गी है आने वाले समय में दिखाई देगी. ये उपचुनाव तो शुरुआत है और इससे सावधान होना चाहिये कि अब काम करने लगे. ये अगर काम नहीं करेंगे तो जो जवाब फूलपुर और गोरखपुर की जनता ने दिया है यही जवाब पूरा देश आने वाले चुनाव में देगा.
राम मंदिर के मुद्दे को आप कैसे देखते हैं?
भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र को कमज़ोर करने और झूठ बोलने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है. संस्थाओं का ग़लत इस्तेमाल करती है और उसका डर दिखाकर भी वोट ले लेती है.
मुझे नहीं लगता जनता इस बार ऐसे सवालों पर मतदान नहीं करेगी. इस बार जनता अपना भविष्य चुनेगी. देश में अगर चीज़ें नहीं सुधरीं तो पूरी पीढ़ी बेरोज़गार हो जाएगी. मैं तो यह कहता हूं कि अगर हालात नहीं सुधरे तो 100 करोड़ लोग बेरोज़गार हो जाएंगे.
आप बोल रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा कोई काम नहीं किया गया है, लेकिन सड़कों पर नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के चित्रों वाले एक साल की उपलब्धि (एक साल बेमिसाल) के बड़े-बड़े पोस्टर लगे हैं.
इसे ‘एक साल बेमिसाल’ नहीं बल्कि ‘एक साल बुझी मशाल’ कहा जाना चाहिए.
इनका ख़ुद का एक काम बता दो. एयरपोर्ट से आते वक़्त जितनी भी स्ट्रीट लाइट हैं वो सब समाजवादी पार्टी की सरकार के समय की हैं और जो टेढ़ी-मेढ़ी बची हुई थीं, वो भी इनवेस्टर समिट के समय लगा दिया.
मेट्रो ट्रेन में इनका कोई योगदान नहीं है. मेट्रो न चल पाए इसलिए रेलवे से एनओसी नहीं दिया गया.
ये बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं कि डिफेंस कॉरिडोर बना रहे हैं. अरे! डिफेंस कॉरिडोर तब बनाओगे, जब डिफेंस से ज़मीन मिलेगी. मैं पांच साल रक्षा मंत्रालय से ज़मीन मांगता रहा, लेकिन नहीं दिया गया. हम सड़क चौड़ा करना चाहते थे लेकिन मंत्रालय से अनुमति नहीं मिली.
यहां हम गोमती पर पुल बना रहे थे, लेकिन एक पिलर के लिए रक्षा मंत्रालय ने अनुमति नहीं दी. इसी तरह मायावती ने जब फ्लाईओवर बनाना शुरू किया था. मैंने पांच साल एरिया कमांडर को हेलीकॉप्टर में घुमाया और बताया कि कितना बुरा है और इससे ट्रैफिक हो जाएगा, लेकिन फिर भी मंत्रालय से अनुमति नहीं मिली.
ये डिफेंस कॉरिडोर बनाएंगे? इनकी किसी बात का विश्वास नहीं किया जा सकता. ये प्रचार में आगे हैं, लेकिन काम में नहीं. जितना भी लखनऊ में देखा जा सकता है. इन्होंने काम किया नहीं बल्कि उसे रोका है.
मुझे ख़ुशी है कि इनवेस्टर समिट में जितनी भी होर्डिंग लगी थीं, उसमें सबसे ज़्यादा एक्सप्रेस-वे की लगी थीं, ये बात अलग है कि होर्डिंग पर तस्वीर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की लगी थी.
चलो एक्सप्रेस-वे के बहाने निवेश भी आ जाए और अगर आ जाएगा तो हम भी कह देंगे कि एक्सप्रेस-वे हमने नहीं बल्कि इस सरकार ने बनाया है.
लगता है इन्होंने भाषण नहीं सुना, जिसमें देश के एक बड़े उद्योगपति ने कहा कि हमने 20 हज़ार करोड़ रुपये निवेश करना है, 10 हज़ार कर चुके हैं और 10 हज़ार और करने वाले हैं. एक उद्योगपति ने डायल 100 की तारीफ की और वो दुनिया में सबसे बेहतर में से एक है. प्रो. वेंकट और मेरी टीम ने बैठकर दुनिया का सबसे बेहतर पुलिस रिस्पॉन्स सिस्टम बनाया.
उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर पर द वायर ने एक रिपोर्ट की तो भाजपा के लोगों का कहना है कि प्रदेश में ग़ुंडागर्दी बढ़ चुकी थी और उसे ख़त्म करने के लिए योगी जी ने छूट दे दी. इसे आप कैसे देखते हैं?
ये लोग झूठ बोलते हैं. गृह मंत्रायल की रिपोर्ट है कि उत्तर प्रदेश में इस सरकार के राज में हर तरह के अपराध का ग्राफ बढ़ा है. दंगों में ग्राफ आगे बढ़ा है और ये मैं नहीं बल्कि गृह मंत्रालय की रिपोर्ट कह रही है.
गृह मंत्रालय भी तो इन्हीं का है. ये डराना चाहते हैं और जाति-धर्म के नाम पर एनकाउंटर कर रहे हैं. हालांकि मुझे ये बात नहीं कहनी चाहिए, लेकिन मजबूरी है.
मैं पूछना चाहता हूं जीतेंद्र यादव कौन था, जिसका एनकाउंटर करने की कोशिश की गई. आपका पुलिस वाला प्रमोशन चाहता था, अवॉर्ड चाहता था, इसलिए किसी को भी गोली मार दो. वो बच गया तो उसका इलाज करवा दो घरवालों को ख़ुश करने के लिए, लेकिन क्या उसकी ज़िंदगी वापस आ जाएगी? 7-8 लाख रुपये का इलाज करवा दो तो क्या वो वापस वैसे ही हो जाएगा?
यहां लखनऊ में भाजपा नेता के बेटे को गोली मार दी गई लेकिन उस आरोपी को इज़्ज़त से गिरफ़्तार कर ले जाया गया. इलाहाबाद में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ और एक दलित की हत्या कर दी गई. उस आरोपी को पुलिस सम्मान के साथ जेल ले जाती है.
ये क्या है? ये लोगों को डराना चाहते हैं. एनकाउंटर से व्यवस्था ठीक नहीं होती? भाजपा के नेताओं और विधायकों के घर में चोरी हो रही है. बताओ सब कुछ सही है तो इनके घर चोरी कैसे हो रही है?
फूलपुर और गोरखपुर के बाद कैराना उपचुनाव के लिए क्या तैयारी है?
अब कैराना के लिए यही है कि भाजपा को हराएंगे. हम कोशिश करेंगे कि जिस समझौते पर फूलपुर और गोरखपुर जीते हैं, उसी प्रकार कैराना भी जीतेंगे.
2019 लोकसभा चुनावों के लिए सपा-बसपा का गठबंधन किस प्रकार होगा और किस प्रकार सीटों का बंटवारा होगा?
मैं कांग्रेस से भी से समझौता कर देख चुका हूं. ये बड़ा फ़ैसला है और देश को बचाने का फ़ैसला है. इन्होंने जात और धर्म पर नफ़रत फैलाने की राजनीति की है, इसलिए देश को इन सबसे बचाने की जरूरत है.
ये संविधान की धज्जियां उड़ाने वाले लोग हैं. हम तो काम करने वाले लोग हैं और काम कर रहे थे. इनके लोग हमें औरंगज़ेब कहते हैं. सांप और छछूंदर कहते हैं. हमारी तो पढ़ाई बेकार हो गई.
अगर ये हमें सांप और छछूंदर कह सकते हैं, तो सोचो गरीबों का किस प्रकार अपमान करते होंगे. इन्होंने मेरी आंखें खोल दी और मैं इनको धन्यवाद देता हूं. हम गठबंधन करेंगे और इनको हराएंगे.
राष्ट्रीय स्तर पर 2019 के चुनावों में गठबंधन कैसा रहेगा? कुछ लोग कांग्रेस के साथ हैं और कुछ लोग अलग मोर्चे की बात करते हैं. आपकी क्या राय है?
भाजपा इस तरह के गठबंधन को कहेगी कि भाजपा बनाम सब. वे यह भी कहेंगे कि इनका नेता कौन है? ये तो चुनाव के बाद तय हो जाएगा कि रेस्ट में बेस्ट (बचे हुए में सबसे अच्छा) कौन है. क्षेत्रीय पार्टियों की भी ज़िम्मेदारी है कि इनको अगले चुनाव में रोका जाना चाहिए.
योगी आदित्यनाथ ने ख़ुद पर से जो मुक़दमे वापस ले लिए है, आपने अपने मुख्यमंत्री रहने के दौरान इस बारे में कुछ किया क्यों नहीं?
मैं समझता हूं सरकार के पास कई काम होते हैं. मुझे अब भी याद है कि जब ये सांसद थे तो झांसी में एक घटना हुई थी और ये झगड़ा कराने जा रहे थे.
मैंने इनको गिरफ़्तार करवा कर सीधा दिल्ली भेज दिया था. ये सही बात है कि काम में थोड़ी तेज़ी करनी चाहिए थी. अब तो हमारे हाथ में नहीं है क्योंकि हम सत्ता से बाहर हैं.
हर काम का एक तरीका है और हम किसी से दुश्मनी के लिए काम नहीं करते. जो तरीका और जो अधिकारी हैं वो अपने उसी तरीके से चल रहे थे.
ये देखा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी अपनी राजनीति में बदलाव कर रही है. मुस्लिम और यादव का समीकरण छोड़कर बड़े पैमाने पर राजनीति करने लगी है. ये बात कितनी सही है?
समाजवादी पार्टी ने किसी भी स्तर पर चाहे सरकार हो या पार्टी सिर्फ़ दो वर्गों को लेकर राजनीति नहीं की. हमारी कोशिश थी कि हम ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से जुड़ें. ये बात हमारी पार्टी को बदनाम करने के लिए की जाती है.
हम चाहते थे कि हमारी पार्टी वर्ग विशेष की पार्टी न बन पाए, लेकिन अब तरीका बदल चुका है.
प्रधानमंत्री भी डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं और सब चीज़ को आधार से जोड़ रहे हैं. बैंक अकाउंट जुड़ गया, रजिस्ट्री जुड़ गई और सब कुछ जुड़ रहा है.
आने वाली पीढ़ी में झगड़ा न हो इसलिए हमें भी आधार से जोड़ दो और गिन दो. हमारी गिनती कर दो और जो हक़ बनता हो हमें दे दो. अब लड़ाई मुस्लिम और यादव वाली नहीं बल्कि आधार से जुड़ने वाली हो गई है.
आपके परिवार में झगड़ा है समाजवादी पार्टी की राजनीति पर यह कितना असर कर रहा है?
हमारे परिवार में कोई झगड़ा नहीं है. इस समय सब साथ हैं और साथ चुनाव लड़े हैं. हमने साथ में खाना खाया और होली भी मनाई. सब साथ में हैं.
एक और बात है कि अब जब कुर्सी नहीं है तो झगड़ा किस बात का होगा. गठबंधन को लेकर हमारे परिवार में कोई झगड़ा नहीं था. उस समय अमर सिंह अंकल भी कांग्रेस से समझौता करा रहे थे. हमारी कहानी में एक ही अंकल हैं बाकी सब चाचा हैं.
देखिए, राजनीतिक पार्टी में मतभेद और मनभेद होता रहता है, लेकिन सबसे बड़ी बात है कि हमारा सिद्धांत नहीं बदला. हमने एक्सप्रेस-वे और मेट्रो बनाया तो बोले आप समाजवादी नहीं हैं? हम सिद्धांत से अलग कहां हुए? एक डिब्बे में हर समाज के लोग बैठेंगे यही तो समाजवाद है.
हम लैपटॉप बांट रहे थे तो समाजवाद कहां ख़त्म हो रहा है. सब को बराबरी पर लाना ही समाजवाद है. हम लोग दूरदर्शी और प्रगतिशील बैकवर्ड हैं. इतने ही फॉरवर्ड हैं तो 21 महीने में एक्सप्रेस-वे बनाकर दिखाएं वरना हम उन्हें बैकवर्ड ही मानेंगे.
मैं तो कहता हूं आधार से गिन लो तब क्या फॉरवर्ड और क्या बैकवर्ड? हमें आधार से लेना-देना है. हम चाहते हैं हमारी बस गिनती हो जाए. हम चाहते हैं कि हम कितने हैं उसकी गिनती होनी चाहिए. क्यों आने वाली पीढ़ी में झगड़ा लगा रहे हैं?
महिला आरक्षण बिल को लेकर समाजवादी पार्टी का रुख़ नकारात्मक दिखता है. अब आप उस बिल को कैसे देख रहे हैं?
हम महिला आरक्षण के ख़िलाफ़ नहीं है. हम बस उस बिल के पेश करने के तरीके के ख़िलाफ़ थे. आप पार्टी को तय करिए. इतने लोगों में हमने जया बच्चन को राज्यसभा के लिए तय किया तो हमारे एक संसद न जाने क्या-क्या कहकर पार्टी छोड़कर चले गए.
आप पार्टी पर भरोसा रखिए. महिला की बात है तो बसपा और कांग्रेस में श्रेष्ठ पर महिला हैं. ममता बनर्जी जी भी हैं. आप देखिए पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में महिलाएं जीतकर आ रही हैं.
अगर कोई महिला है जिसने काम किया है, उसे हम क्यों आगे नहीं बढ़ाना चाहेंगे? आप ये क्यों तय करना चाहते हैं कि ये क्षेत्र महिलाओं के लिए होगा? पार्टी को तय करना चाहिए और जैसे लोकसभा है तो 30 प्रतिशत महिलाओं को चुनाव लड़ाया जाए या विधानसभा में काम करने वाली महिलाओं को लड़ाया जाएगा.
हमनें लड़ाया और पिछली बार भी बड़ी संख्या में महिलाओं को सपा की ओर से चुनाव लड़ाया. जो हमें महिलाओं का विरोधी बता रहे हैं ये सब हमारे ख़िलाफ़ हैं. हमें महिला विरोधी साबित करने पर तुले हुए हैं.
हम महिलाओं के ख़िलाफ़ नहीं है. मैं ख़ुद घर में तीन महिलाओं के साथ रहता हूं, मेरी बीवी और दो बेटियां. तो मैं ख़िलाफ़ कैसे हो सकता हूं?
हम चाहते हैं महिलाओं को आगे आना चाहिए. प्रदेश में 55 लाख महिलाओं को कौन 500 रुपये महीने दे रहा था. लड़कियों को लैपटॉप दिया. कन्या विद्या धन दिया. रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड दिया.
देश में किसी भी महिला ने अच्छा काम किया है तो उनको उत्तर प्रदेश में अवॉर्ड दिया. जो महिलाएं दिल्ली से लंदन रोड से चली गई थीं उन्हें भी यहां उत्तर प्रदेश में अवॉर्ड दिया.
फ्रांस की पांच महिलाएं जो ऑटो में पूरा उत्तर प्रदेश घूमीं उन्हें अवॉर्ड दिया. महिला प्रधानों का अवॉर्ड दिया. महिला आरक्षण पर हम चाहते हैं पार्टी पर भरोसा किया जाए.
उत्तर प्रदेश में क्या दलित, किसान और अल्पसंख्यक डरे हुए हैं? आप इसे कैसे देखते हैं?
कुछ लोग सच नहीं स्वीकार करते. नवरात्रि के बाद मांस की बिक्री में बढ़ोतरी हो जाती है. मैं चाहता हूं कि रवींद्रनाथ टैगोर की किताब सब भाजपा वालों को दिया जाना चाहिए ताकि वो लोग राष्ट्रवाद को समझ सकें.
खाने और पहनावे से राष्ट्रवाद थोड़े न तय होता है. जिसने इस देश में जन्म लिया है वो भारतीय है. भाजपा एक रास्ता ढूंढ़ती है कि कैसे जनता की भावना से खेला जाए और उसका लाभ कैसे ले लें?
मैं मिलिट्री स्कूल में पढ़ा और मेरे साथ के लोग आज सेना में कर्नल हैं. मेरी बीवी भी सेना की पृष्ठभूमि से है. उनकी बहन और पति दोनों सेना में हैं. पिता और चाचा फौज में थे.
मेरे ताऊजी फ़ौज में थे और नेताजी रक्षा मंत्री थे. मेरे साथ पढ़ने वालों में कुछ लोग शहीद भी हुए हैं. मैं राष्ट्रवादी नहीं हूं, क्योंकि मैं बैकवर्ड हूं. भाजपा ने यह ज़हर घोला है और हमें इस ज़हर से बाहर निकलना है.