कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने दिल्ली पुलिस के आरोप पत्र को ‘बेतुका’ क़रार दिया. दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोप पत्र चिकित्सकीय-कानूनी और फॉरेंसिक सबूतों पर आधारित है.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में उनके पति और कांग्रेस नेता शशि थरूर पर खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया कि उनके खिलाफ आगे की कार्यवाही के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं.
अदालत के समक्ष पुलिस द्वारा दायर करीब तीन हजार पन्ने के आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों को कांग्रेस सांसद ने शशि थरूर ‘बेतुका’ क़रार दिया और पुरज़ोर तरीके से इसका मुकाबला करने की मंशा व्यक्त की. कांग्रेस पार्टी भी अपने सांसद के साथ खड़ी दिखी और इसे उन्हें बदनाम करने की मोदी सरकार की ‘साज़िश’ क़रार दिया.
इस मामले में 62 वर्षीय थरूर को पुलिस ने एकमात्र आरोपी बताया है. पुलिस के मुताबिक यह हत्या नहीं आत्महत्या का मामला है. दिल्ली पुलिस ने एक जनवरी 2015 को अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया था.
पुलिस ने यह भी आरोप लगाया है कि थरूर अपनी पत्नी के साथ क्रूरता करते थे.
कांग्रेस नेता पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला को प्रताड़ित करना) और 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) के तहत आरोप लगाए गए हैं. धारा 498 ए के तहत जहां अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है जबकि धारा 306 के तहत अधिकतम 10 साल की कैद का प्रावधान है.
पुष्कर की मौत ने सनसनी मचा दी थी क्योंकि पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से कथित प्रेम प्रसंग को लेकर थरूर और सुनंदा के बीच ट्विटर पर तीखी तकरार होने के कुछ समय बाद ही यह घटना हुई थी. 17 जनवरी 2014 की रात को चाणक्यपुरी के लग्जरी होटल लीला के एक कमरे से 51 वर्षीय सुनंदा का शव मिला था.
पुलिस ने सोमवार को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट धमेंद्र सिंह के समक्ष आरोप पत्र दायर किया जो इस पर 24 मई को विचार करेंगे. पुलिस ने दावा किया कि उनके खिलाफ आगे कार्रवाई के लिये पर्याप्त साक्ष्य हैं और थरूर को आरोपी के तौर पर समन करने का भी अनुरोध किया.
दंपति का घरेलू नौकर नारायण सिंह इस मामले के प्रमुख गवाहों में से एक है.
आरोप पत्र में कहा गया है कि सुनंदा की मौत थरूर से शादी के तीन साल तीन महीने और 15 दिन बाद हुई थी. दोनों की शादी 22 अगस्त 2010 को हुई थी.
अभियोजन के सूत्रों के मुताबिक आरोप पत्र में कहा गया है कि पुष्कर के साथ कथित तौर पर मानसिक और शारीरिक क्रूरता होती थी.
आरोप पत्र में कहा गया कि सभी संभावित और भौतिक साक्ष्य जुटाए गए और उनका प्रमाणीकरण किया गया. यह महसूस किया गया कि फिलहाल मामले में उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की ज़रूरत नहीं होगी.
थरूर को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया है क्योंकि जब भी ज़रूरत हुई वह जांच में शामिल हुए हैं.
आरोप पत्र बेतुका: थरूर
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर को आत्महत्या के लिए उकसाने के दिल्ली पुलिस के आरोप पत्र में लगाये गए आरोप को ‘बेतुका’ करार दिया. उन्होंने कहा कि उनकी मंशा इसका डटकर मुकाबला करने की है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘इस बेतुके आरोप पत्र को दाखिल किये जाने का मैंने संज्ञान लिया है और मेरी मंशा इसका डटकर मुकाबला करने की है. मेरी तरफ से उकसाये जाने की बात को जाने दें तो भी सुनंदा को जो कोई जानता है, वह इस बात पर कभी भरोसा करेगा कि वह कभी आत्महत्या कर सकती हैं?’
थरूर ने कहा, ‘यह दिल्ली पुलिस के तरीकों के अनुरूप नहीं है. 17 अक्टूबर को विधि अधिकारी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा था कि उन्हें किसी के बारे में कुछ भी नहीं मिला है और अब छह माह के भीतर वे कह रहे हैं कि मैंने आत्महत्या को उकसाया.’
पुलिस ने मामले में 24 मई को मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट धर्मेन्द्र सिंह के समक्ष आरोपपत्र दाखिल किया जो उस पर 24 मई को गौर करेंगे.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि थरूर के खिलाफ आरोप-पत्र उनकी छवि को बिगाड़ने की साजिश है.
उन्होंने कहा, ‘हम न झुकेंगे न डरेंगे. यह थरूर को बदनाम करने और उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश है तथा मोदी सरकार दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल कर रही है. हम आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं.’
आरोप पत्र चिकित्सकीय, कानूनी, फॉरेंसिक सबूतों पर आधारित: दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में 14 मई को दाखिल किया गया उसका आरोप पत्र चिकित्सकीय-कानूनी और फॉरेंसिक सबूतों पर आधारित है.
आरोप पत्र में सुनंदा के पति और कांग्रेस नेता शशि थरूर को आरोपी बनाया गया है.
इस मामले में थरूर एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनका नाम बतौर आरोपी डाला गया है. करीब 3,000 पृष्ठों के इस आरोप पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि थरूर का अपनी पत्नी के साथ व्यवहार क्रूरतापूर्ण था.
दिल्ली पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘जांच के दौरान चिकित्सकीय-कानूनी एवं फॉरेंसिक विश्लेषणों तथा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण विशेषज्ञों की राय के आधार पर आरोप पत्र दाखिल किया गया. मामला अदालत में विचाराधीन है.’
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण में विशेषज्ञ मानसिक हालत का पता लगाने के लिए पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से अंजाम देते हैं और पता लगाया जाता है कि मौत का कारण क्या था.
सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी 2014 की रात को एक लग्जरी होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं.
कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला को प्रताड़ित करना) और 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
आरोप पत्र में कहा गया है कि पुष्कर की मौत थरूर से शादी के तीन साल तीन महीने और 15 दिन बाद हुई थी. थरूर तिरूवनंतपुरम से लोकसभा सांसद हैं.
दोनों की शादी 22 अगस्त 2010 को हुई थी और 17 जनवरी 2014 को सुनंदा मृत पाई गईं.
सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक जनवरी 2015 को अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.
सुनंदा पुष्कर मौत मामले का घटनाक्रम
17 जनवरी, 2014: दिल्ली के लीला पैलेस होटल में सुनंदा पुष्कर मृत पायी गईं. इससे एक दिन पहले थरूर से कथित अफेयर को लेकर पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से ट्विटर पर उनकी तकरार हुई थी.
21 जनवरी, 2014: जांच की अगुवाई करने वाले उप-मंडल अधिकारी (एसडीएम) ने कहा कि पुष्कर की मौत ज़हर की वजह से हुई.
23 जनवरी, 2014: पुष्कर की मौत की जांच की ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को दी गई.
25 जनवरी, 2014: इस मामले को फिर से दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित कर दिया गया.
01 जनवरी, 2015: दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया.
15 जनवरी, 2016: दिल्ली पुलिस को पुष्कर की मौत के कारण के बारे में उनके बिसरा के नमूनों की एफबीआई रिपोर्ट पर एम्स के मेडिकल बोर्ड का परामर्श मिला.
06 जुलाई, 2017: भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुनंदा पुष्कर की मौत की एसआईटी जांच की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया.
26 अक्टूबर, 2017: उच्च न्यायालय ने स्वामी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह जनहित याचिका राजनीतिक स्वार्थ से संबंधित मुकदमे का उदाहरण है.
29 जनवरी, 2018: स्वामी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की.
23 फरवरी, 2018: शीर्ष न्यायालय ने स्वामी की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा.
20 अप्रैल, 2018: दिल्ली पुलिस ने शीर्ष न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा कि मामले की ‘पूरी पेशेवर और वैज्ञानिक जांच’ के बाद अंतिम रिपोर्ट का मसौदा तैयार कर लिया गया है.
14 मई, 2018: दिल्ली पुलिस ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया.