शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सरकार की इस दलील से सहमत नहीं है कि आधार क़ानून को लोकसभा अध्यक्ष ने धन विधेयक (मनी बिल) बताने का सही निर्णय किया.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सरकार की इस दलील से सहमत नहीं है कि आधार कानून को लोकसभा अध्यक्ष ने धन विधेयक (मनी बिल) बताने का सही निर्णय किया क्योंकि ‘यह सब्सिडी के लक्षित वितरण’ से जुड़ा है जिसके लिए धन भारत की संचित निधि से आता है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की संविधान पीठ ने आधार अधिनियम की धारा 57 का उल्लेख किया जो कहती है ‘राज्य या कोई निगम या व्यक्ति’ आधार संख्या का इस्तेमाल ‘किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने में कर सकता है. ’
पीठ ने कहा, ‘समस्या आधार अधिनियम की धारा 57 के संबंध में पैदा होती है. धारा 57 का संबंध धारा सात और सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण से टूट जाता है.’
पीठ ने कहा कि ‘किसी निगम या व्यक्ति’ को आधार का इस्तेमाल किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने की अनुमति देना भारत की संचित निधि से संबंध को खत्म कर देता है. पीठ ने संकेत दिया कि आधार कानून को धन विधेयक नहीं कहा जा सकता है.
पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम समेत वकीलों की दलीलों का जवाब दे रहे थे. चिदंबरम का कहना था कि आधार को किसी भी तरीके से लोकसभा अध्यक्ष को धन विधेयक नहीं बताना चाहिए था क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 110 (धन विधेयक की परिभाषा) की शर्तों को पूरा नहीं करता है.
वेणुगोपाल ने आधार अधिनियम, 2016 की प्रस्तावना और कई अन्य प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि शब्द ‘सब्सिडी के लक्षित वितरण’ में धन के खर्च पर विचार किया गया है. उन्होंने कहा, ‘भारत की संचित निधि से हजारों करोड़ रुपये खर्च किये जाने हैं. यह अपने आप में इसे (कानून को) संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत धन विधेयक के दायरे में लाता है.’
आधार ढांचे का इस्तेमाल निजी निकायों को भी इस्तेमाल करने की अनुमति पर पीठ की टिप्पणी का जवाब देते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि कानून में कुछ सहायक प्रावधान हैं , लेकिन मुख्य उद्देश्य सब्सिडी, सेवाओं और लाभ का वितरण है. उन्होंने कहा कि अधिनियम में एक भी प्रावधान अनावश्यक या कानून के मुख्य उद्देश्य यानि कि सब्सिडी, सेवा और लाभ प्रदान करने से असंबद्ध नहीं है.
हालांकि, पीठ धारा 57 के बारे में अपनी टिप्पणी पर कायम रही. पीठ ने कहा, ‘धारा 57 के तहत कोई लाभ और सब्सिडी का वितरण नहीं है.’ वेणुगोपाल ने संविधान के अनुच्छेद 110 (1) (जी) का उल्लेख किया जिसमें ‘कोई मामला’ शब्द का जिक्र है और आधार कानून इस परिभाषा के भीतर आता है और इसे धन विधेयक बताकर सही किया गया.
उनकी दलीलें अधूरी रहीं और वह गुरुवार को पीठ के समक्ष अपनी दलील जारी रखेंगे. पीठ आधार और इस बारे में 2016 के कानून को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.