पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव नहीं होने से सुप्रीम कोर्ट हैरान

बड़ी संख्या में निर्विरोध निर्वाचन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को लगाई फटकार. कहा, इन आंकड़ों से पता चलता है कि निचले स्तर पर लोकतंत्र काम नहीं कर रहा है.

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Nadia: People injured in poll violence sit by the side of a road as a vehicle is set on fire by locals during Panchayat polls, in Nadia district of West Bengal on Monday. (PTI Photo) (PTI5_14_2018_000125B)
Nadia: People injured in poll violence sit by the side of a road as a vehicle is set on fire by locals during Panchayat polls, in Nadia district of West Bengal on Monday. (PTI Photo) (PTI5_14_2018_000125B)

बड़ी संख्या में निर्विरोध निर्वाचन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को लगाई फटकार. कहा, इन आंकड़ों से पता चलता है कि निचले स्तर पर लोकतंत्र काम नहीं कर रहा है.

Nadia: People injured in poll violence sit by the side of a road as a vehicle is set on fire by locals during Panchayat polls, in Nadia district of West Bengal on Monday. (PTI Photo) (PTI5_14_2018_000125B)
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान भारी हिंसा हुई थी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट इस तथ्य पर हतप्रभ रह गया कि हाल ही में संपन्न पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में हजारों सीटों पर चुनाव ही नहीं लड़ा गया. न्यायालय ने टिप्पणी की कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि निचले स्तर पर लोकतंत्र काम नहीं कर रहा है.

न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह बुधवार तक ऐसी सीटों के सही आंकड़ें उपलब्ध कराये. पश्चिम बंगाल में इस साल मई में ग्राम पंचायत, जिला परिषद और पंचायत समिति की 58,692 सीटों के लिए हुए चुनाव में 20,159 पर चुनाव लड़ा ही नही गया. इन चुनावों में काफी हिंसा हुई थी.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एके खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘हम इस तथ्य के प्रति बेखबर नहीं रह सकते कि राज्य में पंचायत चुनावों में इतनी बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ा ही नहीं गया. हमें यह बात परेशान कर रही है कि 48,000 ग्राम पंचायतों में 16,000 से अधिक निर्विरोध रहीं.’

पीठ ने कहा कि जिला परिषद और पंचायत समितियों की सीटों के लिए हुए चुनावों की भी यही स्थिति रही है. न्यायलय ने कहा कि यह विस्मित करने वाला है कि हजारों सीटें निर्विरोध रहीं. ये आकंड़े यही दर्शाते हैं कि निचले स्तर पर लोकतंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है.

पीठ ने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग को बुधवार तक एक हलफनामा दाखिल कर इसमें राज्य में स्थानीय निकायों में उन सीटों का सही विवरण मुहैया कराये जिन पर चुनाव ही नहीं लड़ा गया.

न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग के फैसलों पर सवाल उठाये और कहा कि पहले उसने नामांकन पत्र दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाई और एक दिन के भीतर ही अपना आदेश वापस ले लिया.

पीठ ने कहा, ‘आप (राज्य चुनाव आयोग) कानून के अभिरक्षक हैं. यह विचित्र है कि इतनी अधिक सीटों पर चुनाव ही नहीं लड़ा गया. यदि कोई भी चुनाव नहीं लड़ रहा है तो फिर इसे लेकर कोई मुकदमा भी नहीं होगा जबकि हकीकत यह है कि इसे लेकर मुकदमे हुए और इसका मतलब है कि कुछ न कुछ गड़बड़ होने के तथ्य के प्रति सभी जानते थे.

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा कि चुनाव के दौरान हिंसक घटनायें हुई और लोगों को नामांकन पत्र ही दाखिल नहीं करने दिए गए. उन्होंने जिलेवार उन सीटों का विवरण दिया जिन पर चुनाव लड़ा ही नहीं गया.

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को पंचायत चुनावों में ई मेल के माध्यम से दाखिल होने वाले नामांकन पत्रों को स्वीकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह निर्विरोध चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों के नामों की घोषणा राजपत्र में नहीं करें.

हालांकि पीठ ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. न्यायालय ने कहा था कि ऐसे अनेक फैसले हैं जिनमें यह व्यवस्था दी गई है कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के बाद कोई भी अदालत इसमे हस्तक्षेप नहीं कर सकती.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भाजपा ने आरोप लगाया था कि उनके अनेक प्रत्याशियों को नामांकन पत्र दाखिल नहीं करने दिया गया जिसकी वजह से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के करीब 34 प्रतिशत प्रत्याशी निर्विरोध जीते.

शीर्ष अदालत पंचायत चुनावों में ई मेल के जरिये नामांकन पत्र स्वीकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.