शिवसेना ने भाजपा पर साधा निशाना, कहा- किसानों की आत्महत्या दोगुनी हुई, आय नहीं

शिवसेना ने कहा है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा कोई नई नहीं है. भाजपा ने 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में भी इसी का वादा किया था.

शिवसेना ने कहा है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा कोई नई नहीं है. भाजपा ने 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में भी इसी का वादा किया था.

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(फोटो: पीटीआई)

मुंबई: शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों से सीधे संवाद कार्यक्रम पर शुक्रवार को निशाना साधा और कहा कि केवल किसानों की आत्महत्या दोगुनी हुई है, उनकी आय नहीं.

मोदी ने सीधा संवाद कार्यक्रम के तहत गत बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये देश भर के 600 जिलों के किसानों से बात की थी. मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि उनकी सरकार ने किस तरह से कृषि बजट को दोगुना करके 2.12 लाख करोड़ रूपये किया है और किस तरह से वह किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में काम कर रही है.

शिवसेना ने तीखा हमला करते हुए ‘सामना’ के माध्यम से कहा कि वर्तमान सरकार की कभी न समाप्त होने वाली घोषणाओं और ‘जुमलों’ से देश ‘थक’ चुका है.

सामना के संपादकीय में लिखा है, ‘देश वर्तमान सरकार की कभी न समाप्त होने वाली घोषणाओं और जुमलों से थक चुका है. किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा कोई नई नहीं है. भाजपा ने 2014 के चुनावी घोषणापत्र में भी इसी का वादा किया था और इससे उसे सत्ता में आने में मदद मिली.

सामना में लिखा है, ‘उन्होंने वही पुरानी कैसेट चलाई.’

इसमें कहा गया है कि भाजपा को सत्ता में लाने वाले किसान अब कोमा में चले गए हैं. उसने कहा, ‘किसानों की आय दोगुनी होने की जगह, उल्टे उनकी स्थिति और खराब हो गई है.’

मराठी भाषा के दैनिक में लिखा है कि मोदी को अपने संवाद में इसका खुलासा करना चाहिए था कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए गत चार वर्षों में क्या कदम उठाये गए हैं और क्या उनके लिए अच्छे दिन आ गए हैं?

शिवसेना ने सवाल किया कि यदि मोदी सरकार ने नीतिगत निर्णय किए हैं तो वे जमीन पर प्रतिबिंबित क्यों नहीं हो रहे हैं? संपादकीय में लिखा है कि उत्पादन लागत बढ़ने और किसान उपज लेने वालों की कमी किसानों को परेशान कर रही है.

शिवसेना ने दावा किया, ‘बैंक उद्योगपतियों के लिए रेड कार्पेट बिछाते हैं जो बैंकों को धोखा देते हैं. यद्यपि किसानों को पैसे नहीं मिलते. यह भेदभाव है. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में किसानों की आय के बजाय उनकी आत्महत्या के मामले दोगुने हो गए हैं. 2014 से अभी तक 40 हजार किसानों ने आत्महत्या की है.’