रेलवे का 2018-19 में 11,000 से अधिक पदों को ख़त्म करने का लक्ष्य

रेलवे बोर्ड में विभिन्न जोन के महाप्रबंधकों को पत्र लिखा. पत्र के अनुसार, 11,040 पद चिह्नित किए गए हैं जो या तो लंबे समय से ख़ाली रहे हैं या फिर प्रौद्योगिकी उन्नयन के चलते उनकी अब ज़रूरत नहीं रह गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

रेलवे बोर्ड में विभिन्न जोन के महाप्रबंधकों को पत्र लिखा. पत्र के अनुसार, 11,040 पद चिह्नित किए गए हैं जो या तो लंबे समय से ख़ाली रहे हैं या फिर प्रौद्योगिकी उन्नयन के चलते उनकी अब ज़रूरत नहीं रह गई है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: रेलवे बोर्ड ने वित्त वर्ष 2018-2019 में रेलवे के विभिन्न जोनों में 11,000 से अधिक बेकार पदों को ख़त्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. बोर्ड ने इस संबंध में सभी महाप्रबंधकों को पत्र लिखा है.

अतिरिक्त बोझ हटाने की वार्षिक कवायद के तहत बोर्ड प्रौद्योगिकी, कार्यशैली में बदलावों और अतिरिक्तता के मद्देनज़र अपने कर्मचारियों की संख्या की समीक्षा करता है.

इस साल 11,040 पद ‘लौटाये जाने योग्य’ पद के रूप में चिह्नित किए गए हैं जो या तो लंबे समय से खाली रहे हैं या फिर प्रौद्योगिकी उन्नयन के चलते उनकी अब ज़रूरत नहीं रह गयी है. पिछले साल ऐसे पदों की संख्या करीब 10,000 थी.

पत्र के अनुसार, उत्तर रेलवे और दक्षिण रेलवे से 1500-1500, पूर्वी रेलवे से 1100 और मध्य रेलवे से 1000 पद ख़त्म करने को कहा गया है.

रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, ‘हर साल जोनल रेलवे को पदों के काम का विश्लेषण करने के बाद लौटाने योग्य पदों की पहचान करने का लक्ष्य दिया जाता है. कुछ जोन लक्ष्य को पूरा कर लेते हैं, कुछ आंशिक रूप से करते हैं, कुछ नहीं कर पाते हैं. लेकिन यह कवायद अनिवार्य है क्योंकि लौटाए जाने योग्य पदों में शामिल पद नई संपदाओं के वास्ते ज़रूरी सुरक्षा श्रेणी पद तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.’

भारतीय रेलवे में फिलहाल 13 लाख 40 हज़ार कर्मचारी हैं और उसके कार्यशील व्यय का करीब आधा हिस्सा कर्मचारियों की तनख्वाह पर ख़र्च होता है.

रेलवे के पुनर्गठन पर विवेक देबरॉय समिति ने सिफारिश की थी कि रेलवे कर्मचारियों के संबंध में तर्कसांगिकता लाए, यानी कर्मचारियों को अधिक कार्यकुशल ढंग से तैनात किया जाए और ज़रूरत पड़ने पर उनकी संख्या घटाए.