पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है जहां वे स्वयंसेवकों की पासिंग आउट परेड का हिस्सा होंगे औरअपने विचार भी रखेंगे.
मुंबई: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने का न्योता स्वीकार करने पर हो रहे विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को यह कहकर उनका बचाव किया कि आरएसएस कोई पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है. यह राष्ट्रवादियों का संगठन है.
मुखर्जी को सात जून को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है. इस कार्यक्रम में न सिर्फ वे स्वयंसेवकों के पासिंग आउट कार्यक्रम का अहम हिस्सा होंगे, बल्कि अपने विचार भी रखेंगे.
आरएसएस का न्योता स्वीकार करने के लिए मुखर्जी की विपक्ष की तरफ से हो रही आलोचना पर गडकरी ने कहा, ‘आरएसएस पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है. आरएसएस राष्ट्रवादियों का संगठन है.’
उन्होंने कहा, ‘मुखर्जी का न्योता स्वीकार करना अच्छी शुरूआत है. राजनैतिक छुआछूत सही नहीं है.’
गडकरी ने मोदी सरकार के चार साल की उपलब्धियों को बताने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उपरोक्त बातें कहीं.
आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कल बताया था कि मुखर्जी ने न्योता स्वीकार कर लिया है. समारोह में सरसंघचालक मोहन भागवत समेत संघ के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे.
नागपुर में 25 दिन रहकर संघ का तृतीय वर्ष पाठ्यक्रम पूरा करने वाले देश के विभिन्न इलाकों से आए करीब 600 स्वयंसेवक इसका हिस्सा बनेंगे.
आरएसएस के इस निमंत्रण को प्रणब मुखर्जी द्वारा स्वीकार किए जाने को लेकर कांग्रेस में अलग-अलग राय है. कांग्रेस का एक धड़ा उनके नागपुर जाने के पक्ष में है तो एक धड़ा इसका विरोध कर रहा है.
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि पार्टी की बैठकों में प्रणब मुखर्जी आरएसएस की आलोचना कर चुके हैं. ऐसे में उन्हें आरएसएस मुख्यालय नहीं जाना चाहिए.
इस बीच, अपने कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आने पर उठे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि वह अपने कार्यक्रमों में समाज की सेवा में सक्रिय और महत्वपूर्ण व्यक्तियों को बुलाता रहा है और इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए.
आरएसएस ने एक बयान जारी कर मंगलवार को कहा कि यहां तक कि महात्मा गांधी भी उसके मुख्यालय नागपुर आ चुके हैं और स्वयंसेवकों को संबोधित कर चुके हैं.