शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि बैंक खाता खुलवाने समेत गैर कल्याणकारी कार्यों में सरकार आधार के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाती है तो उससे कोई आपत्ति नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि सरकार और उसकी एजेंसियां सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ पाने के लिए आधार कार्ड कोे अनिवार्य नहीं कर सकती हैं. हालांंकि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर, न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने यह भी कहा कि सरकार और उसकी एजेंसियों को गैर-कल्याणकारी कार्यों, जैसे कि बैंक खाता खुलवानेे में आधार कार्ड मांंगने से मना नहीं किया जा सकता.
पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के अधिकार का उल्लंघन सहित अन्य आधारों पर आधार योजना को चुनौती देने संंबंधी याचिकाओंं पर निर्णायक फैसला देने के लिए सात न्यायाधीशों वाली पीठ के गठन की आवश्यकता होगी.
Government cannot make #Aadhaar mandatory for extending benefits of its welfare schemes: #SC.
— Press Trust of India (@PTI_News) March 27, 2017
हालांंकि, न्यायालय ने सात न्यायाधीशों वाले पीठ के गठन पर असमर्थतता जताते हुए कहा कि इस पर फैसला बाद में होगा. याचिका दायर करने वालों मे से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का सम्मान नहीं कर रही है कि आधार कार्ड का प्रयोग स्वैच्छिक होगा अनिवार्य नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त, 2015 को कहा था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओंं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा और अधिकारियों को योजना के तहत एकत्र किए गए बायोमेट्रिक आंकड़े साझा करने से मना किया था. हालांकि, 15 अक्तूबर, 2015 को उसने पुराने प्रतिबंध को वापस ले लिया और मनरेगा, सभी पेंशन योेजनाओं भविष्य निधि और एनडीए सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंंत्री जन-धन योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओंं में आधार कार्ड के स्वैच्छिक प्रयोग की अनुमति दे दी.