सरकार चीनी मिलों को दे सकती है 7,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज

सूत्रों के मुताबिक, खाद्य मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक बनाने का प्रस्ताव दिया है. चीनी स्टॉक को बनाए रखने की लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी.

सूत्रों के मुताबिक, खाद्य मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक बनाने का प्रस्ताव दिया है. चीनी स्टॉक को बनाए रखने की लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी.

sugarcane_farmers Reuters
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: किसानों का गन्ना बकाया 22,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाने से चिंतित सरकार नकदी की तंगी से जूझ रही चीनी मिलों के लिए 7,000 करोड़ रुपये से अधिक का राहत पैकेज घोषित कर सकती है ताकि किसानों का भुगतान जल्द से जल्द किया जा सके.

सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में कोई निर्णय लिये जाने की संभावना है. पिछले महीने सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 1,500 करोड़ रुपये की उत्पादन से संबद्ध सब्सिडी की घोषणा की थी ताकि गन्ना बकाये के भुगतान के लिए चीनी मिलों की मदद की जा सके.

चीनी मिलें गन्ना उत्पादकों का भुगतान करने में असमर्थ हैं क्योंकि चीनी उत्पादन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में अब तक 3.16 करोड़ टन के रिकॉर्ड उत्पादन के बाद चीनी कीमतों में तेज गिरावट आने से उनकी वित्तीय हालत कमजोर बनी हुई है.

देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में ही किसानों का अकेले 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना बकाया है.

सूत्रों के मुताबिक, चीनी मिलों द्वारा किसानों की बकाया राशि के भुगतान सुनिश्चित हो सके इसके लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं. उन्होंने कहा, ‘इनमें 7,000 करोड़ रुपये का एक राहत पैकेज प्रस्तावित है.’

खाद्य मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक बनाने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि चीनी स्टॉक को बनाये रखने की लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी, जिसके कारण राजकोष पर करीब 1,300 करोड़ रुपये का बोझ आने का अनुमान है.

बफर स्टॉक बनाने के अलावा, खाद्य मंत्रालय ने 30 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम एक्स-मिल बिक्री मूल्य तय करने, मासिक चीनी को जारी करने की व्यवस्था को पुन: लागू करने और प्रत्येक मिल के लिए कोटा तय करके मिलों पर स्टॉक रखने की सीमा तय करने का प्रस्ताव किया है.

संकटग्रस्त चीनी उद्योग की मदद के लिए, पेट्रोलियम मंत्रालय ने इथेनॉल की नई क्षमता के विस्तार और निर्माण के लिए चीनी मिलों को 4,500 करोड़ रुपये पर छह फीसदी ब्याज सब्सिडी का प्रस्ताव दिया है. यह योजना चीनी मिलों को ऋण चुकाने के लिए पांच साल का समय प्रदान करता है.

सूत्रों ने बताया कि केवल ब्याज सब्सिडी के कारण सरकार को 1,200 करोड़ रुपये का बोझ वहन करना होगा. पेट्रोलियम मंत्रालय इथेनॉल मूल्य बढ़ाने के बारे में भी सोच रहा है ताकि चीनी मिल जल्द से जल्द किसानों को भुगतान कर सकें.

वर्तमान में, चीनी की औसत एक्स-मिल कीमत 25.60 से 26.22 रुपये प्रति किलो की सीमा में है, जो उनकी उत्पादन लागत से कम है. केंद्र ने चीनी आयात शुल्क को दोगुना कर 100 फीसदी तक बढ़ा दिया है तथा घरेलू कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए निर्यात शुल्क को खत्म कर दिया है. उसने चीनी मिलों से 20 लाख टन चीनी निर्यात करने को भी कहा है.