राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के मुख्य महाप्रबंधक एसके बंसल ने कहा कि कृषि उत्पादन और उत्पादकता है लेकिन इसका सही मूल्य किसानों को नहीं मिल पा रहा है.
मंदसौर/मध्य प्रदेश: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के मुख्य महाप्रबंधक एसके बंसल ने दावा किया है कि देश में नाबार्ड ही एक ऐसी संस्था है, जिसकी गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) यानी डूबा हुआ क़र्ज़ शून्य हैं.
बंसल ने बताया, ‘नाबार्ड का एनपीए शून्य है. देश में नाबार्ड ही एक ऐसी संस्था है, जिसका एनपीए शून्य है.’
मध्य प्रदेश के मंदसौर में हुए एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि नाबार्ड वर्ष 2018-19 में मध्य प्रदेश सरकार को 21,000 करोड़ रुपये देगा, जिसमें से 4,000 करोड़ रुपये सिंचाई योजनाओं, सड़क और ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना के लिए, 3,000 करोड़ रुपये, सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन और मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित (मार्कफेड), फसली ऋण देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये तथा 4,000 करोड़ रुपये कृषि में निवेश हेतु कॉमर्शियल और कोआॅपरेटिब बैंक को देगा.
बंसल ने बताया कि नाबार्ड मध्य प्रदेश सरकार को पांच प्रतिशत की दर पर सड़कें, पुल, सिंचाई आदि से संबंधित कार्यों के लिए पैसा देता है. पिछले तीन वर्ष से 2,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष इसके लिए दिए जा रहे हैं. वर्ष 2018-19 में यह राशि दोगुनी करने की योजना है.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नाबार्ड ग़ैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को समर्थन देने के लिए नहीं बना है. यह केवल किसानों के लिए बना है. उन्होंने कहा कि जहां तक कृषि और ग्रामीण योजनाओं का सवाल है, ये न कभी ख़त्म हुई है और न होगी. हमारी सारी योजनाएं कृषि आधारित है.
बंसल ने बताया कि प्रदेश में पिछले 10-15 वर्षों में सिंचाई के साधन इतने हो गए हैं कि अब उत्पादन है, उत्पादकता है लेकिन उत्पादन का सही मूल्य किसानों को नहीं मिल पा रहा है. सही मूल्य के लिए किसान इकट्ठा हो जाएं और अपने कृषि उत्पादन को इकट्ठा कर बेचें तो बाजार से अधिक मूल्य मिलेगा और इससे उनकी आय ज़्यादा होगी.
उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश के फॉर्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन पूरे देश में अग्रणी हैं. हमारे पास प्रदेश में 360 फार्मर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन हैं. मेरा प्रयास रहेगा कि इन्हें आर्थिक रूप से मज़बूत बनाया जाए.’