रक्षा निर्माण की हालत पर चिंता जताते हुए आयुध कारखाना महानिदेशक एसके चौरसिया ने कहा, ‘पैराशूट का कपड़ा जैसी छोटी-छोटी चीज़ें भी देश में इतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं है कि मांग पूरी की जा सके.’
अहमदाबाद: देश में रक्षा विनिर्माण की स्थिति पर चिंता जताते हुए आयुध कारखाना महानिदेशक (डीजीओएफ) एसके चौरसिया ने कहा कि देश में पैराशूट बनाने के लिए भी इतना कपड़ा नहीं है कि मांग पूरी की जा सके.
वह अहमदाबाद में शुक्रवार को हुए कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री द्वारा आयोजित ‘रक्षा सम्मेलन 2018’ में को संबोधित कर रहे थे. चौरसिया ने कहा कि गुजरात के उद्यमियों को रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में उतरने पर ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत अपने यहां बनने वाले टैंकों के लिए कुछ कलपुर्ज़े 30 साल पहले रूस से मंगवाता था. अब भी, हमें कुछ सामान मंगवाने पड़ते हैं. पैराशूट का कपड़ा जैसी छोटी-छोटी चीज़ें भी देश में इतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं है कि मांग पूरी की जा सके.
चौरसिया ने कहा, हम उन चीजों के निर्माण पर ध्यान देते हैं जिनकी तकनीक और बुनियादी ढांचा उपलब्ध है. लेकिन देश जिन चीजों का अभी भी आयात करता है उस क्षेत्र पर ध्यान नहीं देते.
वायुसेना की दक्षिण-पश्चिम कमान के ऑफिसर कमांडिग इन चीफ एयर मार्शल आरके धीर ने भी यही मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश में शोध एवं अनुसंधान पर रक्षा बजट आवंटन सिर्फ पांच फीसद है जबकि फ्रांस में यह 15 फीसद है.