रविवार को नरेंद्र मोदी के ज़ोर-शोर से हुए रोड शो में एक्सप्रेसवे के पहले चरण का उद्घाटन हुआ, जो 82 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का महज़ 8.36 किमी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पहले चरण का उद्घाटन किया. उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर रोड शो किया. उनका यह रोड शो दिल्ली के निजामुद्दीन ब्रिज से शुरू होकर छह किलोमीटर तक चला.
इस दौरान प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए मिलेनियम पार्क से लेकर गाजीपुर तक के बीच छह किलोमीटर लंबी मानव शृंखला बनाई गई. कई समाचार चैनलों और मीडिया के दूसरे माध्यमों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस रोडशो का सीधा प्रसारण किया और इस एक्सप्रेसवे के चालू होने के तमाम फायदे गिनाए गए.
हालांकि जब इसके फायदे बताए जा रहे थे तब चालाकी से यह बात छिपा ली गई कि दिल्ली से मेरठ को जोड़ने वाली इस 82 किलोमीटर परियोजना का लगभग 90 प्रतिशत अभी तक शुरू नहीं हुआ है. मोदी ने 7,500 करोड़ रुपये लगत की इस परियोजना के पहले चरण (लागत 841 करोड़ रुपये) जिसकी लंबाई 8.36 किमी है, का उद्घाटन किया है.
यह चरण दिल्ली के निजामुद्दीन पुल से शुरू होकर दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर खत्म हो जाता है. इसके बाद मेरठ का सफर तय करने वाले यात्री नेशनल हाईवे 34 को इस्तेमाल कर रहे हैं जो मात्र चार लेन का है.
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी दावा किया कि इस परियोजना के पहले चरण को रिकॉर्ड 18 माह में पूरा कर लिया गया जबकि सच्चाई यह कि करीब 30 महीने पहले दिसंबर 2015 में खुद मोदी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था.
छह लेन वाले इस एक्सप्रेसवे के तीन चरण-यूपी बॉर्डर से डासना, डासना से हापुड़ और डासना से मेरठ का पूरा होना अभी बाकी है.
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को बनाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरपी सिंह के मुताबिक 82 किमी लंबी इस परियोजना पर अभी केवल 31 प्रतिशत काम हुआ है. उन्होंने बताया, ‘परियोजना का पहला चरण पूरा हो गया है. दूसरा चरण 15 प्रतिशत पूरा है. जबकि तीसरे चरण का 60 प्रतिशत और चौथे चरण का तीन प्रतिशत काम हुआ है.’
यानी कि कुल नियोजित एक्सप्रेसवे का केवल 25.57 किमी या 31 प्रतिशत काम पूरा हुआ है जब मोदी ने इस एक्सप्रेसवे को देश को समर्पित किया. यानी अभी लगभग 69 प्रतिशत काम पूरा होना बाकी है.
अभी जो काम पूरा हुआ है उसमें भी पहले चरण से लेकर तीसरे चरण तक का ज्यादा काम है, जिसमें खासकर चौड़ीकरण और सर्विस लेन के निर्माण का काम है. इस परियोजना का चौथा चरण जिसमें ज्यादातर ग्रीनफील्ड (खेत वगैरह) हैं और एक्सप्रेसवे का सबसे लंबा चरण भी है,हां केवल तीन प्रतिशत काम हुआ है, जबकि वहां भूमि अधिग्रहण करना भी एक चुनौती है.
सिंह कहते हैं, ‘चौथे चरण का कुछ हिस्सा ऐसा है जहां पर अभी भूमि अधिग्रहण का काम पूरा नहीं हुआ है.’ दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे का चौथा चरण इससे पहले भी गाजियाबाद में भूमि अधिग्रहण की बाधाओं के चलते फंस चुका है.
गाजियाबाद में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के जानकार एक प्रशासनिक अधिकारी ने द वायर को बताया, ‘भूमि अधिग्रहण को लेकर कुछ दिक्कतेें बनी हुई हैं. पूरी तरह से भूमि अधिग्रहण करने में अभी कुछ महीने और लगेंगे. सड़क निर्माण का काम उसके बाद ही शुरू होगा. हालांकि हम आपको निश्चित तौर पर यह नहीं बता सकते कि भूमि अधिग्रहण कब तक पूरा कर लिया जाएगा.’
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि इस परियोजना को मार्च 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि एनएचएआई के एक अधिकारी ने द वायर को बताया कि इस डेडलाइन पर काम पूरा करना संभव नहीं है.
इन अधिकारी ने कहा, ‘यह एक बहुत ही महत्वाकांक्षी समय सीमा है. परियोजना के कुछ हिस्सों में धीमी प्रगति हो रही है. हम मार्च 2019 तक इसे खत्म करना चाहते हैं, लेकिन यह असंभव दिखता है.’
वहीं, एनएचएआई के सिंह थोड़ा अधिक आशावादी दिखे. उन्होंने कहा, ‘इस समय सीमा में काम पूरा करना मुश्किल हैं लेकिन हम कोशिश करेंगे. देखते हैं कि यह होता है या नहीं.’
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