कलकत्ता हाईकोर्ट के नवनियुक्त चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय हाईकोर्ट जजों की स्वीकृत संख्या के आधे से भी कम जजों के साथ काम कर रहा है.
कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेने वाले कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने कहा कि न्यायाधीशों की कमी के चलते न्यायपालिका एक मुश्किल दौर से गुजर रही है.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केएन त्रिपाठी द्वारा शपथ दिलाए जाने के बाद जस्टिस भट्टाचार्य ने कहा, ‘वर्तमान समय में हम न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या के आधे से कम न्यायाधीशों के साथ काम कर रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश ने संबंधित प्राधिकारियों को ताजा नियुक्तियों से न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया ताकि लंबित मामलों का तेजी से निस्तारण सुनिश्वित किया जा सके.’
कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 72 है. वर्तमान में अदालत में मात्र 33 न्यायाधीश हैं. चार अतिरिक्त न्यायाशीशों की नियुक्ति के बाद इनकी संख्या आधी से कुछ अधिक होगी. इन न्यायाधीशों के बुधवार को शपथ लेने की संभावना है.
मुख्य न्यायाधीशों ने कहा, ‘मैं वंचितों को न्याय मुहैया कराने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा और मामलों का तेजी से निस्तारण की व्यवस्था करूंगा.’ शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने कैबिनेट के कुछ सदस्यों के साथ मौजूद थीं.
वहीं भट्टाचार्य की नियुक्ति के बाद हाईकोर्ट में चल रहा वकीलों का आंदोलन भी सोमवार को खत्म हो गया है.
दैनिक जागरण के मुताबिक कलकत्ता हाईकोर्ट में 70 दिनों तक चले कार्य स्थगन आंदोलन के बाद वकील काम पर लौट आए हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट के इतिहास में यह अब तक का सबसे लंबा कार्य स्थगन आंदोलन है.
मालूम हो कि वकीलों के तीन संगठनों द्वारा हाईकोर्ट में ख़ाली पड़े जजों के पद को अविलंब भरने की मांग पर 19 फरवरी से ये आंदोलन शुरू हुआ था. बीते शनिवार को हाईकोर्ट में चार न्यायाधीशों की नियुक्ति के बाद आंदोलन वापस ले लिया गया.
केंद्र सरकार द्वारा चार न्यायाधीशों और स्थायी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति को मंजूरी मिलने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों विश्वजीत बसु, अमृता सिन्हा, अभिजीत गंगोपाध्याय और जय सेनगुप्ता को जजों के रूप में नियुक्त किया जाएगा.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट में पिछले तीन वर्षों से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त थे. जिस समय यह आंदोलन शुरू हुआ था, उस समय हाईकोर्ट के 72 में से 42 न्यायाधीशों के पद रिक्त थे. 12 मार्च को तीन न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई, लेकिन असंतुष्ट वकील संगठनों ने इसके बाद भी अपना आंदोलन जारी रखा था, जो अब खत्म हुआ.