सुप्रीम कोर्ट ने हाल के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में छेड़छाड़ किए जाने के आरोपों की सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों से जांच कराने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को चुनाव आयोग से जवाब मांगा.
चीफ जस्टिस जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एके कौल की पीठ ने एक याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग द्वारा चुनावों में इस्तेमाल लाई जाने वाली ईवीएम में आसानी से छेड़छाड़ की जा सकती है.
वकील एमएल शर्मा ने व्यक्तिगत रूप से यह जनहित याचिका दायर की है. याचिका में शीर्ष अदालत से मांग की गई है कि वह केंद्र सरकार को किसी राजनीतिक दल द्वारा निहित स्वार्थ को लेकर ईवीएम में छेड़छाड़ कथित रूप छेड़छाड़ किए जाने के मामले की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज करने और शीर्ष अदालत में जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दे.
हालांकि शीर्ष अदलात ने केंद्र और अन्य पक्षों को नोटिस नहीं जारी किया जिनका इस जनहित याचिका में उल्लेख है.
याचिका में ईवीएम की गुणवत्ता, सॉफ्टवेयर (मालवेयर और हैकिंग प्रभाव की किसी भरोसेमंद प्रयोगशाला) वैज्ञानिक और सॉफ्टवेयर द्वारा जांच कराने और उसकी रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिए शीर्ष अदालत में दाखिल करने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों और महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ किए जाने के आरापों का भी उल्लेख किया है.
याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव आयोग ने यह खुद ही माना है कि ईवीएम से तब तक ही छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है जब तक उसकी तकनीकी, यांत्रिक और सॉफ्टवेयर बारीकियां गोपनीय रहती हैं. किसी भी विशेषज्ञ द्वारा रिवर्स इंजीनियरिंग के माध्यम से इन बारीकियों का पता लगाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है.
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बसपा सुप्रीमो मायावती ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगा चुके हैं. दोनों नेताओं ने मामले के जांच की मांग कर चुके हैं. अरविंद केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार की एक वजह ईवीएम से छेड़छाड़ को बता चुके हैं. इसी तरह मायावती ने भी उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ किए जाने का दावा किया था.
वहीं निर्वाचन आयोग के पूर्व आयुक्तों ने ईवीएम से छेड़छाड़ की बात को सिरे से नकार चुके हैं. उनका कहना है कि किसी भी हाल में ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.
उनका कहना है कि पारदर्शी चुनाव करवाने के लिए ईवीएम से बेहतर विकल्प नहीं. दुनिया के कई देशों के चुनावों में भारत की ईवीएम का उपयोग किया जाता है. कहीं से किसी भी तरह की शिकायत नहीं आई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)