दिल्ली की आप सरकार के नौ सलाहकारों की नियुक्ति रद्द करने के फ़ैसले को कांग्रेस और भाजपा ने सही ठहराया है. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का आदेश दिल्ली में शिक्षा क्रांति को पटरी से उतारने की साज़िश है.
नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और केंद्र की भाजपा नीत एनडीए सरकार के बीच टकराव एक बार फिर बढ़ गया है. केंद्र सरकार ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सलाहकार सहित दिल्ली सरकार के मंत्रियों के नौ सलाहकारों की नियुक्ति रद्द कर दी गई.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद इन नियुक्तियों को रद्द किया गया. मंत्रालय ने अपने निर्देश में कहा था कि इन पदों की स्वीकृति नहीं थी.
इस मुद्दे पर केंद्र को आड़े हाथ लेते हुए सिसोदिया ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का आदेश दिल्ली में शिक्षा क्रांति को पटरी से उतारने की साजिश है.
सिसोदिया ने कहा कि चूंकि भाजपा की कोई भी सरकार शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्रों में कुछ नहीं कर पा रही है, इसलिए केंद्र सरकार आप सरकार को पंगु बनाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार में अहम भूमिका निभा रही उनकी सलाहकार आतिशी मार्लेना को निशाना बनाया गया है.
दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने अपने पत्र में लिखा था कि जिन पदों पर लोग नियुक्त हैं, वे दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों के लिए मंजूर किए गए पदों की सूची में शामिल नहीं हैं.
विभाग ने अपने आदेश में कहा, ‘उक्त पदों, जिन पर सरकार के कार्यकाल के आधार पर लोगों की नियुक्ति की गई, के सृजन के लिए केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति नहीं ली गई.’ गृह मंत्रालय ने विभाग को यह पत्र 10 अप्रैल को भेजा था. ये सेवाएं उप-राज्यपाल के मातहत हैं.
जिन सलाहकारों की नियुक्ति रद्द की गई है उनमें अमरदीप तिवारी (कानून मंत्री के मीडिया सलाहकार), अरुणोदय प्रकाश ( उप-मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार), राघव चड्ढा (वित्त मंत्री के सलाहकार), आतिशी मार्लेना (उप-मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार) शामिल हैं.
इस कदम के बाद सिसोदिया ने ट्वीट करके कहा, ‘दिल्ली सरकार के सलाहकारों को हटाने का मोदी सरकार का आदेश दिल्ली में शिक्षा क्रांति को पटरी से उतारने की साजिश है.’
Modi Govt’s order to remove Delhi govt advisors is a conspiracy to derail education revolution in Delhi.
Real intention of the order is to paralyse our govt work, since no BJP govt has been able to deliver anything on education & health
1/n
— Manish Sisodia (@msisodia) April 17, 2018
उन्होंने कहा, ‘आदेश की असल मंशा हमारे सरकारी काम को पंगु बनाना है, क्योंकि भाजपा की कोई सरकार शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई काम नहीं कर पाई है.’
सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘कोई आश्चर्य नहीं कि मोदी सरकार ने आतिर्शी मार्लेना(जिसने सेंट स्टीफेंस से पढ़ाई के बाद ऑक्सफोर्ड में भी अध्ययन किया, फिर रोड्स स्कॉलर के तौर पर काम किया और तब शिक्षा सलाहकार के तौर पर दिल्ली सरकार में शामिल हुईं ) जैसे सलाहकारों को हटाया है. वह पिछले तीन साल से मेरे साथ एक रुपये प्रति माह के वेतन पर काम कर रही थीं.’
बाद में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करना चाहती है. उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि नौ सलाहकारों में से सिर्फ चार सलाहकार अभी दिल्ली सरकार के साथ काम कर रहे हैं.
कांग्रेस और भाजपा ने केंद्र सरकार के कदम को सही बताया
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्रियों के नौ सलाहकारों की नियुक्ति रद्द किया जाना चौंकाने वाला नहीं है, क्योंकि यह आप कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए किया गया था. दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा कि 2016 में सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में शंगलू समिति ने दिल्ली सरकार में 71 आप पार्टी समर्थकों की नियुक्ति में गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख किया था.
उन्होंने कहा, ‘यह चौंकाने वाला नहीं है. शंगलू समिति ने 28 नवंबर 2016 को दायर अपनी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार में 71 आप पार्टी समर्थकों की नियुक्ति में गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख किया था.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली के लोगों के हित में काम नहीं कर रही है बल्कि सरकारी खजाने पर भारी बोझ की कीमत पर अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं को खुश करने में लगी है.’
भाजपा की दिल्ली इकाई ने दिल्ली सरकार के मंत्रियों के नौ सलाहकारों को हटाये जाने का स्वागत किया और कहा कि ‘एक गलती को सही किया गया है.’ गृह मंत्रालय (एमएचए) के निर्देश पर सलाहकारों की नियुक्तियां रद्द की गई हैं.
गृह मंत्रालय ने 10 अप्रैल को लिखे एक पत्र में दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग से कहा है कि नौ सलाहकारों के सृजित पदों के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं ली गई.
भाजपा के विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि नियुक्तियां भर्ती नियमों, वित्तीय सहमति और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी लिए बिना की गईं.
आप नेता आशीष खेतान ने डीडीसी से दिया इस्तीफ़ा
आप नेता एवं ‘दिल्ली डायलॉग कमीशन’ (डीडीसी) के उपाध्यक्ष आशीष खेतान ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है और कहा कि अब वह वकालत करना चाहते हैं.
पत्रकार से नेता बने खेतान को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का विश्वास पात्र माना जाता है. उन्हें तीन साल पहले आप सरकार की सलाहाकर इकाई डीडीसी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. केजरीवाल डीडीसी के अध्यक्ष हैं.
खेतान ने ट्विटर पर लिखा, ‘मैंने डीडीसी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया, जो 16 अप्रैल से प्रभावी है. पिछले तीन वर्षों में मुझे सार्वजनिक नीति को आकार देने एवं शासन में सुधार तथा परिवर्तन लाने के लिए कई अनोखे अवसर मिलें. मुझे यह अवसर देने के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का शुक्रगुज़ार हूं.’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘मैं क़ानूनी पेशे से जुड़ रहा हूं और दिल्ली बार में पंजीकरण करा रहा हूं जिसकी वजह से डीडीसी से इस्तीफ़ा देना आवश्यक है. बार काउंसिल के नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति वकालत करते समय निजी या सरकारी नौकरी नहीं कर सकता.’