तृणमूल कांग्रेस बंगाल में लोकतंत्र की हत्या कर रही है: सीताराम येचुरी

माकपा महासचिव ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में ऐसी सीटों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है जिन पर एक से अधिक उम्मीदवार न होने के चलते चुनाव नहीं लड़ा गया.

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सीताराम येचुरी. (फोटो: पीटीआई)

माकपा महासचिव ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में ऐसी सीटों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है जिन पर एक से अधिक उम्मीदवार न होने के चलते चुनाव नहीं लड़ा गया.

फोटो: पीटीआई
फोटो: पीटीआई

नई दिल्ली: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर राज्य में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा का हवाला देते हुए लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है.

येचुरी ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को नामांकन नहीं भरने देने के कारण निर्विरोध चुनाव वाली सीटों की संख्या में इजाफा होने के लिए सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘टीएमसी बंगाल में लोकतंत्र की हत्या कर रही है. हमारी पार्टी टीएमसी की अराजकता और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगी.’

उन्होंने उन मीडिया रिपोर्टों का भी हवाला दिया जिनमें पश्चिम बंगाल में साल 1978 से अब तक हुए नौ पंचायत चुनावों में ऐसी सीटों की संख्या में लगतार इजाफा हुआ है जिन पर एक से अधिक उम्मीदवार नहीं होने के कारण चुनाव नहीं लड़ा गया.

रिपोर्ट के अनुसार, साल 1978 के पंचायत चुनाव में ऐसी सीटें 0.73 प्रतिशत थी जो साल 2018 में बढ़कर 34.20 प्रतिशत हो गई हैं.

इस बीच येचुरी ने माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में भी अपने लेख में पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं से देश के समक्ष उपजी विभाजनकारी चुनौतियों से एकजुट होकर सामना करने का आह्वान किया.

लेख में येचुरी ने हाल ही में संपन्न हुए माकपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में पार्टी नेताओं के बीच व्यक्त की गई एकजुटता का हवाला देते हुए कहा, ‘देश और देश की जनता के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों को परास्त करने के लिए समूची पार्टी को एक व्यक्ति के समान खड़ा करना होगा. माकपा और वाम दलों की एकजुटता के लिए संगठित होने की जरूरत है.’

उन्होंने कहा कि पार्टी कांग्रेस के दौरान माकपा नेतृत्व में दरार आने की बातें मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से प्रसारित की गईं जबकि हकीकत में पार्टी इस सम्मेलन में पहले से कहीं अधिक एकजुट होकर उभरी और मौजूदा चुनौतियों को परास्त करने का संकल्प भी लिया.

लेख में येचुरी ने लिखा है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और मोदी सरकार के प्रति मददगार की भूमिका में कार्यरत तथाकथित अधिपत्यवादी वर्ग और कारपोरेट मीडिया ने पार्टी के सम्मेलन के समय माकपा को एक विभाजित कुनबे की तरह पेश करने की मुहिम चलाई थी लेकिन सम्मेलन में इसके उलट तस्वीर उभर कर सामने आई.

उन्होंने लिखा है कि पार्टी कांग्रेस में यह भी साबित हुआ कि माकपा देश की एकमात्र राजनीतिक पार्टी है जिसमें वास्तविक आंतरिक लोकतंत्र है. यह पार्टी की अंदरूनी ताकत को मजबूती प्रदान करता है.